विवेक कुमार पाठक
बिग बॉस टेलीविजन शो का 12 वां संस्करण दर्शकों के सामने परोसा जा रहा है। ये शो एक अजब गजब शो है। विवाद इसकी यूएसपी है। यह शो इस विचार को मजबूत करता है कि दुनिया में हर चीज बिकती है। आपकी अच्छाई को भले न कोई पूछे मगर विवाद सोने के भाव बिकेगा एकदम। बिग बॉस विवादों का खरीदार है। जो शख्स जितना बड़ा विवादित वो बिग बॉस को उतना प्यारा।
जसलीन मथारु और अनूप जलोटा की विवादित प्रेम कहानी को बिग बॉस के घर में बेचा जा रहा है। सोचिए कि क्या अनूप जलोटा ने इससे पहले जो तीन शादियां जिन महिलाओं से की थीं उनके नाम टीवी दर्शकों को याद हैं। क्या देश की महिलाएं युवा और यहां तक की स्कूली बच्चे जिस जसलीन मथारु का आपसी चर्चाओं और गपबाजी में नाम ले रहे हैं पहले जसलीन के नाम तक को भी जानते थे। एक नया नाम अचानक देश भर में चर्चा में है मगर अपनी प्रतिभा के लिए नहीं। यह नाम नैतिक रुप से कुछ बदनाम होकर भी मिला है।
बेशक हर भारतीय को स्वतंत्रता से जीवन का अधिकार है और कानून का उल्लंघन किए बिना सब कुछ मनचाहा करने का अधिकार है। भजन सम्राट कहे जाने वाले अनूप जलोटा ने अपने इस अधिकार का प्रयोग किया और अपने से 37 साल छोटी जसलीन मथारु के साथ प्रेम के गीत गाने लगे।
ये प्रेम के गीत सामान्य नहीं हैं। सामान्य होते तो विवादों का पुजारी बिग बॉस उन्हें नहीं बुलाता। बिग बॉस वही दिखाना चाहता है सो सबसे अलग हो। सबसे अलग को देखने सुनने की मानवीय जिज्ञासा सनातन है। कलर्स टीवी का बिग बॉस शो इसी जिज्ञासा की बदौलत सनसनी और विवादों को बेच पाता है। अनूप जलोटा का 37 साल छोटी जसलीन मथारु को दिल दे बैठना बिग बॉस की ताजा सनसनी है। निसंदेह हमेशा की तरह ये सनसनी बिकी है। रातों रात बिना प्रतिभा और पहचान के जलोटा से दो चार गीत सीखने वालीं जसलीन मथारु टीवी और सोशल मीडिया में छा गईं हैं। ये घंटों में मिलने वाली पहचान विवादों के पंखों से आती है और हजार से लाखों और लाखों से करोड़ों की नजर में आया विवाद टीवी चैनलों को टीआरपी दे जाता है।
तो विवाद मतलब टीआरपी और टीआरपी मतलब चैनल पर बाजार से बरसने वाला पैसा।
बिग बॉस इसी खेल का नाम है।
इसमें शो का निर्माता किसी मदारी की तरह समाज के उन सेलीब्रिटी को सामने लाता है जिनसे विवाद जुड़ गया है। चेहरा विवाद खड़ा कर रहा है तो फिर इस बात की चिंता भी नहीं कि वो छोटा सेलीब्रिटी है या बड़ा सेलीब्रिटी या फिर शून्य बटे सन्नाटा।
ऐसी लागि लगन मीरा हो गई मगन गाने वाले अनूप जलोटा बिग बॉस शो में गा रहे हैं कि तुम टमाटर को कहो प्याज तो हम प्याज कहेंगे जो तुमको पसंद है वही बात कहेंगे। ये अटपटा अनसुना इसलिए देखा सुना जाता है कि ऐसा पहले नहीं हुआ था। तो बिग बॉस हो या इस तरह के दूसरे शो किसी तरह दर्शकों को इकट्ठा करने के तमाम तमाशे कर रहे हैं। पूरी प्रतिभा तमाशा खड़ा करने और तमाशबीनों की संख्या दिखाकर पैसा कूटने की है।
ये दर्शकों के भीड़तंत्र के भरोसे टीवी कारोबार का असल सच है। इसमें विचार गायब है और व्यापार आगे है।
