pravakta.com
क्षितिज के पार  - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
आत्‍माराम यादव पीव दूर क्षितिज के पार शून्य मेंऑखें भेदना चाहती है व्योम कोपुच्छल छल्लों का बनता बिगड़ता गुच्छाऑखों की परिधि में आवद्घ रहकरथिरकता हुआ ओझल हो जाता हैऑखें कितनी बेबश होती हैअपनी पूर्ण क्षमता केउन गुच्छों के स्वरूप कोथिर देखने को उत्सुक ।अनवरत चल पडता हैउन छल्लों का शक्तिस्त्रोतऑखों से…