– डॉ. दीपक आचार्य
हरियाली भरा परिवेश तन-मन को सुकून देने के साथ ही जीवन के हर पहलू में सुख-समृद्धि लाता है। पानी और हरियाली का अपना अलग ही आकर्षण है। जो इन्हें देखता है उसे तत्क्षण सुकून व आत्मतोष मिलने लगता है।
हरियाली भरे परिवेश में जीवन को आनंद देने वाले रंगों और रसों की भरमार हुआ करती है। आज हमारे जीवन में रसहीनता, गंधहीनता और जड़ता आ गई है उसका मूल कारण ही यह है कि हम नैसर्गिक रसों के अखूट भण्डार से दूर होते चले जा रहे हैं। जिस तेजी से ये दूरियाँ बढ़ती जा रही हैं उतना ही हमारा जीवन नीरस होता जा रहा है।
हरियाली प्राणी मात्र को प्रिय होती हैं चाहे वह पशु हो या इंसान। हरियाली जहाँ सुकून देती है वहीं जबर्दस्त आकर्षण भी जगाती है। किसी भी भवन की शाश्वत सुंदरता उसके आस-पास के हरियाले परिसरों से प्रतिबिम्बित होती है। यह हरियाली भरे परिवेश की सघनता और बेहतर विन्यसन पर निर्भर करती हैं।
असली छाया तो पेड़-पौधों की ही होती है। हम अपने भवनों का नाम भले ही मातृ छाया, पितृ छाया आदि कुछ भी रख लें, ये सब छायाएँ आभासी होती हैं जबकि प्रत्यक्ष छाया का सुख तो इन पेड़ों से ही मिलता हैं।
स्थानीय से लेकर देश-विदेश तक में इन्ही प्रकृति पुत्रों की मौजूदगी हर किसी के चरम आकर्षण का केन्द्र होती है जो हमेशा आनंद के महास्रोत के रूप में उल्लास का महासागर उमड़ाते रहते हैं।
इसलिए अपने घरों की शोभा बढ़ाना चाहें तो खाली जमीन की उपलब्धता होने की स्थिति में हरियाली लाने पर ध्यान दें। घास के छोटे-बड़े बगीचे से लेकर जगह और जलवायु तथा वास्तु के अनुकूल पादप लगाएँ।
बेहतर यह होगा कि जिस दिन अपने घर की नींव डालने का मुहूर्त हो उसी दिन उपयुक्त पेड़-पौधे लगाएँ अथवा अपने आवासीय/वाणिज्यिक भवनों का काम शुरू करने के साथ ही पेड़-पौधे लगाएँ।
पौधारोपण अच्छे मुहूर्त में करें। इसके लिए रसों का देवता चन्द्रमा बली होना चाहिए। ऐसे में शुक्ल पक्ष में शुभ मुहूर्त लें। गुरु या रवि पुष्य योग होना और उत्तम माना जाता है। पौधे लगाने से पूर्व भूमि पूजन जरूर करें। इससे पौधे के सुरक्षित पल्लवन व पुष्पन में आड़े आने वाले दोषों की निवृत्ति हो जाती हैं।
यह भी ध्यान दें कि पौधे लगाने का काम पवित्र होकर करें तथा खुद या परिवार के लोग ही पौधारोपण करें। वहां आस-पास दूर्वा, तुलसी आदि भी लगायें। भ्रष्ट, बेईमान और मलीन बुद्धि वाले व्यभिचारी लोगों के हाथों रोपे जाने वाले पौधे कुछ समय बाद स्वतः नष्ट हो जाते हैं इसलिए शुद्ध चित्त वाले व पवित्र बुद्धि वाले लोगों के हाथों ही पौधे लगने चाहिएँ। रात को पौधारोपण नहीं करना चाहिए।
भवन निर्माण शुरू होने के साथ ही पौधारोपण कर देने का फायदा यह होता है कि इनकी सुरक्षा व नियमित सिंचाई तथा देख-रेख के लिए पृथक से व्यवस्थाएँ नहीं करनी पड़ती बल्कि ये काम बिना अतिरिक्त खर्च के आसानी से होते रहते हैं।
इसके साथ ही भवन निर्माण पूरा होने तक ये पर्याप्त ऊँचाई पा जाते हैं तथा भवन के वास्तु या उद्घाटन का दिन आने तक भवन का स्वरूप नैसर्गिक रंगों से कुछ अलग ही निखरा हुआ दिखने लगता है।
ऐसा सुंदर माहौल भवन देखने वालों को हर्षाता है और भवन में रहने या व्यवसाय करने वालों को तो ताजगी, सुकून और बरकत देता ही है। भवनों के शिलान्यास के साथ ही पौधारोपण ही यह परम्परा घरेलू के साथ ही निजी व सरकारी क्षेत्र में लागू हो जाए तो हमारा पूरा क्षेत्र ही हरियाली से इतना भर जाए कि हर कोई वाह-वाह कर उठे।
भवन स्वामी की जन्म राशि व नक्षत्रों के अनुसार यदि पौधे लगायें जाए तो इसका और भी बढ़िया प्रभाव देखा जा सकता है। हम जहाँ रहते हैं, जहाँ काम-धन्धा करते हैं वहाँ जगह की उपलब्धता होने पर पर्याप्त पेड़-पौधे लगायें, घास के छोटे-छोटे लॉन विकसित करें।
मन्दिरों, मठों और धर्मशालाओं से लेकर सार्वजनिक महत्त्व के सभी प्रकार के भवनों और परिसरों का सौन्दर्य तभी सामने आ सकता है जब इनमें अथवा आस-पास पेड़-पौधों की मौजूदगी और हरियाली भरा परिवेश हो। हरियाली के बगैर न इनमें कोई सुकून मिलता है न किसी को आत्मिक शांति।
बड़े-बड़े और मशहूर मन्दिर भी तभी आनंद दे पाते हैं जब वहाँ हरियाली हो अन्यथा ऐसे जिन मन्दिरों के पास हरियाली और छाया नहीं होती वहाँ रहना भगवान भी कभी पसन्द नहीं करते। ईश्वर भी वहाँ निवास करना पसंद करता है जहाँ प्रकृति का विस्तार हो।
यह ज्ञान सिर्फ गृहस्थियों, पर्यावरण के नाम पर दुनिया को ऊँचा उठा लेने वालों और राज-काज के कर्णधारों को नहीं बल्कि उन सभी को होना चाहिए जो धर्म के धंधेबाज बने फिरते हैं।