प्रस्तावित पूर्वांचल राज्य का काला सच

नागमणी पांडेय

हाल हीं मे तेलंगाना राज्य को अलग राज्य बनाने का मिले दर्जे के बाद से उत्तर प्रदेश से पूर्वांचल सहित कुछ ज़िलों को अलग अलग राज्य का दर्जा देने कि मांग को फिर से सुलग दिया है .अलग राज्य बनाने कि मांग को छोटे राजनीतिक दलो ने फिर हवा देनी शुरू कर दी है .लोक मंच ,कौमी एकता मंच, लोकक्रांती मोर्चा , और पूर्वांचल राज्य बनावो दल के एजेंडा मे पूर्वांचल राज्य का मुद्दा प्राथमिकता पर है पूर्वांचल के साथ भेदभाव व नाइंसाफी का नारा उछाल कर रैलियों और जनसभाओं कि शुरुवात शुरुआत हो गया है वही बीएसपी ने पूर्वांचल राज्य बनाने कि मांग को समर्थन देकर उत्तर प्रदेश कि मुख्यमंत्री मायावती ने आगामी चुनाव मे एक मुद्दा खोज कर निकाल लिया है. जो बहुत ही कारगर है मायावती का उत्तर प्रदेश के बंटवारे की बात आगामी विधानसभा चुनाव जीतने का एक शगूफा भी हो सकता है।अपने आप को दलितों का भगवान कहने वाली उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती द्वारा पूर्वांचल राज्य कि मांग उनकी कुटील सोच को दर्शता है.क्यो यह रहने वाले अधिकतर दलित और पिछड़ा वर्ग के नाम पर वोट बैंक बनाने कि सोची समझी राजनीति मायावती ने किया है. प्रस्तावित पूर्वांचल राज्य के पिछडापन , अशिक्षा और ग़रीबी के कारण अपराध , नक्सलवाद और माफिया को नियोजित कर पाना शायद संभव नही हो सके. क्योंकि राज्य सरकार कि अपेक्षाओं का इस क्षेत्र को ऐसा बदहाली का प्रत्यक्ष कराया है जिस कि जितनी निंदा किया जाये उतनी हि कम है हालत यहा तक है कि पूर्वांचल राज्य मे चुनावी टिकट प्राप्त करणे वाले बाहुबलियों और अपराधियो का वर्चसव भी बढेगा और अपराध मे भी बढोतरी होगा अधिकतर चुनाव मे राजनीतिक दलो को इन्ही बाहुबलियों के बल पर हि चुनाव मे सफलता मिळता है करीब 20 करोड की आबादी वाले उत्तर प्रदेश के बंटवारे की मांग एक अरसे से होती रही है।बंटवारे के समर्थकों का मानना है कि इससे राज्य के विकास में तेजी आएगी और हर हिस्से को उसका वाजिब हक मिल पाएगा। लोकमंच के संस्थापक अमर सिंह का भी सबसे बडा एजेंडा पूर्वांचल राज्य कि मांग कि हि है लोकतांत्रिक मोर्चा के प्रमुख ओमप्रकास राजभर कहते है कि पूर्वांचल के विकास के नाम पर सरकार ने जनता को छला है सरकार ने ६ जिले के बुंदेलखंड को १२० करोड रुपये विकास के लिये दिया है जब कि २७ जिले के पूर्वांचल को महाज ५० करोड दिया गया है यहा घोर उपेक्षा है इसलिये इस कि लादायी तेज कर दी है पूर्वांचल के लोगो और पूर्वांचल राज्य बनायो दल के डॉक्टर सुधाकर पांडेय बटाटे है कि “आजादी के बाद से हि पूर्वी उत्तर प्रदेश कि उपेक्षा हुआ है और यहा के उद्धयोग धंधे बंद होते गये” इस लिये पूर्वांचल का विकास के लिये अलग पूर्वांचल राज्य गठन करना जरुरी है यूपी में फिलहाल देश में सबसे ज्यादा 75 जिले और 18 मंडल हैं। उत्तर प्रदेश के जिन हिस्सों को अलग करने की बात की जा रही है, उनमें पूर्वचल का नाम सबसे आगे है। ऎसी उम्मीद जताई जा रही है कि बंटवारे के बाद अलग हुए हर राज्य के हिस्से में 15 से 20 जिले और 3 से 5 मंडल आएंगे। बिहार की सीमा से सटे इस इलाके में 24 जिलों को लाने की मांग है। इनमें वाराणसी,देवरिया , गोरखपुर,जौनपुर , आजमगढ और बस्ती जैसे जिले खास है पूर्वाचल की तरह ही यूपी के सबसे पिछडे समझे जाने वाले बुंदेलखंड इलाके को भी अलग राज्य बनाया जाना है। बुंदेलखंड के भूगोल पर नजर डालें, तो इसमें फिलहाल 3 मंडल और 11 जिले हैं जिनमें झांसी, महोबा, बांदा, हमीरपुर, ललितपुर और जालौन जिले शामिल हैं।जाहिर है यूपी चुनाव से पहले सूबे को बांटने का सियासी मौका और दस्तूर दोनों है, लेकिन क्या यूपी विधानसभा में मायावती की ये मुहिम कामयाब होगी।ये देखना होगा .

 

प्रस्तावित पूर्वांचल राज्य के जिले

पूर्वी उत्तर प्रदेश के जीलो कि बात किया जाये तो २८ जीलो का समावेस है जिस मे ३२ संसदीय क्षेत्रो और १६५ विधानसभा क्षेत्रो और बिहार के लगभग सात जीलो को मिलकर पूर्वांचल राज्य होगा

उत्तर प्रदेस –जौनपुर , गाजीपूर , भदोही, चंदोली, वाराणसी , मिर्जापूर ,सोनभद्र , कौशंभी , अलाहाबाद , प्रतापगड , सुलतानपूर , आंबेडकर नगर , फैजाबाद , गोंडा ,बलरामपुर , बहरइच, खीर ,बस्ती महाराजगंज , गोरखपूर , देवरिया , कुशीनगर , आजमगड ,बलिया , मऊ , श्रावस्ती , संतारविदास नगर, सिद्धार्थनगर , सहित बिहार के छपरा, सिवान, गोपालगंज , मोतीहारी , बक्सर , आरा और रोहतास का समावेस है

 

जातीय समीकरण

प्रस्तावित पूर्वांचल राज्य से इस देश को भारत के प्रथम राष्ट्रपती डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद और प्रथम प्रधानमंत्री चंद्रशेखर और पंडित जवाहरलाल नेहरू को दिया इस के बावजुद इस के साथ भेदभाव हुआ है यहा का विकास नही हुआ है जिस के कारण यहा से माजाबुरण पलायन होने के नौबत आया है यहा कि जाती समीकरण पर नजर डाला जाये तो दलीतो कि प्रतिशत लगभग २० से २४ , मुस्लीम ८ से २७ प्रतिशत और ब्राह्मण १९ से २३ प्रतिशत है यहा अन्य जाती कि संख्या भी अपने आप मे अधिक है जिस मे यादव , राजभर और कुर्मी का समावेस है

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