मेरे अन्तर्मन में भगत सिंह

0
172

अन्तर्मन में भगत सिंह।।

मेरे अन्तर्मन में भगत सिंह, गांधी को मैं नही पूजता
नेता सुभाष ,विस्मिल,आजाद, अब्दुल हमीद को नही भूलता।
सुखदेव,राजगुरू की कुर्बानी,आज के नेता कहते क्रूरता
अशफाक, शिवाजी का भारत, होते राणा तो नही टूटता।
मेरे अन्तर्मन में भगत सिंह, गांधी को मैं नही पूजता।

गर आज भगत सिंह होते तो ये दशा नही देखी जाती
और संसद और विधान भवन में फिर से बम फेकी जाती
ये क्रूर हुए मशहूर हुए, खुद को कहते भारतवासी
देशभक्तों पर आरोप लगे, गद्दारों की रूकती फांसी
प्रतिरूप आपके आज भी है, पर सत्ता कोई नही सौपता
मेरे अन्तर्मन में भगत सिंह, गांधी को मैं नही पूजता।

जनता हित की गर बात करें शासन के दुश्मन बन बैठे।
ज्यों सांप शिकारों को देखे कुण्डली मार ऐसे ऐठें
हम अपने हक की बात करें लाठी से मारें जातें है
उस पापी नीच सांडर्स के तस्वीर दिखाये जाते है
यदि आज आप जीवित होते, इतिहास स्वयं को दुहराता
मेरे अन्तर्मन में भगत सिंह, गांधी को मैं नही पूजता।

देशभक्त के साथ नही, ये हाथ मिलाते दुश्मन से
ये पाक की बिरियानी खाते और आंख लड़ाते लंदन से
जिस डायर को गोली मारी ऊधम सिंह जी ने लंदन में
आज बहुत डायर भारत में,ज्यों भुजंग हो चंदन में
कुर्सी जिनकी मां बन बैठी भारत मां डायन जिन्हे सूझता
मेरे अन्तर्मन में भगत सिंह, गांधी को मैं नही पूजता।

भारत के सच्चे सपूत, खुद झूल गये हंसते फांसी
उनकी तो कोई कदर नही, नोटों पर छपतें हैं गांधी
ये ठीक हुआ जो आप नही, हैं नोटों पर छापे जाते
वरना इन दुष्टों के हाथों, कोठों पर भी फेंके जाते
अपने एहसांसो की कड़ियां, स्रद्धा से मैं तुम्हे सौपता
मेरे अन्तर्मन में भगत सिंह, गांधी को मैं नही पूजता।।
-अजय एहसास

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here