बिहार में तेज हो रहा चुनावी घमासान

 

मृत्युंजय दीक्षित

बिहार में  18 अगस्त को पीएम मोदी की आरा सहरसा की रैलियों में उमड़ी विशाल भीड़ और भीड़ के सामने पीएम की ओर से एक लाख 56 हजार करोड़ के मेगा पैकेज से बिहार विधानसभा के चुनावों की गतिविधियों में  और अधिक तेजी आ गयी है।  बिहार में दोनों गठबंधनों का स्वरूप भी लगभग साफ हो रहा है। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि बिहार के विधानसभा चुनावों में भी हैदराबाद के मुसिलम नेता ओवैसी की उपस्थिति दर्ज हो गयी है।16 अगस्त को किशनगंज में ओवैसी की रैली में विशाल मुस्लिम समुदाय की उपस्थिति को देखकर जहां नीतीश – लालू की जोड़ी के माथे पर बल आ गये हैंbihar वहीं ओवैसी के आने से भाजपा को कुछ राहत मिलती दिखलायी पड़ रही है हालांकि ओवैसी ने विधानसभा चुनावों में उम्मीदवार उतारने का अंतिम फैसला नहीं लिया है। कुछ दिनों पूर्व ही नीतीश लालू गठबंधन का स्वरूप जनता के सामने आया जिसमें नीतीश और लालू ने 100- 100  सीटें बांट ली जबकि कांग्रेस को 40 सीटें देकर गठबंधन को महागठबंधन का आकार दे दिया। अब यह गठबंधन आगामी 30 अगस्त को पटना के गांधी मैदान में महारैली करके पीएम मोदी व राजग गठबंधन को अपनी महाताकत दिखने की तैयारी कर रहा है। गठबंधन के नेताओं का दावा है कि पीएम मोदी को उसी दिन जवाब मिल जायेगा।

उधर गठबंधन के आकार में शरद पवार की एनसीपी और मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी को उचित सीटें न मिलने से दोनांे ही अपने आप को असहज महसूस कर रहे हैं जिसके कारण एनसीपी तो अलग हो चुकी है वहीं समाजवादी पार्टी भी अपने लिये अलग रास्ता चुनने पर विचार कर रही है हालांकि दोनों ही दलों का वहां कोई्र वजूद नहीं हैं।बसपा भी अपनी ताकत का प्रदर्शन करने की तैयारी कर रही है। भाजपा गठबंधन भी इच्छा रखता है कि  संेकुलर दलो के मतो में पर्याप्त बिखराव हो जिसका लाभ मिल सके क्योंकि इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि बिहार में  भी भाजपा को हराने के लिए दिल्ली जैसी राजनैतिक साजिश यह सभी दल रच सकते हैं। अभी हाल ही में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने बिहार में ताबड़तोड़ प्रशासनिक अधिकारियों का तबादला भी किया था।

 

केंद्र सरकार ने भी अब भविष्य की राजनीति को साधने के लिए राज्यपाल की नियुक्ति कर दी है । उप्र के  नेता रामनाथ कोंविद को बिहार का राज्यपाल नियुक्त करके और उनकी जाति का प्रचार- प्रसार करके जातिगत समीकरणों को भी साधने का प्रयास किया है। जब नये राज्यपाल की नियुक्ति की गयी तो नीतिश और लालू यादव को करंट लग गया। उधर भारतीय जनता पार्टी चारा घोटाले में जमानत पर घूम रहे पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद याव की जमानत को रदद करवाने के प्रयास कर रही है जिसके अंतर्गत सीबीआइ्र्र सर्वोच्च न्यायालय पहुंच  भी गयी है और अदालत ने लालू को नोटिस भी जारी कर दिया है। जिससे इस बात की प्रबल संभावना व्यक्त की जा रही है कि आगामी दिनों में लालू की मुसीबतें बढेंगी और लालू यादव  का परिवार पूरी सहानुभूति बटोरने का प्रयास करेगा। लालू यादव के लिए एक मुसीबत यह भी है कि गठबंधन में उनके खाते में केवल 100 सीटें आयी हैं जिससे राजद के कई नेता व जिलाअध्यक्ष आदि नाराज हो गये हैं तथा पार्टी में बगावत के स्वर भी उठने लगे हैं स्वाभविक भी है जिनका टिकट कटेगा वह भी नमो- नमो करने लग जायेगा। भाजपा ऐसे बगावती लोगों को संरक्षाण देने की तैयारी कर रही है। थोड़ी बहुत बगावत तो नीतीश की पार्टी में भी होगी नीतीश की पार्टी के 11 बागी  विधायक भाजपा में जा भी चुके हैं।

भाजपा के सामने सबसे बड़ी समस्या हो रही है कि अभी तक बिहार में सर्वाधिक मतदाता प्रतिशत अतिपिछड़ों का रूख साफ नहीं हो पा रहा है कि वह किधर जा रहे हैं हालांकि पीएम मोदी व राजग गठबंधन को विश्वास है कि चाहे जब चुनाव हो इस बार बिहार में परिवर्तन रैलियों और विकास रथों व महापैकेज के ऐलान से बिहार वासियों के अच्छे दिन आ जायेंगे। आज की तारीख में बिहार के विधानसभा चुनाव सोशल मीडिया में उसी प्रकार से स्थान बना रहे हैं जिस प्रकार से लोकसभा चुनावों में  हुआ था। प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के लिए जिस महापैकेज का ऐलान किया है उकसे लेकर टी वी चैनलों व सोशल मीडिया में  चर्चाओं का बाजार बेहद गर्म है। सोशल मीडया में लोगों का कहना है कि कहीं बिहार के दुर्भाग्य  से रोजाना जंगलराज का डर वापस आ गया तो यह महापैकेज घोटाले की भेंट चढ़ जायेगा। वहीं मीडिया में पैकेज की विश्वसनीयता व उसकी टाइमिंग को लेकर भी बहस हो रही है। कांग्रेसी नेता राहुल गाँधी तंज कस रहे हैं कि पीएम मोदी के पास वन रैक वन पेंशन के लिए पैसा नहीं है लेकिन बिहार के लिए पैसा है वहीं उनके विरोधियों का कहना है कि इससे राहुल की बिहार के लिए सोच पता चल रही है। वहीं दूसरी ओर वन रैंक वन पेंशन की समस्या को पूर्ववर्ती सरकारों की  देन है। इन समस्याओं के लिए समाधान करवाने के लिए राहुल गांधी अभी तक कहां थे। आज बिहार आदि के बिगड़े हालातों के लिए भी गांधी परिवार की सत्ता ही जिम्मेदार है यह पूरा देश व बिहार जानता है। यही कारण है कि कांग्रेस का पत्ता लगभग साफ होता जा रहा है।

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