“बाबर की औलाद” का राष्ट्रपति भवन में मंचन शर्मनाक : विहिप

विहिप ने भेजा राष्ट्रपति व प्रधान मंत्री को पत्र, कहा-मंचन हुआ तो होगा प्रदर्शन

केन्द्रीय कानून मंत्री श्री सलमान खुर्शीद द्वारा लिखित नाटक “बाबर की औलाद” के राष्ट्रपति भवन में आज मंचन किये जाने का विश्व हिन्दू परिषद ने कडा विरोध किया है। विहिप दिल्ली के महा मंत्री श्री सत्येन्द्र मोहन ने आज इस नाटक पर प्रतिबन्ध लगाने हेतु राष्ट्रपति व प्रधान मंत्री को एक पत्र भेजा है। उन्होंने कहा है कि भारत के धन, इज्जत-आवरू तथा मन्दिरों को लूटने वाले बाबर और उसकी औलाद को राष्ट्रपति भवन में महिमा मण्डित करना समस्त देश भक्तों का अपमान होगा।

विहिप दिल्ली के मीडिया प्रमुख श्री विनोद बंसल ने बताया कि आज जब हमें यह खबर मिली कि राष्ट्रपति भवन में “बाबर की औलाद” या “सन्स आफ़ बाबर” का मंचन किया जाना है तो हमने तुरन्त इसे रोकने हेतु एक पत्र महामहिम को भेज कर बाबर की औलाद के देश द्रोही कुकर्मों की याद दिलाई। विहिप दिल्ली के महामंत्री श्री सत्येन्द्र मोहन द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि यह नाटक बाबर और उसकी औलाद को महिमा मण्डित करने वाला है जिसने अयोध्या स्थित भगवान श्री राम के मन्दिर सहित देश के लाखों मन्दिरों को तोडा, भारत की सम्पदा को लूटा, स्त्रियों का शील हरण किया तथा व्यापक पैमाने पर हिन्दुओं को प्रताडित कर धर्मांतरण को मजबूर किया। इतना ही नहीं, गुरू तेग बहादुर व गुरू गोविन्द सिंह जी महाराज व उनके चारों पुत्रों को बाबर व उसकी औलाद के कुकर्मों के कारण शहादत देनी पडी। महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपना पूरा जीवन इनसे लडते हुए स्वराज की स्थापनार्थ समर्पित कर दिया।

पत्र में कहा गया है कि श्री सलमान खुर्शीद द्वारा बाबर की तारीफ़ अपने धर्म के प्रति समर्पण की उनकी मजबूरी को दर्शाता है हालांकि केन्द्रीय मंत्री होने के नाते उनसे यह अपेक्षा देश का संविधान व उसके नागरिक नहीं करते है। वैसे सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक जैसे अनेक हिन्दू विरोधी कार्यों के लिए वे पहले से ही कुख्यात रहे हैं। किन्तु ऐसे नाटक के राष्ट्रपति भवन में मंचन हेतु महामहिम की अनुमति प्रत्येक हिन्दू व गुरू परम्परा के मानने वाले प्रत्येक सिख तथा अन्य राष्ट्र भक्तों के लिए अत्यन्त कष्टदायक व धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला है। भारत वासी आपसे एक निष्पक्ष व्यवहार की अपेक्षा करते हैं।

पत्र में यह भी कहा गया है कि हिन्दुओं के सबसे बडे त्यौहार दीपावली (जिसे बाबर व उसकी औलाद ने प्रतिबन्धित कर दिया था) के तीसरे दिन भाई दूज का पवित्र त्यौहार देश वासी मना रहे हैं। भारत का बहुसंख्यक समाज अपनी बडी बहन (प्रतिभा देवी) से अनुनय विनय करता है कि इस पवित्र दिन पर न सिर्फ़ इस नाटक को बल्कि इस पुस्तक को भी प्रतिबन्धित किया जाए। पहले भी अनेक बार ऐसे अनेक नाटकों व पुस्तकों को इसी आधार पर प्रतिबन्धित किया गया है। विहिप के अन्तर्राष्ट्रीय महामंत्री डा प्रवीण भाई तोगडिया द्वारा भी इस सम्बन्ध में एक पत्र आपको भेजा जा चुका है।

विहिप ने चेतावनी दी है कि यदि आज इस नाटक का मंचन हुआ तो विहिप-बजरंग दल के कार्यकर्ता इसका विरोध करेंगे।

1 COMMENT

  1. इतिहास ==>”बाबर का धुंध गरबा, काफ़िरों की खोपडियों के ढेर को फेरे लगाकर॥” “बाबर की औलाद” का मंचन सोच भी कैसे सकते हो? और वह भी राष्ट्रपति भवन में?

    ऊपरि लिखित वृतान्त (रपट) मैंने एलियट और डॉसन के ८ ग्रंथोंके संग्रह में पढा हुआ है।
    भारत में इन ग्रंथोंपर पाबंदी थी। मैं ने इन ग्रन्थों को, मेरे मित्र, जिन्होने इन पुस्तकों को खरिदा था, उनसे लाकर पढी थी।
    शायद आज यह पुस्तकें भारत में, बिकने पर प्रतिबंध है। यह सारा इतिहास तवारिखें लिखनेवाले “दरबारी” लेखकोने लिखा है।
    किसी तीसरे ने नहीं। बडा अधिकृत है।
    भारत के शासन का साहस हो, तो, इन पुस्तको पर लगा प्रतिबंध, ऐसा मंचन, करने के पहले हटाए।
    पर सच्चाई से डरने वाली सरकार, और क्या कर सकती है?
    ।सत्यमेव जयते।- काहे कहते हो? सच्चायी को काहे का डर?
    तवारिखों के के कुछ नाम जैसे, बाबरनामा, जहांगिरनामा, ऐसे करीब ४० एक नाम थे। मैं ने यह मेरी दृढ स्मृति के आधार पर लिखा है।
    पर, हमारा शासन हमें अंधेरे में रखकर, केवल एक तरफ़ा प्रचार कर वोट बैंक पक्की करना चाहता है। मुस्लिम पाठकों से बिनती, कि इन ठगों की चाल समझ लें।
    संदर्भ:
    History of India As Told by Her Own Historians (8 Volumes)
    H. M. Elliot (Author), John Dawson (Editor)

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