पाक महीने को पाक ही रहने दो ….

 boko haramप्रतिमा शुक्ला

कहते है रमजान के पाक महीने में किसी को मारना गुनाह माना जाता है। रमजान के पाक महीने में मुसलमान रोजा रखते हैं। इस माह में विश्वास करने वाले लोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक खाने, पीने, धूम्रपान करने और सेक्स करने से परहेज करते हैं।

जिस तरह आईएसआई जिहाद के नाम पर आए दिन लोगों को बेदर्दी से मार रहे है क्या उनके जिहाद में सही माना जाता है या शायद उन्हें जिहाद का उद्देश्य ही याद नहीं।

अभी हाल ही में संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, एमनेस्टी इंटरनेशनल और मानवाधिकार पर्यवेक्षक ने पाकिस्तान सरकार से फांसी देने पर रोक लगाने का आग्रह किया तो पाक ने भी रमजान के पाक महीने में फांसी की सजा पर रोक लगाने का एलान किया। वही दूसरी ओर आइएस ने जिस प्रकार एक साथ 3 महाद्वीपों फ्रांस, काबुल, टियूनीशिया में रक्त रंजित हमलों को अंजाम दिया उससे लगता है कि आईएस दूसरे धर्म का क्या अपने ही धर्म, जिहाद का भी पालन नहीं कर पा रहे है।

सबसे पहले जानते है कि जिहाद क्या है , यह एक अरबी भाषा का शब्द है जो कि इस्लाम से सम्बन्धित है। यह मुसलमानों का एक मजहबी कर्तव्य है। शुरू से ही जिहाद पूरी दुनिया में विवाद का विषय रहा है।
इस्लाम में दो तरह के जिहाद बताए गए हैं एक है जेहाद अल अकबर यानी बड़ा जेहाद और दूसरा है जिहाद अल असगर यानी छोटा जिहाद। जिहाद अल अकबर वह है जो  जिहाद अल अकबर अहिंसात्मक संघर्ष है जिसमें आदमी अपने सुधार के लिए प्रयास करता है। इसका उद्देश्य है बुरी सोच को दबाना और कुचलना और जिहाद अल असगर का उद्देश्य इस्लाम के संरक्षण के लिए संघर्ष करना। जब इस्लाम के अनुपालन की आजादी न दी जाए, उसमें रुकावट डाली जाए, या किसी मुस्लिम देश पर हमला हो, मुसलमानों का शोषण किया जाए, उनपर अत्याचार किया जाए तो उसको रोकने की कोशिश करना और उसके लिए बलिदान देना जेहाद अल असगर है।

अभी हाल ही में आइएस ने ट्यूनीशिया (अफ्रीका), कुवैत व सीरिया (एशिया) और फ्रांस (यूरोप) में अलग-अलग तरीके से हमले करके 250 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया। जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आईएस जरूर इस रमजान के महीने में पूरी दुनिया में रक्तपात का नया अध्याय लिखने का इरादा बना चुका है और चेतावनी भी दी गई कि इस क्रम में ब्रिटेन और अमेरिका उसके अगले बड़े टारगेट हो सकते है। लंदन में आर्मी फोर्सेज डे परेड पर आइएस के हमले की साजिश के बेनकाब हो जाने के बाद अब इस बात की आशंका जताई जा रही है कि  अमेरिका में 4 जुलाई को इंडिपेंडेंस डे मनाया जाएगा हो सकता है अगला हमला  अमेरिका ही हो। इसका खुलासा अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने रिपोर्ट भी जारी की है और पूरे अमेरिका में अलर्ट घोषित कर दिया गया है।

फ्रांस में हुए आइएस द्वारा लोन वोल्फ अटैक किए जाने और लंदन में आर्मी फोर्सेज डे पर बड़े आतंकी हमले के भंडाफोड़ हो जाने के बाद अमेरिका में भी दहशत साफ तौर पर महसूस की जा सकती है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने ही आतंकियों के उस मैसेज को इंटरसेप्ट किया था जिसमें कहा गया था कि रमजान माह में जिहाद करने से सवाब 10 गुना बढ़ जाता है। ऐसे में माना जा रहा था कि इस बार रमजान महीना रक्तपात का महीना साबित हो सकता है। एजेंसियों को फ्रांस के अलावा ट्यूनीशिया और कुवैत के हमलों की भी भनक थी मगर वो उसे रोक न पाए। अब उन्हें डर है कि इन देशों को टारगेट करने के बाद आइएस अमेरिका से सीधी टक्कर लेने के लिए 4 जुलाई को इंडिपेंडेंस डे या उसके आस-पास किसी बड़ी आतंकी घटना को अंजाम दे सकता है।

