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कश्मीरी (विस्थापित) कविता - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
बंदिनी देवी हम निराश हो रहे हैं देवी ज्येष्ठा कि हमारी भूमिकाएं उलट गई हैं और अब हमारी बारी है तुम्हारी रक्षा करने की मूर्तिचोरों और मूर्तिभंजकों की दुष्ट योजनाओं को विफल करने की जो हमारी भूमि पर मंडरा रहे हैं। हमने तुम्हारे लिए बाड़ बना दिया है…