महाशिवरात्रि पर बिल्वपत्र पूजन पद्वति और आपकी राशि

महाशिवरात्रि का पर्व प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। वैसे तो हिन्दु ग्रंथों तथा मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को प्रत्येक माह की चतुर्दशी तिथि प्रिय है परन्तु सभी चतुर्दशी तिथियों में फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि भगवान शिव को अति प्रिय है। सत्वगुण। रजोगुण तथा तमोगुण तीनों गुणों में से तमोगुण की अधिकता दिन की अपेक्षा रात्रि में अधिक है। इस कारण भगवान शिव ने अपने लिंग के प्रादुर्भाव के लिए फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की मध्यरात्रि को चुना।

महाशिवरात्रि पर्व का महत्व सभी पुराणों में मिलता है। गरुड़ पुराण। पद्म पुराण। स्कंद पुराण। शिव पुराण तथा अग्नि पुराण सभी में महाशिवरात्रि पर्व की महिमा का वर्णन मिलता है। शिवरात्रि पर्व के बारे में केवल एक प्रकार की कथा नहीं है। कई कथाएं हैं परन्तु सभी कथाओं का स्वरुप तथा वर्णन समान ही है। लेकिन इस पर्व का महत्व एक ही है। इस दिन व्यक्ति व्रत रखते हैं तथा शिव महिमा का गुणगान करते हैं और शिव भगवान की बिल्व पत्रों से पूजा-अर्चना करते हैं। महाशिवरात्रि को हर एवं हरि एक होते हैं, इसलिए शंकर को तुलसी तथा विष्णु को बेल चढाते हैं। भगवान् शिव को बिल्वपत्र पूजन अतिप्रिय है। बिल्वपत्र चढाते समय निम्न बातों का ध्याना रखना चाहिए। 

बिल्ववृक्ष में देवता निवास करते हैं। इस कारण बिल्ववृक्ष के प्रति अतीव कृतज्ञता का भाव रखकर उससे मन ही मन प्रार्थना करनेके उपरांत उससे बिल्वपत्र तोडना आरंभ करना चाहिए। शिवपिंडी की पूजा के समय बिल्वपत्र को औंधे रख एवं उसके डंठल को अपनी ओर कर पिंडी पर चढाते हैं। शिवपिंडी पर बिल्वपत्र को औंधे चढाने से उससे निर्गुण स्तरके स्पंदन अधिक प्रक्षेपित होते हैं। इसलिए बिल्वपत्र से श्रद्धालुको अधिक लाभ मिलता है। सोमवार का दिन। चतुर्थी। अष्टमी। नवमी। चतुर्दशी तथा अमावस्या। ये तिथियां एवं संक्रांति का काल बिल्वपत्र तोडने के लिए निषिद्ध माना गया है। बिल्वपत्र शिवजी को बहुत प्रिय है। अतः निषिद्ध समय में पहले दिन का रखा बिल्वपत्र उन्हें चढा सकते हैं। बिल्वपत्र में देवतातत्त्व अत्यधिक मात्रा में विद्यमान होता है। वह कई दिनों तक बना रहता है।

  • महाशिवरात्रि पर शिवलिंग को जल। दूध। शहद और सुपारी से स्नान करने से आत्मा की शुद्धि होती है।
  • सिंदूर या कुमकुम लगाना पुण्य का प्रतीक है।
  • फल अर्पित करना दीर्घायु और इच्छाओं की संतुष्टि का संकेत देता है।
  • धूप जलाना धन का प्रतीक है।
  • दीपक जलाना ज्ञान प्राप्ति का संकेत देता है।
  • सुपारी के पत्ते सांसारिक सुखों के साथ संतुष्टि का संकेत देते हैं।

महाशिवरात्रि व्रत विधि

फाल्गुन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी पर एक समय भोजन करें। चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल व्रत का संकल्प करें। सायंकाल नदी पर अथवा तालाब पर जाकर शास्त्रोक्त स्नान करें। भस्म और रुद्राक्ष धारण करें। प्रदोषकाल में शिवजी के मंदिर जाएं। शिवजी का ध्यान करें। तदुपरांत षोडशोपचार पूजा करें। नाममंत्र जपते हुए शिवजी को एक सौ आठ कमल अथवा बिल्वपत्र अर्पित करें। पुष्पांजलि अर्पित कर, अर्घ्य दें। पूजा समर्पण, स्तोत्रपाठ तथा मूलमंत्र का जाप हो जाए, तो शिवजी के मस्तक पर चढाए गए फूल लेकर अपने मस्तक पर रखें और शिवजी से क्षमा याचना करें। 

महाशिवरात्रि पूजन यदि आप अपनी राशि के अनुसार करते है तो यह अतिउत्तम शुभफलदायी फल देता है-

मेष:  मेष राशि वालों को इस दिन  हल्के गुलाबी या पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए। शिव को ‘बेल पत्र’ और दूध चढ़ाकर पूजा करें। सुबह ‘शिव महिमा’ और रात में ‘शिव तांडव स्रोत्र ‘ का पाठ करें।

वृषभ: इस दिन काला या आसमानी रंग पहनें। शिव को ‘बेल पत्र’। तुलसी के पत्ते और दूध और चीनी के साथ मिश्रित जल से पूजा करें। इस दिन ‘शिव महिमा’ का पाठ करें।

मिथुन: इस राशि के लोग भगवान् शिव को बिल्वपत्र अर्पित करने चाहिए। साथ ही हरे रंग के वस्त्र इस दिन धारण करें।

कर्क: कर्क राशि वालों को शिव को ‘चंपा’ फूल और ‘बेल पत्र’ चढ़ाना चाहिए। पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए। स्कंदपुराण ’का पाठ करना लाभकारी होगा।

सिंह: ‘शिवलिंग’ पर कच्चा दूध। बेल पत्र और लाल फूल चढ़ाएं। गुलाबी या नारंगी कपड़े पहनें।

कन्या: शिवलिंग पर तुलसी के साथ मिश्रित जल चढ़ाएं। सफेद या नारंगी कपड़े पहनें। शिव पुराण का पाठ करें। आप लाभान्वित होंगे।

तुला:  शिवलिंग पर कच्चा दूध मिश्रित जल चढ़ाएं और सफेद वस्त्र धारण करें। 

वृश्चिक: नारंगी। गुलाबी या पीले वस्त्र पहनें। शिवलिंग पर शहद चढ़ाएं।

धनु राशि: इस दिन पीले या नारंगी रंग के कपड़े पहनें। शिव लिंग पर  चुकंदर के पत्ते और ‘भांग’ चढ़ाएं। इस दिन  उपवास रखें।

मकर: हल्के हरे या सफेद कपड़े पहनें। शिवलिंग पर केसर का दूध चढ़ाएं। रुद्राष्टक का पाठ करें तो आप लाभान्वित होंगे।

कुंभ: शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। पीले या गुलाबी वस्त्र पहनें।

मीन: इस दिन पीले वस्त्र पहनें। शिवलिंग को दूध और शहद अर्पित करें। व्रत रखें। 

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