ढोंगी बाबा रामदेव का कलुषित चरित्र उजागर!

-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’-
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रामदेव नाम का ढोंगी बाबा असल में कितने घिनौने चरित्र का और कितनी घटिया रुग्ण मानसिकता का शिकार है। जो दूसरों का उपचार करने की बात करता है, उसका स्वयं का मस्तिष्क कितना विकृत हो चुका है। जिसे दलित समाज की बहन-बेटियों की इज्जत को तार-तार करने में शर्म नहीं आती, उसे इंसान कहना ही इंसान को गाली देना है। जो पुरुष एक औरत की इज्जत लूटता है तो उसको फांसी की सजा की मांग की जाती है। रामदेव ने तो देश की करोड़ों दलित बहन-बेटियों की इज्जत को तार-तार कर दिया है, अब रामदेव को कितनी बार फांसी पर लटकाया जाना चाहिये, इस बारे में भी देश के लोगों को सोचना होगा। अन्यथा ये भी साफ कर देना चाहिये कि इस देश में दलित स्त्रियों की इज्जत का कोई मूल्य नहीं है! अब इस देश से सहिष्णु, निष्पक्ष और सामाजिक न्याय की व्यवस्था में विश्वा स रखने वाले देश के बुद्धिजीवियों, स्त्री हकों के लिये सड़कों पर आन्दोलन करने वालों, दलित नेताओं, स्त्रियों के हकों के लिये बढ़चढ़कर लड़ने वाले और लडने वालियों सहित, देश के कथित स्वतन्त्र एवं समभावी मीडिया के लिये भी यह परीक्षा की सबसे बड़ी घड़ी है कि वे रामदेव को जेल की काल कोठरी तक पहुंचाने में अपनी-अपनी भूमिकाएं किस प्रकार से अदा करते हैं! अब देखना यह भी होगा कि इस देश में दलित अस्मिता की खुलेआम धज्जियां उड़ाने वाले अपराधी रामदेव का अन्तिम हश्र क्या होता है?

बाबा के नाम से अपने आप को सबसे बड़ा देशभक्त, ईमानदार और संत घोषित करने वाले स्वयंभू योग गुरू रामदेव का कालाधन, भ्रष्टाचार और हिन्दुत्व के बारे में असली चेहरा सारे संसार के सामने प्रकट हो गया है।

राजस्थान के अलवर लोकसभा प्रत्याशी महन्त चॉंदनाथ को कालाधन के बारे में मंच पर बात करने से रोकने का बयान सारा संसार देख चुका है। जिससे उनकी कोले धन की मुहिम के नाटक का पर्दाफाश हो चुका है। यदि रामदेव में जरा भी शर्म होती तो इस घटना के बाद वे जनता के सामने मुंह भी नहीं दिखाते, लेकिन जिन लोगों का काम देश के भोले-भाले लोगों को मूर्ख बनाना हो, उनको शर्म कहां आने वाली है? जो व्यक्ति शुरू से ही योग और प्राणायाम के नाम पर जनता के धन को लूटकर अपने नाम से ट्रस्ट बनाकर उद्योगपति बनने का लक्ष्य लेकर घर से बाहर निकला हो उससे इससे अधिक आशा भी क्या की जा सकती?

काले धन को विदेशों से देश में लाने की बढ चढकर बात करने वाला स्वयं काले धन के बारे में छुप-छुपकर बात करने की सलाह देता हो और फिर भी खुद को बाबा और देशभक्त कहलवाना चाहता हो, इससे अधिक निन्दनीय और शर्मनाक कुछ भी नहीं हो सकता।

