कोरोना से बचें, आपकी धडक़न के लिए सतर्कता जरूरी

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मनोज कुमार

वासंती हवाओं के साथ मन में इस समय प्रेम की जगह भय ने ले लिया है. एक बार फिर डराने की सूचना से सबके चेहरे पर शिकन दिखने लगी है. जानलेवा कोरोना का एक और दौर शुरू हो गया है. आंकड़ों की बतकही पर ना भी जाएं तो कोरोना का जो वैश्विक रूप से देखने को मिल रहा है, वह सुकून देने वाला तो कतई नहीं है. बीते एक साल जो कुछ हम सबने झेला, उससे आज तक हम उबर नहीं पाए हैं. अब फिर सूचना आने लगी है. चेतावनी दी जाने लगी है कि कोरोना का यह दौर पहले से ज्यादा खतरनाक है. सरकारें भी सचेत हो गई हैं. मध्यप्रदेश के इंदौर और भोपाल में धडक़न जिस तरह से थमने लगी थी, उस पर शासन-प्रशासन की सख्ती से किसी तरह काबू पाया जा सका था. जो गया, उसकी वापसी नहीं हो सकती थी लेकिन जिन्हें बचाया जा सकता था, उन्हें बचाने की भरसक कोशिश की गई. काल का दूसरा नाम कोरोना है. और कोरोना से बचने की जिम्मेदारी हम सब की है. सरकार और तंत्र को सहयोग करना हमारी नैतिक जवाबदारी है. सरकार ने फरमान जारी कर दिया है कि मॉस्क लगाना कम्पलसरी होगा लेकिन असल सवाल यह है कि हम क्यों नहीं चेत जाते? क्यों अभी हम मॉस्क से तौबा-तौबा कर रहे हैं? अभी नहीं, आगे भी मॉस्क, फिजीकल डिस्टेंसिंग और हेंडवॉश की आदत बनाये रखिए. कई लोगों को इस बात का भरम है कि वैक्सीनेशन के बाद वे सेफ हैं. यह बात भी ठीक है लेकिन वेक्सीनेशन आपको बेफ्रिक बनाती है, लापरवाह नहीं.  कोरोना यह नहीं देखता है कि आप पर क्या जवाबदारी है? आपके घर को आपकी क्या जरूरत है? वह तो चाहे जिस पर हमला बोल दे. हमारी धडक़न कायम रहे. हम स्वस्थ्य रहें, इसके लिए जरूरी है कि एक साल से जो नसीहतें हमें मिल रही है, उसे ना भूलें.

