काला-धन-काली कमाई और राजनीति

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प्रवक्ता डाट काम बधाई का पात्र है , इस मंच के  माध्यम से अपने विचारों और अभिव्यक्ति की इस शशक्त सार्थक पहल के लिए मैं आभार व्यक्त करते हुवे देश के एक अरब से ज्यादा देशवासियों से जिसमे मैं स्वयम भी शामिल हूँ जानना चाहता हूँ ,साथ ही सभी सहित अपनी अंतरात्मा से पूछना एक नैतिक दायित्व मानते हुवे प्रश्न करता हूँ ,की देश की खून पशीने की गाढी कमाई का बड़ा भाग लगभग ६७००० हज़ार अरब रूपये अवैध रूप से स्विस बैंक में ज़मा हैं ,इस रकम से देश की गरीबी,भुखमरी,शिक्षा,चिकित्सा जैसी अनेक ज्वलंत  समस्याएँ जो सुरसा राक्षशी  की तरह मुह बाए खड़ी हैं  का निदान आसानी से हो  सकता है ,इस देश पर राज अब कहने को प्रजा तंत्र के माध्यम से “जनता की-जनता के लिए और जनता के द्वारा” के सर्वोपरि सिधान्त को आधार मान कर हो रहा है किन्तु वास्तव में क्या ये सरकारें देश के लिए सोचती या कुछ करती हैं ?क्या इनमे इस दिशा में शशक्त कदम उठाने की प्रबल इच्छा शक्ति है ? नहीं बिल्कुल भी नहीं तभी तो सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया है की काले धन को जमा करने वालों का नाम स्विस बैंक से उजागर होने के बाद क्या कदम उठाया  गया?काला धन जमा करनेवाले लोगों और कंपनियों के खिलाफ क्या किया  गया ?यहाँ तक की कोर्ट ने शंका जताई है की देश की सुरक्षा से खिलवाड़ कर इस काली कमाई के  श्रोत में हथियारों का सौदा और मादक पदार्थों की तस्करी तक शामिल है ,इन सभी लोगों जिनमे ताक़तवर राजनैतिक लोग  ,भ्रष्ट आफिसर्स सहित पूंजीपति शामिल हैं  क्यों सरकार सिर्फ कर चोरी के पहलु तक ही सीमित है? क्यों  नहीं इन सभी पर देशद्रोह का मामला दर्ज कर ऐसी सज़ा दी जाए  की इस दुष्कृत्य पर हमेशा हमेशा के लिए रोक लग जाए ,बिना कड़ी कार्यवाही और प्रबल इच्छा शक्ति के केवल बातें ही बातें होंगी यथार्थ में कुछ भी नहीं ,स्विस बैंक एक ऐसा बैंक माध्यम है जिसमे अकाउंट खोलने वाले का नाम तक नहीं लिखा जाता केवल खाता नम्बर ही दिखाई देता है वास्तविक खातेदार का नाम केवल उच्च अधिकारीयों को ही पता होता है ये पूरी गोपनीयता का पालन करतें हैं , इसी लिए दुनिया भर के काली कमाई के लोगों का पसंदीदा स्थल स्विस बैंक ही होता है ,दुनिया के  कुछ देश ऐसे भी हैं , जिन्होनें अपनी प्रबल और ईमानदार कोशिशों से इस पर अंकुश लगाया भी है ,उन सभी से सबक लेकर हमारे देश में भी ठोस सार्थक पहल करनी होगी तभी कुछ हो सकेगा अन्यथा हम केवल लाप-विलाप -प्रलाप करते ही रह जायेंगे.उच्चत्तम न्यायलय कालेधन की वापसी को लेकर आस की किरण जगा रहा ,देश का आम नागरिक  चाहता है की किसी भी कीमत पर यह कालाधन देश में वापस ज़रूर आना चाहिए किंतुं सरकार “संधियों के मकड़जाल” की आड़ लेकर इससे बचने का पूरा पूरा प्रयास कर रही है ये भूल रहें हैं की इस देश में ४० करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे का जीवन जी रहें हैं जब की कुल ज़मा धन का मात्र  ३०% हिस्सा ही  करीब २० करोड़ नई नौकरियां पैदा कर स्वावलंबन की और लेजाकर बेरोज़गारी की समस्या को हल कर सकता है ,भारत प्रतिवर्ष प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में फिलहाल जितना खर्च करता है ,उसकी अगले १५० साल तक इस कालेधन से व्यवस्था हो सकती है,देशके अर्थशाष्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने वादा किया था की अपने कार्यकाल के सौ दिन के भीतर विदेशों में ज़मा धन वापस लाने की प्रक्रिया वे शुरू कर देंगें किन्तु वे भी अब अर्थशाष्त्री प्रधानमंत्री के बजाय कांग्रेसी प्रधानमन्त्री साबित हो रहें हैं .हाल ही में किये गए एक विश्वशनीय आकलन में स्पष्ट किया गया है की भारत में पिछले ६० वर्षों में भ्रष्ट लोगों ने करीब ६५० अरब डालर यानी ३४ लाख करोड़ रुपये का कालाधन बनाया है जो इस देश के सकल घरेलु उत्पाद का ५० प्रतिशत के बराबर है ,इस पर भी मज़े की बात ये है की लगभग ४७० अरब डालर यानी २५ लाख करोड़ रुपये विदेशों में ज़मा किये गएँ हैं ,इस वक्त मुझे परम आदरणीय अटल जी की ये पंक्तियाँ फिर याद आ .रही हैं की “ना दीन-ना ईमान-नेता बेईमान-फिर भी मेरा भारत महान”……अंत में कहने लिखने को बहुत कुछ है किन्तु इस प्रार्थना के साथ अपनी बात पूरी करूँगा की “ईश्वर अल्हा तेरो नाम -सबको सम्मति दे भगवान् ”