काले धन के साथ रामदेवा का काला चेहरा सामने आये कुछ ही दिन बीते हैं कि रामदेव का कलुषित चारित्रिक भी देश ने देख लिया है। अब तो सारी हदें पार करते हुए रामदेव ने सम्पूर्ण दलित समाज की बहन-बेटियों की इज्जत को तार तार कर दिया है। रामदेव का कहना है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी दलित बस्तियों में हनीमून मनाने जाते हैं। इससे पता चलता है कि रामदेव नाम का ढोंगी बाबा असल में कितने घिनौने चरित्र का और कितनी घटिया रुग्ण मानसिकता का शिकार है। जो दूसरों का उपचार करने की बात करता है, उसका स्वयं का मस्तिष्क कितना विकृत हो चुका है। जिसे दलित समाज की बहन-बेटियों की इज्जत को तार-तार करने में शर्म नहीं आती, उसे इंसान कहना ही इंसान को गाली देना है।

जो पुरुष एक औरत की इज्जत लूटता है तो उसको फांसी की सजा की मांग की जाती है। रामदेव ने तो देश की करोड़ों दलित बहन-बेटियों की इज्जत को तार-तार कर दिया है, अब रामदेव को कितनी बार फांसी पर लटकाया जाना चाहिये, इस बारे में भी देश के लोगों को सोचना होगा। अन्यथा ये भी साफ कर देना चाहिये कि इस देश में दलित स्त्रियों की इज्जत का कोई मूल्य नहीं है!

रामदेव कितना बड़ा जालसाज है, इस बात का केवल एक ही बात से परीक्षण हो चुका है कि पांच वर्ष पहले तक रामदेव हर बीमारी का इलाज योग के जरिये करने की बात करता था और आज वही रामदेव हर बीमारी का इलाज करने हेतु खुद ही दवा बनाकर बेच रहा है। लेकिन यह इस देश का दुर्भाग्य है कि इस देश के भोले-भाले लोग ऐसे चालाक ढोंगी बाबाओं के चंगुल से आसानी से खुद को मुक्त नहीं कर पा रहे हैं।

आसाराम का सच बहुत पहले ही देश और दुनिया के सामने आ चुका है। अब रामदेव का कलुषित चेहरा भी सबके सामने आ ही चुका है। दलितों की बहन-बेटियों की इज्जत को तार-तार करने वाला रामदेव आज भी सार्वजनिक रूप से बाबा बनकर घूम रहा है तो ये दलितों की सदाशयता है। अन्यथा तो ऐसे व्यक्ति का अंजाम तो कुछ और ही होना चाहिये था। दलितों की बहन-बेटियों और औरतों को रामदेव ने क्या वैश्या समझ रखा है कि कोई भी उनके साथ कभी भी आकर हनीमून मनाने को आजाद हो? रामदेव को ऐसी घटिया गाली देने से पहले हजार बार सोचना चाहिये था, लेकिन सोचते वहीं हैं, जिनकी कोई सदाशयी सोच हो। जिस रामदेव का एकमात्र लक्ष्य लोगों को मूर्ख बनाना हो उसे सोचने और शर्म करने की कहां जरूरत है?

इतनी घटिया टिप्पणी के बाद भी दलित समाज आश्चरर्यजनक रूप से चुप है, ये भी दलितों के लिये अपने आप में शर्म की बात है। अन्यथा ऐसे घटिया व्यक्तव्य के बाद तो रामदेव नाम के ढोंगी का ढोंग सदैव को नेस्तनाबूद हो जाना चाहिये था। अभी तक तो रामदेव को जेल में होना चाहिये। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि देश के स्वघोषित भावी प्रधानमंत्री से गलबहियां लड़ाने वाले रामदेव को कोई भी छूने की कोशिश कैसे कर सकता है, आखिर सारे मनुवादियों का साथ जो उनके पीछे है। अन्यथा रामदेव की खुद की औकात ही क्या है? रामदेव का मनुवादी, कलुषित और कुरूप चेहरा देश और दुनिया के सामने है। अब इस देश से सहिष्णु, निष्पक्ष और सामाजिक न्याय की व्यवस्था में विश्वा स रखने वाले देश के बुद्धिजीवियों, स्त्री हकों के लिये सड़कों पर आन्दोलन करने वालों, दलित नेताओं, स्त्रियों के हकों के लिये बढ़-चढ़कर लड़ने वाले और लडने वालियों सहित, देश के कथित स्वतन्त्र एवं समभावी मीडिया के लिये भी यह परीक्षा की सबसे बड़ी घड़ी है कि वे रामदेव को जेल की काल कोठरी तक पहुंचाने में अपनी-अपनी भूमिकाएं किस प्रकार से अदा करते हैं! अब देखना यह भी होगा कि इस देश में दलित अस्मिता की खुलेआम धज्जियां उड़ाने वाले अपराधी रामदेव का अन्तिम हश्र क्या होता है?

