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व्यंग्य बाण : मिलावट के लिए खेद है - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-विजय कुमार- गरमी में इन्सान तो क्या, पेड़-पौधे और पशु-पक्षियों का भी बुरा हाल हो जाता है। शर्मा जी भी इसके अपवाद नहीं हैं। कल सुबह पार्क में आये, तो हाथ के अखबार को हिलाते हुए जोर-जोर से चिल्ला रहे थे, ‘‘देखो...देखो...। क्या जमाना आ गया है ?’’ इतना कहकर…