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महानता के बरगद तले भारतीय रंगमंच - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अश्विनी कुमार पंकज सामंती और औपनिवेशिक गुलामी से भारतीय समाज अभी भी उबरा नहीं है. बल्कि ग्लोबलाइजेशन के बाद उसमें और गहरे धंस जाने की होड़ लगी है. भारत के स्त्री, किसान-मजदूर और दलित-वंचित उत्पीड़ित राष्ट्रीयताओं के सृजन संघर्ष को साहित्य, कला, रंगमंच में अंकन का ऐतिहासिक सवाल हो या…