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डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
मीणा-आदिवासी परिवार में जन्म। तीसरी कक्षा के बाद पढाई छूटी! बाद में नियमित पढाई केवल 04 वर्ष! जीवन के 07 वर्ष बाल-मजदूर एवं बाल-कृषक। निर्दोष होकर भी 04 वर्ष 02 माह 26 दिन 04 जेलों में गुजारे। जेल के दौरान-कई सौ पुस्तकों का अध्ययन, कविता लेखन किया एवं जेल में ही ग्रेज्युएशन डिग्री पूर्ण की! 20 वर्ष 09 माह 05 दिन रेलवे में मजदूरी करने के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृति! हिन्दू धर्म, जाति, वर्ग, वर्ण, समाज, कानून, अर्थ व्यवस्था, आतंकवाद, नक्सलवाद, राजनीति, कानून, संविधान, स्वास्थ्य, मानव व्यवहार, मानव मनोविज्ञान, दाम्पत्य, आध्यात्म, दलित-आदिवासी-पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक उत्पीड़न सहित अनेकानेक विषयों पर सतत लेखन और चिन्तन! विश्लेषक, टिप्पणीकार, कवि, शायर और शोधार्थी! छोटे बच्चों, वंचित वर्गों और औरतों के शोषण, उत्पीड़न तथा अभावमय जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अध्ययनरत! मुख्य संस्थापक तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष-‘भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान’ (BAAS), राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन, राष्ट्रीय अध्यक्ष-जर्नलिस्ट्स, मीडिया एंड रायटर्स एसोसिएशन (JMWA), पूर्व राष्ट्रीय महासचिव-अजा/जजा संगठनों का अ.भा. परिसंघ, पूर्व अध्यक्ष-अ.भा. भील-मीणा संघर्ष मोर्चा एवं पूर्व प्रकाशक तथा सम्पादक-प्रेसपालिका (हिन्दी पाक्षिक)।

11 COMMENTS

  1. …………….वोटो की बाते …………..

    वोटो का माहौल देश मे,हर जगह हो रही वोटो की बात
    बातो मे से बात निकल रही,सब करे एक संग बात
    कोई बोलता पंजा आगे,कमल रहा मुरझाये
    कोई बोलता झाड़ू वाला,गणित रहा उलझाये
    कहीं साईकिल पड़ी बेचारी,हाथी रहा ललकार
    कही लपेटा कमल मरता,पंजा हुआ लाचार
    कही साईकिल दौड़ रही,नलका हुआ बेहाल
    अब कमल खिलेगा भारत मे,सब का यहीं है खयाल
    अम्मां,दीदी,बहनजी और,रानी रही पुकार
    मोदी के तूफान से,सब मार रही हुंकार
    अपनीं अपनी बात बोलकर दिखा रहे सब भाव
    ‘सिंह’ सच्चाई तो यही,कमल दे रहा गहरे घांव

    वी.पी.सिंह
    दिनांक 10.05.014

  2. बाबा रामदेव ने कुछ कहा और लेखक ने कुछ और समझा. राहुल गांधी चुनावी स्टंट के लिए दलितो को घर जा कर फोटो खिचवाता है , उस पर बाबा जी ने टिप्पणी की है. बाबा जी कि टिप्पणी सही है. उन्होंने किसी का अपमान नहीं किया. इस प्रकार एक सद्चरित्र व्यक्ति को दोष लगाना ठीक नहीं. दलितो के प्रति बाबा जी बहुत अधिक प्रेम रखते है. वह स्वयं भी पिछड़े वर्ग से आते है, हालाकी बाबाओं की कोई जात नहीं होती, वे सारी मानवता के लिए जीते है.