बहुत छोटी छोटी सी सावधानियां है जिनका अनदेखा किये जाने से हमारी जान पर बन आती है. चेहरे पर मुंह और नाक पर मॉस्क जरूर लगाएं. कोशिश हो कि सर्जिकल मॉस्क का उपयोग करें क्योंकि डॉक्टरों की सलाह है कि यह सबसे सेफ है. वैसे आप अपने डॉक्टर से बात कर कौन सा मॉस्क कोरोना से सुरक्षा देगा, पहन लें. मॉस्क अपनी सुविधा से खरीदें लेकिन मॉस्क का उपयोग आप घर से बाहर कदम रखने और लौटने तक करें. घर वापसी के साथ आप साबुन से हाथ धोना नहीं  भूलें. घर पर होने के बाद भी अधिकतम समय हाथ धोते रहें. कपड़ों को धोने से डालें तो स्वयं आत्मनिर्भर बनकर. स्वयं के कपड़े खुद पानी में डुबो दें और उस पर डिटॉल छिडक़ दें. ध्यान रहे आपकी यह सावधानी आपके परिवार को अनचाही मुसीबत से बचा सकती है. गर्म पानी पीना और गरारे करने की हिदायत डॉक्टर दे रहे हैं. इसका पालन भी सुनिश्चित करें. जीभ तो हर वक्त स्वाद के लिए बेताब रहती है. स्वयं पर नियंत्रण पाना सीखें. घर पर बना सादा गर्म भोजन करें. बेवजह तफरी करने घर से बाहर ना निकलें. यह आपके हमारे लिए हानिकारक हो सकता है.कोरोना से बचने के लिए आपकी सर्तकता और सावधानी से आप अपने और अपने परिवार को सुरक्षा कवच देते हैं तो प्रशासन की आप मदद करते हैं. स्वयं पर नियंत्रण कर लेते हैं तो अनावश्क जो काम का भार उन पर पड़ता है, वह बच जाता है. हमारी सुरक्षा के लिए जो एक बड़ा तंत्र तैनात होता है, उस पर बजट भी भारी खर्च होता है. यह बजट आपके हमारे जेब से जाता है. लेकिन हम और आप सावधानी बरतेेंगे तो बजट की राशि कम होती जाएगी और यह बजट हमारे कल्याणकारी दूसरे खर्चो में उपयोग आएगा. घर पर ही अपने ही स्तर पर छोटी-छोटी सावधानी से अस्पतालों में बढ़ती भीड़ से भी मुक्ति मिलेगी. हमारे कोरोना वॉरियर डॉक्टर और पुलिस को अथक मेहनत करना पड़ती है. सो उन्हें भी राहत होगी. अभी कोरोना का दूसरा चरण शुरू ही हुआ है. अभी सम्हल जाएं और खुद को सम्हाल लें. आपकी धडक़न आपके परिवार के लिए महत्वपूर्ण है. सरकार और मुख्यमंत्री एक्शन के मूड में हैं. जो तकलीफ प्रदेशवासियों ने बीते दिनों में हुई है, उसे दुबारा नहीं होना देना चाहते हैं. वे जानते हैं कि कोरोना का इलाज कितना महंगा होता है. जान की कीमत पर पैसा कोई मायने नहीं रखता है लेकिन आर्थिक रूप से परिवार कमजोर हो जाता है. कोरोना को उसके शुरूआती दौर में नहीं रोका गया तो घर, समाज और सरकार आर्थिक तंगहाली से घिर जाते हैं. व्यापार व्यवसाय पर घात होता है और नतीजा फिर हम एक बड़े संकट से घिर जाते हैं. इसलिए जरूरी है कि हम सावधानी बरतें, सर्तकता रखें क्योंकि आप अपने घर परिवार के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. ध्यान रहे यह बात आपको पता है, कोरोना को नहीं.  

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मनोज कुमार
सन् उन्नीस सौ पैंसठ के अक्टूबर माह की सात तारीख को छत्तीसगढ़ के रायपुर में जन्म। शिक्षा रायपुर में। वर्ष 1981 में पत्रकारिता का आरंभ देशबन्धु से जहां वर्ष 1994 तक बने रहे। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से प्रकाशित हिन्दी दैनिक समवेत शिखर मंे सहायक संपादक 1996 तक। इसके बाद स्वतंत्र पत्रकार के रूप में कार्य। वर्ष 2005-06 में मध्यप्रदेश शासन के वन्या प्रकाशन में बच्चों की मासिक पत्रिका समझ झरोखा में मानसेवी संपादक, यहीं देश के पहले जनजातीय समुदाय पर एकाग्र पाक्षिक आलेख सेवा वन्या संदर्भ का संयोजन। माखनलाल पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी पत्रकारिता विवि वर्धा के साथ ही अनेक स्थानों पर लगातार अतिथि व्याख्यान। पत्रकारिता में साक्षात्कार विधा पर साक्षात्कार शीर्षक से पहली किताब मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा वर्ष 1995 में पहला संस्करण एवं 2006 में द्वितीय संस्करण। माखनलाल पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से हिन्दी पत्रकारिता शोध परियोजना के अन्तर्गत फेलोशिप और बाद मे पुस्तकाकार में प्रकाशन। हॉल ही में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संचालित आठ सामुदायिक रेडियो के राज्य समन्यक पद से मुक्त.

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