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भाई के नाम पत्र - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
गंगानन्द झा कल की डाक से तुम्हारा पत्र मिला। मैं प्रतीक्षा कर रहा था। पता नहीं क्यों देर हुई। पर खैरियत से पहुँच गया, ग़नीमत है। तुम्हारा अवलोकन सही है कि मुझे जीवन के सम्बन्ध की उक्तियों वाले वाक्य खींचते रहे हैं। शायद तुम्हें याद हो तुमसे मैंने बतलाया था…