आपका विजय सोनी अधिवक्ता, दुर्ग – छत्तीसगढ़

15 COMMENTS

  1. कालेधन भ्रष्टाचार की समस्या को लेकर विश्व के अनेक देशों में आम नागरिक जागरुक हुवा,भारत में भी आज एक क्रांतिकारी कदम पूज्य श्री अन्ना हजारे जी ने उठाया है ,७३ वर्ष के इस महान समाजसेवी ने दिल्ली के जंतर मंतर पर आमरण अनसन शुरू कर दिया है ,आज उनने चौथा दिन भी अन्न ग्रहण किये बिना निकल दिया है,देश का आम आदमी उनके साथ है ,सरकार की नीव हिल गई है ,प्रयास किये जा रहें है की उनका अनसन समाप्त कराया जावे किन्तु अन्ना जी ने स्पष्ट कह दिया है की वे अपनी मांग पूरी हुवे बिना अंतिम साँस तक इस लड़ाई को लड़ेंगें ,हाँ आज देश को इसी प्रकार के गंभीर कदम की ज़रूरत थी जिसे हजारे जी ने बुलंद हौसले के साथ उठाया है ,हम सभी अन्ना हजारे जी के साथ हैं ,ईश्वर से प्रार्थना कर रहें हैं की देश का ये सच्चा सपूत स्वास्थ्य रहें ,सरकार त्वरित कदम उठा कर देश को भ्रष्ट लोगों से मुक्ति दिलाने वाले लोकपाल विधेयक को अमलीजामा पहनाने ठोस कदम उठावे .

  2. आप का कहना है काले धन से शिक्षा चिकित्सा जैसी ज्वलंत समस्सया का हल निकलेगा.बहुत मुमकिन है ऐसा हो भी लेकिन अभी के हालात में शिक्षा देने वाला कितनी मोटी रकम वसूलता है और एक गरीब को चिकित्सा के नामपर कैसे लूट खसोट हो रहा है शायद यह किसी से नहीं छुपा है.दरअसल हम ऐसे लोगो से उम्मीद कर रहे है जिनका ईमान मर चूका है और लाज शर्म लालच की गोद में है.ये लोग इस खुमारी से तभी जागेंगे जब आम जनता अपना हक लेना और हक जताना शुरू करेगी. और शायद अब वक्त आगया है.