जो बिकेगा वही दिखेगा फिर वो बिकने वाला हद दर्जे की सस्ती चीज ही क्यों न हो। बिग बॉस पर सस्ता विवाद महंगा करके बेचा जा रहा है। इस तरह के शो दरअसल इंसानी मनोविज्ञान और उसके रसायनों के ताने बाने पर चल रहे हैं। हमें उपर चढ़ने के लिए बहुत कुछ करना पढ़ता है मगर गिरने के लिए कुछ नहीं करना होता। गुरुत्वाकर्षण सिर्फ भूगोल में नहीं मानवीय स्वभाव में भी निरंतर होता है इसीलिए दुनिया भर में मन मंदिर को सुंदर उजला बनाने के लिए तमाम आराधना स्थलों पर प्रार्थनाएं गाई जाती हैं। मंदिर के घड़ियाल, मस्जिद की अजान, चर्च की प्रेयर इंसान को बुराई से अच्छाई की ओर ले जाने के आध्यात्मिक प्रयास हैं। मानव मन की स्वभाविक प्रवृत्ति है अधोगति। गीता में योगेश्वर कृष्ण कहते हैं कि ये मन वायु के समान चंचल है मगर अभ्यास और वैराग्य से इसे काबू करना संभव है। इस तरह हमें मन को पावन करने के लिए निरंतर अभ्यास की आवश्यकता है। हमें हर तरफ से अच्छे जीवन मूल्यों की ओर ले जाने वाले विचारों की जरुरत है मगर टीवी और सिनेमा से मिल रहे विचार क्या वही अभ्यास कराते हैं। टीवी और सिनेमा लाखों करोड़ा लोगों के विचार को बना सकते हैं और बिगाड़ भी सकते हैं। करोड़ों भारतवासी अपनी गुजरती जिंदगी में से कितना कुछ भूल जाते हैं मगर क्या रामानंद सागर की रामायण और बी आर चोपड़ा के महाभारत के संवाद और चित्र भूल पाए हैं। क्या श्रीकृष्णा सीरियल में कृष्ण के अवतार और लीलाएं हमारी यादों में हैं नहीं क्या। क्या रजत कपूर का व्योमकेश बख्शी, सुदेश बेरी का सुराग, शाहरुख खान का फौजी और सर्कस और शेखर कपूर के उड़ान सीरियल में कविता चौधरी की कल्याणी के रुप में आसमानी उड़ान हम पूरी तरह भूल पाए हैं। नहीं एकदम तो बिल्कुल नहीं। अगर सालों पहले की ये स्मृतियां कायम हैं तो फिर बिग बॉस सरीखा टीवी शो भी स्मृति से जाने से रहा। एकदम वो भी इन मशहूर टीवी सीरियलो की तरह करोड़ों दर्शकों की स्मृति का हिस्सा बनता जा रहा है।
लगभग एक दशक में कलर्स पर बिग बॉस के तमाम शो में सबसे विवादित चेहरे भारतीयों के दिमाग पर चढ़ गए हैं। फिर चाहे वो पाकिस्तान से आईं अदाकारा वीणा मालिक हों ।
शो पर प्यार मोहब्बत की आड़ में शारीरिक आकर्षण के पर्दे टीवी पर बिग बॉस ने कमाई के लिए खोलकर रख दिए हैं। ये और ऐसे शो मानवीय जीवन के सभी पर्दे खत्म कर देंगे बशर्ते उन्हें सेंसर से छूट मिल जाए। कारोबार और कमाना ही उनका लक्ष्य है। विवादों को बेचने से पैसा आए तो फिर कुछ नहीं सोचना। जो जितना फूहड़ और सनसनीबाज बनेगा वो उतना बिग बॉस पर देखा जाएगा। इस बार अनूप जलोटा की भजन सम्राट छवि का खुद अनूप जलोटा जुलूस निकाल रहे हैं। जग में सुंदर हैं दो नाम और ऐसी लागि लगन मीरा हो गई मगन गाकर लोगों की स्मृतियों में बसे अनूप जलोटा बिग बॉस की दुकान पर अपनी भक्ति रस में पगी छवि पर बेमेल मोहब्बत की कलई पोत रहे हैं। अपने से 37 साल छोटी माशूका से इश्क लड़ाने से जो विवाद पैदा हुआ जलोटा उसका ईनाम बसूल रहे हैं। ये विवाद बिक भी रहा है क्योंकि भीड़तंत्र में अब कचरा कूड़ा सब देखा जाता है और भागमभाग में बिक भी फटाफट जाता है। ये बिका हुआ कितना सोना दिलाएगा ये तय नहीं होता मगर ये शो के समापन पर अनूप जलोटा को भजन सम्राट की छवि से मुक्ति जरुर दिलाएगा। अनूप आगे भी भजन गाते रहेंगे मगर वे तब वे सिर्फ भजन गायक होंगे मगर लोगों के हृदय में बसने वाले निर्मल छवि वाले भजन सम्राट अनूप जलोटा नहीं।