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मुर्दों का शहर हो गया भोपाल एक दिन - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-केशव आचार्य तेग मुंसिफ हो जहां दारो रसन हो शाहिद बेगुनाह कौन है इस शहर में कातिल के सिवा.....? एक तरफ आंसूओं से डबडबाई आंखें......पिछले २५ सालों के जख्मों को महसूस कर रही होगीं....तो दूसरी तरफ सत्तासीन कहीं दूर शादी के जश्न मे डूबे तमाम लोग........ये दो चेहरे हैं एक…