बेवफा

 food कांबले साहेबराव                                                          

मैंने उसको सहलाया ,दुलारा ,प्यार से देखा

उसके आने का इंतज़ार किया।

अपना पसीना बहा कर उसे सींचा

पर आज ओ इतरा रहा है ,

किसी रेस्तरा मैं एक सेठ के

प्लेट के सामने पड़ा हुआ

थोड़ा गौर से मैंने उसे देखा ,

तो उसका रंग बदल गया था

मेरे पसीने की गंध उसमे नहीं थी।

ओतो किसी शाही मसाले में मिलकर ,उतावला हो गया था।

उस सेठ की जुबां पर चढ़ने के लिए।

और मैं यहाँ भूक से तड़प रहा हु।

पर वह आनाज का दाना बेवफा निकला I

क्या पता किसी ने मेरे खिलाफ उसे भड़काया होगा।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here