  3. विदेशों में जमा काला धन को वापस लाना ही चाहिए, पर साथ में देश के भीतर व्याप्त भ्रष्ट सिस्टम को भी चुस्त-दुरूस्त करना होगा, वरना ऐसी ही बात हो जाएगी कि एक चोर से पैसा लेकर दूसरा चोर को दे दिया। आम जनता तो फिर भी वहीं की वहीं रहेगी, इसलिए मुझो लगता है कि जितनी ताकत विदेशों से धन वापस लाने में किया जाना चाहिए, उससे दोगुनी ताकत से देश के क्रियान्वयन सिस्टम को सुधारने होगा, तभी हम उन काले धनों का सही सदुपयोग कर पाएंगे।

  4. प्रिय तरुण जी निराश होने की बात नहीं है,मेरा ऐसा मानना है की अँधेरा जब बढ़ता है तो ये तय है की सवेरा होने ही वाला है .
    प्रिय महेश जी वो दिन अब दूर नहीं जब हमें नेताओं और अफसरों पर निर्भर नहीं रहना पडेगा .
    माननीय अशोक बजाज जी आपका धन्यवाद
    प्रिय दुर्गा शंकर गहलोत जी आपने सही कहा की जवाब तो हमें ही देना होगा .
    बस्तीमल सुराना जी आपने भी कालेधन को देश की समस्या माना ये सही है
    रमेश केशरवानी जी कैलाश जी आपको भी धन्यवाद
    आदरणीय विश्वमोहन जी प्रणाम आपने बहुत ही सही लिखा की “केवल पेट भरने में “ही समाज व्यस्त है .
    माननीय कनीराम जी आपने अन्त्योदय तो केवल पंडित दीनदयाल जी का सपना ही रह गया कहकर सभी को सोचने पर मजबूर किया है की व्यवस्था में स्थापित बंदरबांट को ख़त्म किये बिना समस्या का हल नहीं हो सकेगा
    प्रिय आर सिंह जी आपने भी कालेधन की परिभाषा को विस्तार दिया उसके लिए आभार

  5. काला धन, काली कमाई इत्यादि पर हमलोग चर्चा तो बहुत कर रहे हैं,पर कभी हमने सोचा कि कही न कही इस काले धन में हमारा भी हिस्सा है.जब मैं इसपर चर्चा को आगे बढाता हूँ तो मुझे बताया जाता है कि जब सफ़ेद कमाई पर इतना टैक्स लगेगा तो लोग उसको छुपाने क़ी कोशिश अवश्य करेंगे.इसी अवश्य क़ी परिणति स्वीस या अन्य विदेशी बैंकों में काले धन के रूप में जमा धन है.जब हम जमीन खरीदते समय आधे से अधिक पैसा नगद में देते हैं और आधे से कम पैसे क़ी रजिस्ट्री कराते हैं तो हम प्रत्यक्ष रूप में उस पाप मैं शामिल हो जाते हैं जिसकी चर्चा करने और दूसरों को दोष देने में हम कभी नहीं थकते.मेरे ख्याल से तो जिन्होंने भी विदेशी बैंकों में पैसे जमा किये हैं उन्होंने भी इसी तरह काला धन जमा करना शुरू किया होगा और जब इस तरह के धन क़ी भरमार हो गयी होगी तो उसे देश से बाहर करना उनकी आवश्यकता बन गयी होगी.मेरे विचार से विदेशों जो काला धन है उससे बहुत जयादा काला धन अभी भी देश में ही है.यह सोने या चांदी के रूप में(पुरी के मठ क़ी १७ टन चांदी)हो सकता है.बेनामी जमीन या मकान के रूप में भी हो सकता है.जब तक इन सब पर एकबार हमला नहीं बोला जायेगा तब तक हमें केवल विदेशों से काले धन क़ी वापसी से बहुत लाभ होने वाला नहीं है.मेरे कहने का केवल यही अर्थ है क़ी कही विदेशों में जमा पैसों का इतना प्रचार हमको मुख्य मुद्दे से अलग तो नहीं ले जारहा है?मुख्य मुद्दा यह होना चाहिए क़ी हर तरह के काले धन को पहले तो बाहर लाया जाये और फिर उसकी उत्पत्ति के श्रोत को बंद किया जाए.विदेशों से काला धन वापस लाने को प्राथमिकता अवश्य दी जानी चाहिए पर जब तक काले धन क़ी उत्पत्ति पर लगाम नहीं लगाया जाएगा और देश के अन्दर छिपाए हुए काले धन को भी नहीं पकड़ा जायेगा तब तक यह समस्या योही बीच बीच में सर उठाती रहेगी.सारांश यह क़ी तत्कालीन समाधान के साथ साथ स्थाई समाधान भी आवश्यक है.
    रह गयी नेताओं को दोषी ठहराने क़ी बात तो मेरे ख्याल से नेता भी हम लोगों के बीच से ही आते हैं अतः हम सब किसी न किसी रूप में दोषी हैं.