  3. The wrirter is lowest class person, opposit of his name. He understands meaning of honeymoon with sex only, while the meaning here is ‘once in lifetime’. He is paid by Congress to write such a stupid article.

    • आप ठीक कहते हैं। लेखक द्वारा bhadas4media.com पर इस लेख को “दलित बहन-बेटियों पर की गई टिप्पणी से उजागर हुआ रामदेव का कुलषित चरित्र” शीर्षक देते ऐसा ही प्रतीत होता है|

  4. प्रवक्ता डॉट कॉम अब ऐसे घटिया लेख भी छापेगी यह उम्मीद नहीं थी क्यों कि पहले वह विचारोत्तेजक स्तरीय लेखों को इसमें जगह देती थी. प्रकरण जो भी हो उसका ओचित्य और अनौचित्य सिद्ध किया जा सकता है ,पर भाषा इतनी दरिद्र होगी ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता .आलोचना करने वालों को क्या बाबा रामदेव से यह नहीं पूछना चाहिए कि आपके इस कथन का निहितार्थ क्या है.उन्हें इसके लिए अवसर दिए बिना अपने विचार थोप देना और वही पुराना राग अलापना कि यह तो मनु वादी सोच है. अरे भैया कभी इस टर्मिनोलॉजी का अर्थ शांति से बैठ कर सोचा है ? शायद कभी नहीं .खैर यह दूसरा विषय हो सकता है कि मनुवाद आखिर है क्या ?और यह पृष्ठ इस बहस के लिए तो कदाचित नहीं ही है. बाबा रामदेव ने क्या कहा अब तक ,उसमे कई बयानों से सहमत भी हुआ जा सकता है और कई से नहीं भी.तो क्या असहमति का स्तर इतना गिर जाना चाहिए पूरे लेख को पढने का दिल ही न करे क्यों कि उसकी भाषा दुर्गन्ध से भरी हुई थी. अरे भाई आपको बयान पसंद नहीं आया तो अपनी बात अपने रक्खी पर उसकी भाषा के चलते उसे किसी ने पढ़ा ही नहीं तो क्या आप उद्देश्य में सफल हुए.मेरा तो मानना है कि ऐसा नहीं हुआ. इसलिए श्रीमान जी आप इस पर विचार करेंगे ऐसा मै आपसे अपेक्षा रखता हूँ.

    बिपिन कुमार सिन्हा

  5. यह घिनौना राजनैतिक लेख जो कई हिंदी ऑनलाइन वेबसाईट्स पर दिखाया गया है उन बाल्मिकी, दलित और न जाने कई विभिन्न नामों की चिप्पी लगे भोले भाले भारतीयों को उकसा कांग्रेस द्वारा फिर से अपने चंगुल में लाने का यथा रीति प्रयास है| यदि ये लोग दलित, आदिवासी एवं अनुसूचित जाति का ठीक से नेतृव कर पाते तो आज तथाकथित स्वतंत्रता के पैंसठ वर्षों बाद इन लोगों की ऐसी दुर्दशा कदापि न होती| दलित आन्दोलन केवल एक चतुर योजना है जो केवल क्रूर व दुष्ट राजनीतिकों को लाभान्वित कर समाज में अनैतिकता व अन्य विकारों को जन्म देती है| जन जातियों से ऊपर उठ प्रत्येक व्यक्ति एक सम्मानित भारतीय नागरिक होना चाहिए जो अपनी योग्यता अनुसार आर्थिक व सामाजिक गतिविधियों में लिप्त देश को अपना व्यापक योगदान दे पाये|

  6. Please dont try to ignite hatred among the people of India.Everyone who knows English knows very well meaning of HONEYMOON. It has been used several times in different contexts. because of Baba’s support to Modi all this nonsense talk against him.

