ऋषि दयानन्द के द्वारा संगृहीत हस्तलिखित तथा मुद्रित वेद की पुस्तकें जो उनके निधन के समय विद्यमान थीं - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। ऋषि दयानन्द का पं. लेखराम रचित जीवन चरित पढ़ते समय एक बार हमारी दृष्टि में यह तथ्य आया कि स्वामी दयानन्द मथुरा में गुरु विरजानन्द सरस्वती से सन् 1863 में दीक्षा लेकर आगरा आकर प्रचार कर रहे थे और वहां उन्हें मूल वेदों की आवश्यकता पड़ी…