उधर, लंदन में आर्मी डे परेड को आइएस आतंकी निशाना बनाने वाले थे, मगर वक्त रहते इस हमले को नाकाम कर दिया गया। खास बात ये है कि आर्मी डे परेड पर जो हमले होने वाले थे वो प्रेशर कुकर बम मॉड्यूल पर डिजाइंड थे। एक लीडिंग ब्रिटिश डेली के अंडरकवर जर्नलिस्ट की वजह से ये हमले नाकाम हुए। ये जर्नलिस्ट काफी वक्त से आइएस के संपर्क में था और आतंकी उसकी असली पहचान के बारे में नहीं जानते थे। आतंकियों ने इसी जर्नलिस्ट को आर्मी डे परेड में बम धमाके अंजाम देने की जिम्मेदारी सौंपी थी इस कारण उसने सिक्योरिटी फोर्सेज को सारी जानकारी दे दी और इस प्रकार शनिवार को ब्रिटेन पर आतंकी हमला टल गया। इस घटनाक्रम से इतर स्टॉर्टफोर्ड में आर्मी डे परेड का शांतिपूर्वक संचालन किया गया जिसमें लोगों ने भयमुक्त होकर हिस्सा लिया।

भारत और चीन में भी खतरा रमजान के महीने में आतंक जिस प्रकार खूनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं उससे भारत और चीन के लिए भी खतरा बढ़ा है। भारत में जिस प्रकार  एक बार फिर कश्मीर में अलगाववादियों ने आइएस के झंडे लहराए उससे देश में इन आतंकियों के हमले का खतरा गहराया है।

हालांकि, भारत से ज्यादा चिंता तो चीन को होनी चाहिए क्योंकि एक तरफ तो वहां रमजान के महीने में उइगर मुस्लिमों का दमन हो रहा है दूसरी तरह पाकिस्तान के लिए चीन अपने दरवाजे खोल रहा है। पाक में इन दिनों आइएस दस्तक दे चुका है ऐसे में कोई बड़ी बात नहीं है कि जल्द ही चीन में भी ये आतंकी अपनी खूनी घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर दें।

अभी हाल ही में आईएस ने रमजान में दिन में खाना खाने पर दो बच्चों को बेदर्दी से मार डाला गया। क्या जिहाद, धर्म के नाम पर बच्चों को मार देने देने से उन्होने रमजान के माह को और ज्यादा अपवित्र नहीं कर दिया है और एक तरफ सोचने वाली बात है कि ऐसा कर इन लोगों ने खुद ही गुनाह कर डाला।

क्या उन्होंने अपने धर्म का पालन करने के चक्कर में नाबालिक भूखे बच्चों की जान लेकर गुनाह नहीं किया ? आखिर ये स्वयं ही क्यों नही सोच पाते की गुनाह को बचाने के लिए वे स्वयं ही गुनाह  पर गुनाह करते जा रहे है।
इस्लामिक स्टेट ने ऐलान किया कि इस्लामिक कानून और शरिया (सऊदी अरब में शरिया कानून चलता है। शरिया कानून टिट फॉर टेट यानी जैसे को तैसा के आधार पर कई मामलों में सजा का प्रावधान करता है। यहां बलात्कार के दोषी को सजा ए मौत मिलती है।

मौत भी बंद दरवाजों के पीछे नहीं बल्कि सार्वजनिक स्थान पर सरेआम पेड़ से लटका कर दी जाती है। इसका उद्देश्य यही है कि बलात्कार के अंजाम से समाज अंजान न रहे। हालांकि यहां हाथ काट देने व आंखें निकाल देने की सजा भी है लेकिन सबसे ज्यादा चलन में है फांसी की सजा) का समर्थन करता है। यदि किसी ने इसका उल्लंघन किया तो वे उसे मार कर स्वयं ही गुनाहगार बन जाते है।

रमजान के महीने में एक तरफ केदियो को फांसी न देने की अपील की जाती है तो दूसरी तरफ रमजान के महीने में मस्जिद में बम ब्लास्ट कर मासूम को मार दिया जाता है तो क्या ये आतंकी संगठन क्या रमजान के महीने में किसी की जान लेना गुनाह नही हैं एक तरफ जिहाद की बात करते है तो दूसरी और गुनाह कर के कैसे अल्लाह को खुश कर पाएंगे ये लोग कम से कम पाक महीने को पाक ही रहने दो ….

2 COMMENTS

  1. इस से बेहतर कुछ हो ही नही सकता !! सच बात !z

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