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बाबूजी का थैला - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
■ डॉ. सदानंद पॉल होश सँभालने से अबतक,थैले ढो रहे हैं बाबूजी;बचपन में स्लेट व पोथी लिएथैले ढोये थे बाबूजी;कुछ बड़े हुए, तो उसी थैले मेंटिकोले चुनते थे बाबूजी;उमर बढ़े, उसी थैले में मिट्टी खिलौने भरबेचने, मेले जाते थे बाबूजी;कुम्हारगिरी से गुजारे नहीं, तो दर्ज़ीगिरी लिएउसी थैले में कपड़े लाते…