बिहार का विधानसभा चुनाव ने किसी को नही छोड़ा. बाकी सारे राज्यों में रहे चुनावी मुद्दों से अलग यहां चुनाव लड़ा जा रहा है. एक तरफ एडीए अपनी पूरी ताकत झोंक रही है, तो दूसरी तरफ महागठबंधन भी कुछ कम नही है. गौरतलब है इस विधानसभा के चुनाव में भ्रष्टाचार, शिक्षा, सड़क, बिजली, पानी, मंहगाई नही है.
इससे अलग हटकर चुनाव लड़ा जा रहा है. वो मुद्दा है गाय का. बिहार में जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा था, विकास के मुद्दों से हटकर बातें शुरू हो गई थी.
पहले मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान पर जुबानी जंग की शुरूआत हुई. फिर देश में हुए दुखद दादरी काण्ड की घटना पर बिहार के विधानसभा चुनाव का पारा गरम हो गया. राज्य का चुनावी माहौल बीफ के आस-पास आकर रूक गया. बीफ राजनेताओं के लिए चुनावी मुद्दा बन गया.
बीजेपी के नेता कह रहे थे, कि हमारी सरकार आई तो बिहार में बीफ बैन करा देंगें. जबकि बिहार में पहले से इस पर पाबंदी है. अब आरजेडी प्रमुख की बात कर लेते है, इस पर उन्होनें एक समुदाय कार्ड खेलते हुए कह दिया. हिंदु भी तो बीफ खाते है.
हालांकि दूसरे दिन लालू बैकफुट पर दिखे थे. तभी इस मामले में नया मोड़ आ गया. आरजेड़ी नेता रघुवंश यादव ने कह दिया कि ऋषि मुनि भी बीफ खाते थे. कहते है कि बिन गुरू ज्ञान कहां. ये सच भी है. रघुवंश यादव को किसी अच्छे गुरू की जरूरत है. जो उनको शास्त्रों और पुराणों का ज्ञान दे. इतना सुनते ही दूसरे राजनीतिक दल ने लालू पर जमकर निशाना साधा.
भाजपा की तरफ से कहा गया कि अगर इनकी सरकार आई तो क्या बिहार के लोगों को बीफ खाना पड़ेगा. इस मुद्दे में थोड़ी नर्मी आई तो इस चुनाव में शैतान और बह्रमराक्षस भी आ गए. जुबानी जंग थमने का नाम ही नही ले रही थी. लालू ने पीएम मोदी पर हमला करते हुए कह दिया कि उनके पास बह्रमराक्षस को भगाने की विधि है.
शब्दों के बाण रूकने का नाम नही ले रहे थे, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने लालू को चारा घोटाले की बात कही, तो जवाब में लालू ने गोधरा काण्ड का हवाला देते हुए कहा उन्हें नरभक्षी कह डाला. बिहार चुनाव में तो ऐसा लग रहा है कि जैसे दो राजनीतिक दल ही सक्रिय है. एक बीजेपी, दूसरी आरजेडी.
दोनों में ही तनातनी देखने को मिलती है. कांग्रेस का हाल तो ऐसा है, जैसे भेड़ की झुण्ड़ में कोई एक बकरी. ऐसा लग रहा है, कांग्रेस अपनी साख बचाने के लिए महागठबंधन में शामिल हो गई है. बिहार में चुनावी सभा न करते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष पंजाब का दौरा कर रहे हैं. दो चरण का चुनाव होने के बाद भी जुबानी कटार रूकी नही है. लालू ने एक बार फिर दशहरे को करीब आते देख जुबान से पीएम पर निशाना साधते हुए एक नया तीर छोड़ा. उन्होने कहा कि इस चुनाव में साम्प्रदायिकता रूपी रावण का दहन हो जाएगा. ऐ बात एडीए में शामिल हम के प्रमुख को न गवार लगी.
तुरंत इसका जवाब देते हुए, कहा कि नीतीश ने तो पहले ही मुझे विभीषण बना दिया था. तो खुद ही समझ लो रावण कौन है? उन्होने कहा मुझे तो रावण के अम्रत का भी पता है. गौरतलब है की चुनाव आयोग जुवानी जंग को रूकने के लिए और शांन्ति प्रिय चुनाव कराने के लिए राजनेताओं को चेतावनी देता है. जब माहौल इतना गरमा गया है तो आयोग की कौन सुनता है.
लोकसभा चुनाव के बाद कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कामयाबी मिली है. लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में करारी शिकस्त के बाद बीजेपी बिहार में अपना दबदबा कायम रखने की कोशिश में लगी हुई है. ये तो साफ है कि बिहार के विधानसभा चुनाव में विकास का मुद्दा, भ्रष्टाचार, सड़क, बिजली, पानी, की समस्या से थोड़ा दूर. राक्षस, शैतान, नरभक्षी, रावण, बीफ पर आकर रूका है.
बिहार और देश को इंतजार है तो इस चुनाव के नतीजों का.