भारत के लोकप्रिय एवं यशस्वी प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को उनकी जयन्ती पर सादर नमन

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आज जयन्ती के अवसर पर पावन स्मरण-

मनमोहन कुमार आर्य

               आज देश के सर्वप्रिय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी (1904-1966) की जयन्ती है। वह श्री पिता शारदा प्रसाद श्रीवास्तव तथा माता श्रीमती राम दुलारी देवी जी के सुयोग्य पुत्र थे। शास्त्री जी की महत्ता अनेक बातों के साथ इस बात में भी है कि वह एक निर्धन परिवार में जन्में थे और उन्होंने अपने श्रेष्ठ गुणों व आदर्श आचरण के आधार पर अपने व्यक्तित्व को प्रधानमंत्री पद के सर्वथा अनुरूप बनाया था। बचपन में वह निर्धनता व अभावों से ग्रस्त रहे। देश की आजादी में उन्होंने सक्रिय भाग लिया। उनका सारा जीवन सच्चाई और देशभक्ति के मार्ग पर चलने वाले एक आदर्श व्यक्ति का आदर्श उदाहरण है। सादा जीवन उच्च विचार को उन्होंने अपने जीवन में चरित्रार्थ किया। अंग्रेजी में कहें तो उन्होंने ‘‘Characters makes a gentleman” (अर्थात मनुष्य पैतृक धनदौलत, पढाई लिखाई व उपाधियों आदि से नहीं अपितु चारित्रिक गुणों व संयम से महान बनता है) के उदाहरण को चरितार्थ किया था। प्रधानमंत्री जैसे पद पर रहकर भी उन्होंने सत्य का ऐसा पालन किया कि उनके कार्यों को स्मरण कर रोमांच होता है और शिर उनके प्रति श्रद्धा से झुक जाता है। बचपन से ही हम उनके जीवन की घटनाओं को सुनकर उनसे प्रभावित होते रहे हैं। उनकी मृत्यु के समय हम 14 वर्ष के थे और कक्षा 8 में पढ़ते थे। हमें आज भी याद है जब यह समाचार आया था तो हमारे स्कूल की छुट्टी कर दी गई थी। हम उनके जीवन पर विचार करते हैं तो हमें लगता है कि उनके भीतर जो श्रेष्ठ गुण थे वह उनके राजनीतिक अग्रणीय पुरुषों के कारण नहीं अपितु उनकी आत्मा पर उनके पूर्वजन्म के संस्कार, पारिवारिक संस्कार उनके विद्यालयीय गुरुजनों सहित उनके सज्जन मित्रों वा उनकी संगति की देन थे। देशभक्ति से उनका रोम-रोम पुलकित था। उन्होंने अगस्त-सितम्बर, सन् 1965 के युद्ध में पाकिस्तान को बहुत अच्छा सबक सिखाया था। भारत की सेनायें पाकिस्तान के काफी अन्दर तक घुस गईं थी। इसके बाद वह किसी अन्तर्राष्ट्रीय षडयन्त्र का शिकार हुए और ताशकन्द में उनकी रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गयी थी। हमने यह भी सुना है कि एक प्रधानमंत्री होते हुए भी भारत सरकार ने उनकी मृत्यु की जांच नहीं कराई थी। उनकी डायरी भी सार्वजनिक नहीं की गई। ऐसा लगता है कि उनकी मृत्यु के रहस्य पर आज भी परदा पड़ा हुआ है। इसी कारण से उनकी मृत्यु के रहस्य पर कई तरह की बातें प्रचलित हैं। वर्तमान सरकार भी उनकी मृत्यु के रहस्य को सार्वजनिक नहीं कर पाई।