  6. इस देश की वर्तमान परिस्थीतियाँ कुछ चंद लोगों के द्वारा ऐसी निर्मित की गई की स्विस बैंक में जमा कालेधन को लाकर देश के अंतिम पंक्ति में बैठे हुवे व्यक्ति को वितरण करने की व्यवस्था यदि होगी तो उस व्यक्ति को शून्य पैसे के अलावा कुछ नहीं हासिल होगा अर्थात क्रियान्वयन व्यवस्था ही इतनी भ्रष्ट हो चुकी है की कमीशन खोरी ही अपनी कमाई समझ बीच में ही बंदरबांट होगी..अन्त्योदय तो केवल माननीय पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय जी का सपना “सपना” ही रहेगा

  7. प्रिय सोनी जी
    आपने प्रत्येक देश प्रेमी भारतीय के ह्रदय की पीड़ा व्यक्त की है..
    और दुर्गा शंकर गहलोत सच कहते हैं की इसका जवाब हमें ही देना होगा. और प्रभावशाली कदम उठाना होगा .

    वह कदम क्या हो?

    मुझे लगता है की इसा समाया का अधिकाम्षा वयस्क समाज हताशा है और पुरी तरह अपने पेट भरने में लगा है जैसा की उसका नेता कर रहा है , इन दोनों में बहुत कम अंतर है.. कुछ लोग शिकायत कर रहे हैं, बस कुछ अपवाद ही हैं जो परिस्थिति का अध्ययन कर कुछ करने का सोच रहे हैं..आपने कम से कम दर्द तो व्यक्त किया जो कुछ सोचने और करने के लिए प्रेरणा देता है..
    जैसा की आप जानते हैं मैं बच्चों के नैतिक विकास के लिए कुछ कर रहा हूँ, क्योंकि आज के माता पिता तथा शिक्षक रोजी रोटी की ही शिक्षा दे रहे हैं.. मानव बनाने की नहीं .. तब इसमें क्या आश्चर्य की अनैतिक काम ही हो रहे हैं!!
    देश की प्रगति भी जूतों और भोग की वस्तुओं से नापी जा रही है तब किससे आशा करें?? ऐसे केवल बच्चे ही हैं .. आप जैसे प्रबुद्ध व्यक्ति मेरे कार्य में सहयोग कर रहे हैं इससे मेरी आशा बनी है की भारत मानव बनकर अपने पुराणी उच्चतम स्थिति पर पहुंचकर विश्व को बचाएगा..

