बोफोर्स घोटाले में हिंदी साप्ताहिक ‘चौथी दुनिया’ का नया खुलासा

KASHMIRबोफोर्स तोप घोटाले में आरोपी ओटावियो क्वोत्रोची को लेकर इंटरापोल द्वारा जारी रेड कार्नर नोटिस को केंद्रीय जांच ब्यूरो के कहने पर वापिस लेने को लेकर हाल ही में उठ खड़े हुए विवाद के बीच हिंदी साप्ताहिक ‘चौथी दुनिया’ ने अपने आगामी अंक में इस घोटाले का कच्चा चिटठा खोलने का दावा किया है। प्रस्तुत है ‘चौथी दुनिया’ के आगामी अंक में किए गए इस खुलासे संबंधी रपट के चुनिंदा अंश- “ओट्टावियो क्वोत्रोची इटालियन नागरिक था और इटालियन पासपोर्ट पर इटालियन कंपनी स्नैम प्रोगेत्ती के रीजनल डायरेक्टर के पद पर काम कर रहा था। 15 नवंबर, 1985 को ओट्टावियो क्वात्रोची व बोफोर्स कंपनी केमायल्स ट्वीडेल स्टाट के बीच एक एग्रीमेंट हुआ कि यदि यह सौदा बोफोर्स कंपनी को भारत सरकार से 31 मार्च, 1986 से पहले मिल जाता है तो तीन प्रतिशत कमीशन ए.ई सर्विसेज को बोफोर्स कंपनी देगी। यह रकम कुल सौदे की तीन प्रतिशत होगी। भारत सरकार जैसे-जैसे बोफोर्स को पैसे देगी, बोफोर्स उसका तीन प्रतिशत ए.ई. सर्विसेज को देता जाएगा।

यहां से इस कांड में अध्याय दर अध्याय जुड़ने शुरू हो जाते हैं। भारत के लिए तोप खरीदने का फैसला लेने वालों के सामने 15 नवंबर, 1986 तक बोफोर्स कंपनी के साथ दूसरी कंपनी के प्रस्ताव भी थे, पर तब तक किसी को यह एहसास नहीं था कि इन सब प्रस्तावों पर बोफोर्स गन सिस्टम को प्राथमिकता या तरज़ीह दी जाएगी।

दरअसल उस समय फ्रांस की सोफमा गन सिस्टम को तकनीकी तौर पर ज्यादा पसंद किया जा रहा था, लेकिन चार महीनों में सोफमा के ऊपर बोफोर्स को तरजीह दिला देना तथा बोफोर्स द्वारा दी गई समय सीमा में कॉन्ट्रैक्ट पूरा करा देना उस व्यक्ति की ताकत दिखाता है जो ए.बी. सर्विसेज के पीछे था। इस व्यक्ति ने अपनी ताकत व रसूख के दम पर भारत सरकार के पब्लिक सर्वेट्स को दबाव में लाकर बोफोर्स कंपनी के साथ सौदे को पूरा कराया।

स्विस अधिकारियों की जांच में यह बात भी सामने आई कि बोफोर्स कंपनी ने स्टॉकहोम स्थित स्कान्डिनाविस्का एन्सकिल्डा बांकेन से 3 सितंबर 1986 को 50,463,966,00 सेक (अमेरिकी डॉलर 7,343,941,98 के बराबर) निकाले तथा उन्हें अकाउंट नं. 18051-53, जो कि ए.ई. सर्विसेज लिमिटेड के नाम था, में जमा कराया। यह अकाउंट ज्यूरिख के नोर्डिफिनांज बैंक का है। इस अकाउंट को, जो कि ए.ई. सर्विसेज लिमि. केयर ऑफ मायो एसोसिएटस एस.ए. जेनेवा का है, केवल पंद्रह दिन पहले 20 अगस्त, 1986 को माइल्स ट्वीडेज स्टाट ने डायरेक्टर की हैसियत से खोला था।

ए.ई. सर्विसेज के इस अकाउंट से दो किस्तों में 7,123,900 अमरीकी डॉलर निकाले गए। इसमें 70,00,000,00 अमेरिकी डॉलर 16 सितम्बर, 1986 को तथा 1,23,900,00 अमेरिकी डॉलर 29 सितंबर 1986 को निकाले गए। निकाली गई इस रकम को कोलबर इन्वैस्टमेंट लिमि. इंक पनामा के जेनेवा स्थित यूनियन बैंक के अकाउंट नं. 254,561,60 डब्ल्यू में ट्रांसफर किया गया।

कोलबर इंवैस्टमेंट लिमि. इंक के इस अकाउंट से पुन: 7,943,000,00 डॉलर 25-7-1988 को अकाउंट नं. 488320,60 ऑफ एम/एस वेटेल्सेन ओवरसीज एस.ए. में ट्रांसफर किए गए. यह अकाउंट भी जेनेवा के यूनियन बैंक में ही है। एम/एस वेटेल्सेन ओवरसीज के इसी अकाउंट से पुन: 21 मई, 1990 को 9,200,000,00 डॉलर ट्रांसफर किया गया। इस बार यह रकम अकाउंट नं. 123893 में ट्रांसफर की गई। यह अकाउंट इंटरनेशनल डेवेलपमेंट कं. का है, जो एनवाशेर (सी.आई) लिमि. सेंट पीटर पोर्ट, गुएरन्से (चैनल आइसलैंड) में स्थित है।

ये एकाउंट एम/एस कोलबर इन्वैस्टमेंट्स लिमि. इंक तथा वेटेल्सेन ओवरसीज को ओट्टावियों क्वोत्रोची तथा उनकी पत्नी श्रीमती मारिया क्वोत्रोची कंट्रोल करती थीं। जब चैनल आइसलैंड में जांच हुई तब पता चला कि यह सारी रकम दस दिनों के भीतर, (जब वह गुएरन्से में आई उसके बाद) दोबारा स्विटजरलैंड तथा आस्ट्रिया ले जाई गई।

स्विस अधिकारियों तथा स्वीडिश अधिकारियों की जांच ने यह साबित कर दिया कि बोफोर्स कंपनी से प्राप्त कमीशन को पाने वाली कंपनी ए.ई. सर्विसेज का लाभार्थी ओट्टावियों क्वोत्रोची है। स्नम प्रोगेत्ती से मिले कागजातों ने यह भी साबित कर दिया कि ओट्टावियों क्वात्रोची तथा उसकी पत्नी उस समय जेनेवा में ही थे, जब ये अकाउंट खोले गए।

उन्होनें ही बैंक अकाउंट तथा अन्य दस्तावेजों पर दस्तखत किए थे। जब स्विस अधिकारियों ने क्वोत्रोची तथा उनकी पत्नी के पते, जो उन्होंने बैंक अकाउंट लिखे थे, भारत सरकार को दिए तो सरकार चकरा गई। दोनों ने पता दिया था – कॉलोनी ईस्ट, न्यू डेली (इंडिया)। यह पता सारे भारत में कहीं है ही नहीं। दोनों ने सावधानीवश जालसाजी करने के चक्कर में गलत पता लिखवाया था।

यहां सवाल उठता है कि यह हुआ कैसे, क्योंकि स्विटजरलैंड में बैंक अकाउंट खोलते समय पासपोर्ट पर लिखा पता देखा जाता है तथा वहीं लिखा जाता है। तब क्या ओट्टावियों क्वोत्रोची व उसकी पत्नी के पास कोई और पासपोर्ट भी था जिसपर कॉलोनी ईस्ट, न्यू डेली का पता लिखा था?”

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