       लाल बहादुर शास्त्री जी के प्रधानमंत्रित्व काल में देश में अन्न का संकट उत्पन्न हुआ था। शास्त्री जी ने इसके लिये देश को सप्ताह में एक दिन उपवास करने का आह्वान किया था। देश की जनता ने इसको अपना भरपूर समर्थन दिया था। उन दिनों देश भर में होटल तक बन्द रहा करते थे। इसके बाद बहुत जल्दी देश उस विषम परिस्थिति से बाहर आ गया था।

       लाल बहादुर शास्त्री जी का व्यक्तित्व अत्यन्त महान था। उन्होंने ही देश को ‘‘जय जवान जय किसान” का नारा दिया था। यह नारा तब अत्यन्त लोकप्रिय व प्रचलित हुआ था। आज भी यह नारा सार्थक है। बिना सैनिकों और किसानों का आदर व सम्मान किये यह देश जीवित नहीं रह सकता। महर्षि दयानन्द ने किसान को राजाओं का भी राजा लिखा व कहा है। वस्तुतः किसान अन्नदाता होने के साथ ही राजाओं का राजा अर्थात् राजा से भी बड़ा है। हम लाल बहादुर शास्त्री जी की जयन्ती पर अपने देश के सैनिकों एवं किसानों को सादर नमन करते हैं।

       प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन में सादगी उच्च स्तर की थी। वह प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने दिल्ली में रहते हुए गर्मी के दिनों में भी वातानुकूलित उपकरणों को हटवा दिया था। वह साधारण पंखे में ही अपने परिवारजनों के साथ सामान्य जीवन व्यतीत करते थे। उनके पास एक सस्ती कार थी जिसे उन्होंने किश्तों में लिया था और हमें स्मरण आता है कि मृत्यु के समय तक उसकी पूरी किश्ते भी जमा नहीं कर पाये थे। एक बार उनको पूर्व प्रधानमंत्री ने विदेश में किसी मीटिंग में जाने के लिये कहा। उनके पास उस समय अच्छा कोट तक नहीं था। केन्द्रीय मंत्री होते हुए तब वह प्रधान मंत्री का दिया हुआ कोट लेकर गये थे।

       सादगी और ईमानदारी में कोई नेता उनकी बराबरी नहीं कर सकता। आज तो सांसद व विधायक बनते ही भारी भरकम सुविधायें मिलती हैं और उनका जीवन ठाठ-बाट का जीवन होता है। देश के नागरिकों को सब्सिडी छोड़ने के लिये कहा जाता है परन्तु हमारे जन प्रतिनिधि व सेवक कहे जाने वाले लोग राजा-महाराजाओं की तरह ठाठ करते हैं और फिर भी कुछ बड़े नेताओं तक के भ्रष्टाचार के उदाहरण समाने आते रहते हैं। हमें ऐसी परिस्थितियों में प्रधानमत्री लाल बहादुर शास्त्री कोई साधारण मानव नहीं अपितु एक असाधारण पुरुष तथा सच्चे देवता लगते हैं जो देश के वन्दनीय पुरुष हैं।

       आजकल कुर्सी के उठा पटक दिन प्रतिदिन देखते रहते हैं। उस समय भी कुछ लोग प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए लालायित रहे होंगे। उन्होंने उसकी प्राप्ति के लिये क्या क्या खेल खेले होंगे, इसका अनुमान लगा सकते हैं।

       हम समझते हैं लाल बहादुर शास्त्री जी मर कर भी अमर हो गये। उनका यश कभी कम नहीं होगा। वह कांग्रेस पार्टी के सबसे लोकप्रिय एवं सफल प्रधानमंत्री रहे जिन्होंने अपने सदाचार पूर्ण चरित्र व व्यवहार से देश की जनता के दिल में जगह बनाई है। शास्त्री जी में आत्मिक व चारित्रिक बल सहित देशभक्ति की जो ज्वाला प्रचण्ड रूप से प्रज्जवलित थी वह देश के प्रधानमंत्रियों में कम ही पाई जाती है। आज उनकी जयन्ती पर उनको बारम्बार नमन है। ओ३म् शम्।

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