  8. बहुत ही अच्छा यदि देश का ये धन देश को मिल जाए तो दुनिया में भारत नम्बर १ का देश हो जाएगा

  9. वास्तव में बड़ा दुःख होता सरकार की बेबसी और लाचारी देखकर

  10. प्रिय सोनी जी आपके लेख में कालेधन की समस्या और उसकी गंभीरता एवं प्रभाव के बारे में आपका चिंतन बहुत सराहनीय है उपरोक्त कालेधन को किस प्रकार से देशहित में उपयोग हेतु गंभीरता से अध्यन करके देश और देश की समस्याओं का निदान किया जा सकता है और यह तभी संभव है जब आपकी तरह बौधिक एवं शासकवर्ग इस पर अमल करने की पहल कर शसक्त कदम उठाये …बस्तीमल सुराना CA दुर्ग

  11. श्री विजय जी, “काला धन – काली कमाई और राजनीति” आलेख के लिए धन्यवाद. अपने इस आलेख में आपने जिन सवालों को उठाया है, उनका जवाब भी हमें स्वयं ही देना होगा – क्योंकि जिनको जवाब देना है वह तो स्वयं ही ‘सवालों’ से घिरे हुए है. इसी सन्दर्भ में विचारणीय यह भी है कि – जब इस पवित्र धरती पर धर्म और जाति के नाम पर सभी ओर ही अनाचार-अत्याचार हो रहे हैं, अमानवीय कृत्य हो रहे हैं और न्यायपालिका भी इन से प्रभावित हो रही हो – तो वहां पर ‘भ्रष्टाचार’ ही पनपेगा, ‘शिष्टाचार’ तो पनपने से रहा. जिस देश में ‘नोट फॉर वोट’ का खुला खेल चल रहा हों तथा जिस देश में ‘धन ही चरित्र’ बनता जा रहा हो और उसके लिए बेशर्मी के साथ ‘तन व मन का कारोबार’ हो रहा हो – तो वहां पर भी ‘भ्रष्टाचार’ ही पनपेगा.

    इसलिए इस असफल होती ‘व्यवस्था’ के दोर में अब हम जागरुकों को ही एकजुट व एकराय होकर आमजन को जगाना होगा और देश हित में प्रभावशाली कदम उठाना होगा, तभी कुछ संभव हो सकेगा – वर्ना तो चीखते रहो और चिल्लाते रहो, कोई भी सुनने वाला नहीं है. सत्ता के केन्द्र में मनमोहन हो या लालकृषण, लालू हो या मुलायम, वामपंथ हो या दक्षिण पंथ या फिर – सोनिया हो या सुषमा, ममता हो या जयललिता, और वसुंधरा हो या माया – सबने सबको नचाया और कोई समझ नहीं पाया, इनकी गहरी माया. इसीलिए हम ऐसे महामानवों को ‘सदर नमन’ करते है और इस दुनिया के ‘संचालक’ से ऐसे ‘महामानवों’ से मुक्ति की फरियाद ही करते है. फिर जो उसकी मर्जी …..

    – जीनगर दुर्गा शंकर गहलोत, मकबरा बाज़ार, कोटा – ३२४ ००६ (राज.) ; मो.०९८८७२-३२७८६

  12. Soni ji pranam. Aap ne such kaha hai ye neta log kisi ke nahi hote ye 15 karor rajnitigya or prashanik log sub garibi ko banaye rakhana chahte hain ye log to apane aap ko hindustani hi nahi mante.

  13. आदरणीय सोनी जी ,
    यथार्थ यही है कि इस भारत देश का कुछ नहीँ हो सकता क्योँकि सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि कोई कुछ करना ही नहीँ चाहता , हर कोई केवल अपनी रोटी सेँकना चाहता है । वरना क्या मजाल ईन नेताओँ की जो भारत मेँ भारतीयोँ को गुलामी का जीवन जीने को मजबूर कर सके , यह वही भारत है जिसके लोगोँ ने अपना तन – मन – धन न्यौच्छावर करके भारत को जिँदा रखा है लेकिन आज तो बस ” नब्बे नेता , सभी पहलवान….सौ मेँ से निन्यानवे बेईमान , फिर भी मेरा भारत महान ।”

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