  7. jab baba ramdev ka bayan aaya tabhi maine tay liya tha ki pursotam mina ko ek vishay mil jayega jahar felane ka or aaj mai dehkh raha hun ki akhir jehar ugal hi diya ——baba ke bayan se koi sahmat nahi hai par aaj jab pure desh me bayan baji chal rahi hai tab isko is drasti se dekhna galat hoga ise rajkiy drasti se hi dekhna chahiye ——dusari bat mafi ki hai -tisari bat kongresi mansikta ki hai —-sab pehlu oke bare me soch ke likhna or bolna chahiye chahe vo baba ho ya minaji jaise lehkak–

    • अपनी टिप्पणी का रोमन शैली में लिप्यंतरण प्रस्तुत करने वाले पाठकों से मेरा अनुरोध है कि वे हिंदी को देवनागरी लिपि में ही लिखें| मैं ऐसे लेखों और टिप्पणियों को कदापि नहीं पढता| आप रोमन शैली में लिखे अपने परिपक्व और संजीदा विचारों से मुझे क्यों वंचित रखना चाहते हैं? हिंदी भाषा के अज्ञान के कारण अंग्रेजी भाषा में टिप्पणी लिखने की विवशता को समझा जा सकता है लेकिन हिंदी को रोमन शैली में लिखना भारत देश और हिंदी भाषा का अपमान है| स्वयं मुझे पैंतालीस-पचास वर्षों बाद हिंदी भाषा में रूचि हुई है| आज प्रयोक्ता-मैत्रीपूर्ण कंप्यूटर व अच्छे सोफ्टवेयर के आगमन के पश्चात अब देवनागरी लिपि में लिखना बहुत ही सरल हो गया है| मैंने यहाँ प्रचलित साफ्टवेयर्स की सहायता द्वारा हिंदी में लिख सकने का सुझाव दिया है| निम्नलिखित कदम उठाएं|
      १. हिंदी भाषी और जो अक्सर हिंदी में नहीं लिखते नीचे दिए लिंक को डाउनलोड करें: https://www.google.com/ime/transliteration/. आप वेबसाईट पर दिए आदेश का अनुसरण करें और अंग्रेजी अथवा हिंदी में लिखने के लिए Screen पर Language Bar में EN English (United States) or HI Hindi (India) किसी को चुन (हिंदी के अतिरिक्त चुनी हुई कई प्रांतीय भाषायों की लिपि में भी लिख सकेंगे) आप Microsoft Word में हिंदी में लेख का प्रारूप तैयार कर उसे कहीं भी Cut and Paste कर सकते हैं| वैसे तो इन्टरनेट पर किसी भी वेबसाईट पर सीधे हिंदी में लिख सकते हैं लेकिन पहले Microsoft Word में लिखने से आप छोटी बड़ी गलतीयों को ठीक कर सकते हैं और इस प्रकार इन्टरनेट पर कीया खर्चा कम होगा| HI Hindi (India) पर क्लिक कर आप Google पर सीधे हिंदी के शब्द लिख कर Internet पर उन वेबसाईट्स को खोज और देख सकेंगे जो कतई देखने को नहीं मिली|
      २. नीचे का लिंक शब्दकोष है जो आपको अंग्रेजी-हिंदी-अंग्रेजी की शब्दावली को प्रयोग करने में सहायक होगा| इसे आप अपने कम्पुटर पर Favorites में डाल जब चाहें प्रयोग में ला सकते है| https://www.shabdkosh.com/ हिंदी को सुचारू रूप से लिखने के लिए अंग्रेजी में साधारणता लिखे शब्दों का हिंदी में अनुवाद करना आवश्यक है| तभी आप अच्छी हिंदी लिख पायेंगे| अभ्यास करने पर हिंदी लिखने की दक्षता व गति बड़ेगी|”

        • अगर नहीं है,तो आप इंसान जी द्वारा बताये मार्ग का अनुसरण करें. हम सब वही करते हैं. मैं समझता हूँ कि अन्य टिप्पणीकार भी इन बातों का ख्याल रखेंगे,इससे सबको सुविधा होगी.

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