आतंकवाद के विरोध में बड़ी सफलता

सुरेश हिन्दुस्थानी
कोई माने या न माने, लेकिन पिछले पांच वर्षों में भारत ने आतंकवाद को रोकने में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त की है। पहले जहां देश के अंदर आतंकवाद की घटनाएं घटित होती थीं। आज उसमें कमी आई है। इसका मुख्य कारण सीमा पर सेना की चौकसी ही है। अभी हाल ही में राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने विदेशी आतंकी समूहों से प्रेरित आतंकियों की योजना का भंडाफोड करते हुए दस ऐसे सदस्यों को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है, जो देश में श्रंखला बद्ध विस्फोट करने की योजना बना रहे थे। जांच के बाद सामने आया कि यह गिरोह देश की राजधानी दिल्ली उत्तरप्रदेश के कुछ शहरों में सक्रिय होने की फिराक में थे। आईएसआईएस से प्रेरित भारत में सक्रिय नए आतंकी समूह ‘हरकत उल हर्ब ए इस्लामÓ की अशांति फैलाने वाली कार्ययोजना को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने असफल कर दिया। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस नए आतंकी समूह के सदस्यों के पास इतनी बड़ी संख्या में विस्फोटक सामग्री और हथियार किसने और कहां से उपलब्ध कराए। दूसरी बात यह भी है कि हमारे देश में इन सबको समर्थन कौन करता है। वास्तव में इस सबकी जांच होना चाहिए, नहीं तो आतंकी समूहों का नेटवर्क और बढ़ा ही जाएगा।
अभी हाल ही में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा और उत्तरप्रदेश की आतंकवाद निरोधक दल के साथ मिलकर लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक स्थानों पर छापे मारकर आतंकियों के इस समूह का भंडाफोड़ किया और समूह के सदस्यों का भंडाफोड़ किया। इस छापेमारी में भारी मात्रा में हथियार, ग्रेनेड और ग्रेनेड लांचर, नकद रुपये, जिहादी पुस्तकें, सौ से अधिक मोबाइल और 150 सिम कार्ड भी बरामद हुए हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी के जांच दल को दिल्ली के जाफराबाद से भी हथियार मिले हैं।
इतनी बड़ी संख्या में हथियारों का जखीरा मिलने से यह तो स्पष्ट हो ही जाता है कि ‘हरकत उल हर्ब ए इस्लामÓ समूह बहुत बड़ी साजिश के अंतर्गत तवाही को अंजाम देना चाहता था। इस खतरनाक षड्यंत्र को नाकाम करके हमारे देश की जांच एजेंसियों ने देश को बहुत बड़े खतरे से बचाने में सफलता प्राप्त की है। जो अत्यंत ही स्वागत योग्य कदम है। सबसे बड़ी विसंगति तो यह है कि देश की छोटी छोटी समस्यओं पर राजनीति करने वाले दल और उनके नेता इस बड़ी घटना पर मौन साध कर बैठ गए हैं। इससे यही लगता है कि देश में रचनात्मक राजनीति का तिरोहन हो चुका है। जबकि देश भाव की राजनीति का प्रमाण यही होता है कि हर अच्छे काम का समर्थन मिलना ही चाहिए।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी और अन्य जांच दल के इस अभियान को लेकर देश में अच्छी प्रतिक्रिया भी मिल रही है और इस काम को सराहा भी जा रहा है, लेकिन देश के कुछ स्थानों में बहुत बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री और हथियार मिलना कहीं न कहीं यह सवाल तो खड़े कर ही रहा है कि हमारे देश में भी अंदर ही अंदर आतंकी घटनाओं की तैयारी चल रही है। सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि हम कितने भी सुरक्षित या असुरक्षित महसूस करें, लेकिन आईएसआईएस का जाल पूरे देश में फैलता ही जा रहा है। आईएसआईएस से जुड़ाव रखने वाला ‘हरकत उल हर्ब ए इस्लामÓ एक ही आतंकी समूह सामने आया है, हो सकता है कि देश में ऐसे ही अन्य संगठन भी कार्य कर रहे हों। खैर… जो भी हो