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बटुये में दाल - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
प्रभुदयाल श्रीवास्तव बटुये में चूल्हे पर, पकने दो दाल। दाल खदबदाएगी,खूब महक आएगी।मन मयूर नाचेगा,नाक बहक जाएगी।खुशियों से मत पूछो,क्या होगा हाल।शम्मी ने मोहन ने,रम्मी ने खाई है।अम्मा को बापू को,बहुत- बहुत भाई है।दादी के हाथों की,अमृत सी दाल।ऐसी ये दाल गरम,थाल सजा देती है।चांवल में घी के संग,बहुत मजा…