प्रदीप रावत
किसी भी समाज का अतीत उसकी आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी रहता है। मुझे आज भी याद है बचपन में गाँव के बूढे लोग एक जगह पर इकठ्ठा होकर चर्चाएं करते थे और मनोरंजन के लिए गाँव में रामलीला . पांडव नृत्य व अन्य धर्मिक आयोजन किये जाते थे ।परस्पर लोग मेल मिलाप और सौहार्दपूर्ण माहौल बनाकर रहते थे। लोग समुहिक रूप से कार्य करते थे। जिसमे गरीब व्यक्ति का काम भी निकल जाता था। मुझे याद है लोग गाँव में कैसे रामलीला और पांडव नृत्य जैसे बड़े कार्यो को सरलता से निपटा देते थे।
लेकिन इन चंद सालो में बहुत कुछ बदला है। इंटरनेट की दुनिया गाँवो से अछूती नही है । और खासकर अपने गाँव की बात करू तो यहा लगभग 90% युवा इंटरनेट का इस्तेमाल करते है हालाकि यह एक विकास और आधुनिकता को दर्शाता है परन्तु इसका गाँव के सांस्कृतिक जीवन पर विपरीत प्रवाह साफ़ दृष्टिगोचर होता है —————-सोशल साईट ने जैसे जैसे पाव पसारे लोग इन साईट के गुलाम होते नज़र आते है । गाँव में भी लोगो की सोशल साईट के प्रति रूचि बड़ी है । सोशल साईट के कारण अगर सबसे बड़ा परिवर्तन यह हुवा है ।लोगो में दूसरे के प्रति संवेदना कम हो गयी है । गाँव के रीति रिवाज ,परम्पराओ और यहा तक की शादी , व त्योहारो में भी आधुनिकता का असर झलकता है । इन मेलो व त्योहारो से हमारे प्राचीन वाद्य यंत्रो के सुर अब कम ही सुनायी देते है
जैसे जैसे गाँव शिक्षित हुए है वैसे ही लोग असामाजिक हुए है ।कभी भारतीय संस्कृति की मुख्य पहचान माने जाने वाले गाँवो में भी आज पाश्चात्य संस्कृति का असर साफ़ नजर आता है ।
अक्सर लोग सोशल साईट पर लोग काफी दोस्त बना देते है परंतु असल ज़िन्दगी में दोस्तों को कोई तवज़्ज़ो नही दे पाते ।
इंटरनेट एक ऐसी दुनिया है जिसने पुरे विश्व को एक परिवार के रूप में समेट रखा है । इंटरनेट से हम वो सब प्राप्त क़र सकते है जो हमारी इच्छाओ से भी परे है।
इण्टरनेट अगर एक चमत्कारी सूचना क्रंति है तो दूसरी तरफ इसके भयानक विपरीत प्रभाव भी कम नही है।
इन चीज़ों का सीमित और सटीक उपयोग ही हमें बचा सकता है ।
गावो से तीव्र पलायन पर केवल चिंतन ही नही बल्कि योजना भी जरूरी
उत्तराखंड के पहाड़ी गाँवो पलायन इतनी तीव्र गति से हो रहा है लगता है आगामी 10-20 सालो में आधा पहाड़ लगभग खाली होने की कगार पर होगा इस पलायन को रोकने के लिए सरकार को ठोस रणनीति बनानी होगी तथा इस योजना पर कार्य तीव्र गति से करना होगा
?सबसे पहले यह समझना होगा की पलायन का मुख्य कारण क्या है ज़्यादातर लोग शिक्षा और स्वास्थ्य तथा रोजगार की सुविधाये ना होने के कारण शहरो की तरफ आ रहे है जबकि कुछ आपदा क्षेत्रो के लोग भूस्खलन आदि के डर से अपने पैतृक गांवो को छोड़ने पर मजबूर है ।
पलायन को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय
1-गांवो में गुणवक्ता पूर्ण शिक्षा जिसमे प्राथमिक स्तर की शिक्षा में सुधार
2-चिकत्सा क्षेत्र में जगह जगह हॉस्पिटल खोले जाय
3-गांवो में बच्चों के लिए खेल मैदान
4-रोजगार सृजन करने के लिए युवाओ को स्वरोजगार की शिक्षा दी जाय
5-युवाओ को कैरियर सम्बन्धी जानकारी देने के लिए कैंप लगाये जाय
6- भूस्खलन क्षेत्रो में लोगो को दूसरी जगह विस्थापित किया जाय
7-ग्रामीण सड़को का पक्कीकरण व डामरीकरण
8-ग्रामीण कृषी उत्पादों के विनमय के लिए योजना
9-स्किल इंडिया कार्यक्रम के तहत सिलाई , कम्प्यूटर प्रशिक्षण आदि की सुविधा
10-गांवो के महत्व को समझाने के लिए जन जागरूप कार्यक्रम
11-ग्रामीण परम्पराओ और रीती रिवाजो को संरक्षण प्रदान करना व मेले त्यौहार को बड़े स्तर पर प्रचार प्रसार
12- पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ठोस पर्यटन नीति