यह जांच का विषय है और इस बात की जांच होना भी चाहिए। लेकिन सबसे बड़ी जांच इस बात की भी होना चाहिए कि इन समूहों को हथियार और धन कौन उपलब्ध कराता है। हमारे देश में विदेशी आतंकी समूहों के संकेत पर कौन लोग कार्य कर रहे हैं? राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने विस्फोटक सामग्री के साथ दस सदस्य भले ही गिरफ्तार कर लिए हों, लेकिन इनकी गिरफ्तारी से खतरा टल गया हो, ऐसा सोचना हमारी भूल ही मानी जाएगी। हमारी सरकार को अब और भी ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने तो यह भी खुलासा किया है कि आतंक का यह गिरोह देश के कुछ बड़े नेताओं और देश के महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाने की योजना कर रहा था।
इस षड्यंत्र में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह भी सामने आया है कि जो आतंकी गिरफ्तार किए हैं, वे सब पढ़े लिखे हैं। इसलिए अब यह कहना कि यह भटके हुए नौजवान हैं, से काम नहीं चलेगा। इससे यह भी प्रमाणित होता है कि विदेशी आतंकी समूह भारत के पढ़े लिखे युवाओं को अपने जाल में फंसाने का दुष्चक्र कर रहा है। और भारत के युवा उनकी ओर आकर्षित भी होते जा रहे हैं। केरल में ऐसे प्रमाण सामने आ भी चुके हैं। इसी प्रकार के उदाहरण अन्य स्थानों के भी हैं। हमें याद होगा कि देश के शिक्षण संस्थानों में भी आतंकी घुसपैठ होने लगी है। अभी कुछ महीने पूर्व पंजाब के एक शिक्षण संस्थान से हथियार सहित युवा आतंकी गिरफ्तार किए गए थे, जो इसका प्रमाण है। इसी प्रकार जम्मू कश्मीर में भी युवाओं को आतंक फैलाने के लिए प्रेरित करने के कई कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। पाकिस्तान परस्त मानसिकता वाले लोग ऐसे काम करने में सहयोग कर रहे हैं। हालांकि पत्थरबाजी की घटनाओं में फिलहाल कमी आई है। जो सेना की एक सफलता है। चिंता की बात यह भी है कि इस गिरोह के पास से एक देसी रॉकेट लांचर भी बरामद किया गया है। जिन दस लोगों को गिरफ्तार किया गया हैं, वे सभी युवावस्था में हैं और इनमें एक युवती भी शामिल है। ये सभी मध्यम वर्गीय परिवारों से हैं और कुछ काफी पढ़े-लिखे भी हैं। इनमें एक तो मौलवी और एक इंजीनियरिंग का छात्र है। इससे यह धारणा एक बार फिर खारिज हो जाती है कि केवल गरीब और अनपढ़ युवा ही आसानी से गुमराह होकर आतंक की राह पर चले जाते हैं। कश्मीर में पढ़े-लिखे युवकों के आतंकी बन जाने की खबरें भी पिछले कुछ दिनों से लगातार मिल रही है।
इसमें एक खास बात यह भी है कि ‘हरकत उल हर्ब ए इस्लामÓ नामक आतंकी समूह के सदस्यों ने मजहब के आधार पर संगठन बनाया है। इस कारण इस्लाम संप्रदाय के नेताओं और मौलवियों को इस पर चिंता व्यक्त करनी चाहिए। ऐसे समूहों के विरोध में जोरदार तरीके से आवाज मुखरित करना चाहिए, नहीं तो भविष्य में ऐसे संगठन बनते ही रहेंगे। इसलिए ऐसा न हो कि बहुत देर हो जाए। और संप्रदाय के नाम आतंकी संगठन खड़े हो जाएं। इस्लामिक नेतृत्व कर्ता जिस प्रकार से बुराइयों के विरोध में फतवे जारी कर समाज को गलती करने से रोकने का काम करते हैं, उसी प्रकार से ऐसे युवाओं को भी रोकने के लिए अगर फतवे की आवश्यकता हो तो वह भी करना ही चाहिए। अब जबकि पूरे विश्व में आतंक फैलाने के लिए कुख्यात हो चुके आईएस गुट अपने ही देश सीरिया में दम तोड़ रहा है, तब भारत में इनके पैर पसारने वाली ताकतों को रोकना ही चाहिए। क्योंकि आईएस जैसा आतंकी और बर्बर संगठन भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा देने वाला नहीं हो सकता।

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