नया साल, मोदी और चुनौतियाँ

नया वर्ष हर व्यक्ति के लिए बीते हुए वर्ष की सफलताओं और उपलब्धियों के साथ-साथ कमियों और गलतियों का मूल्यांकन करने का समय है। यह हमें अपने आप को भावी वर्ष के लिए योजना बनाने, कार्य करने तथा आगामी वर्ष के लिए नये लक्ष्य तय करने का अवसर प्रदान करता है। नए साल की शुरुआत में हर व्यक्ति को भावी वर्ष के लिए नए लक्ष्य बनाने चाहिए और उन्हें पूरा करने की रणनीति बनानी चाहिए। जिससे कि अवसरों को सफलता में बदला जा सके। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने बीते वर्ष में अनेक उपलव्धियाँ हांसिल की हैं, साथ-साथ अनेक सफलताएं भी पायी हैं। इन सफलताओं और उपलब्धियों में मोदी सरकार को अपनी गलतियों और कमियों पर पर्दा नहीं डालना चाहिए। बल्कि अपनी गलतियों और कमियों का मूल्यांकन करके भावी वर्ष के लिए रणनीति बनानी चाहिए। जिससे कि गलतियों और कमियों को सुधारकर अवसरों में बदला जा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते वर्ष में जिस प्रकार से अनेक चुनौतियों का सामना किया, उसी प्रकार भावी वर्ष में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। कहा जाए तो साल 2017 में नरेंद्र मोदी को अनेक अग्नि परीक्षाओं से गुजरना पड़ेगा। सबसे पहली अग्नि परीक्षा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए नोटबंदी के बाद 5 राज्यों (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर) में विधानसभा चुनाव होगा। इन पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा की सफलता और असफलता सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शाख को प्रभावित करेगी। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में जीत का सेहरा भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिर पर सजेगा और हार का ठीकरा भी मोदी के मत्थे मढ़ा जाएगा। इन पांच राज्यों में से गोवा में भाजपा की सरकार है। पंजाब में भाजपा और शिरोमणि अकाली दल की गढ़बंधन सरकार है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार है। और उत्तराखंड और मणिपुर में कांग्रेस पार्टी की सरकारें हैं। गोवा और पंजाब में भाजपा के लिए सरकार बचाने की चुनौती होगी। और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, और मणिपुर में सरकार बनाने की चुनौती होगी। इन चुनावों के नतीजों का सीधा-सीधा असर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे ज्यादा साख उत्तर प्रदेश के चुनावों में लगी है। एक तो नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सांसद हैं, साथ-साथ 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में सबसे बड़ी भूमिका उत्तर प्रदेश की रही है। अगर उत्तर प्रदेश में भाजपा अच्छा प्रदर्शन करती है तो नरेंद्र मोदी की साख बढ़ेगी। अगर भाजपा का लचर प्रदर्शन रहता है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चारों तरफ से दवाब बढ़ेगा। उत्तर प्रदेश में भाजपा को सपा, बसपा, कांग्रेस, रालोद जैसी धुरंधर पार्टियों से भिड़ना पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिवर्तन रैलियों में उमड़ रही भीड़ से तो उत्तर प्रदेश में भाजपा का रंग लग रहा है।  लेकिन जनता का रुख बदलते देर नहीं लगती। इन चुनावों में मोदी सरकार द्वारा देश से काले धन खत्म करने के लिए 1000 और 500 के नोटों के विमुद्रीकरण की भी परीक्षा होगी। अगर भाजपा पाँचों राज्यों में अच्छा प्रदर्शन करती है तो नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवम्बर 2016 को की गया बड़े नोटों की नोटबंदी पर जनता की मुहर लगेगी। और विपक्ष को मुँह की खानी पड़ेगी। लेकिन भाजपा का थोड़ा सा भी लचर प्रदर्शन रहा तो विपक्ष को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलने का मोंका मिल जाएगा। इसलिए वर्ष 2017 में पाँचों राज्यों (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर) के चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए काफी अहम् हैं।

वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए देश को कैशलेश (नकदी हीन) अर्थव्यवस्था की तरफ ले जाना भी एक चुनौती होगी। जिस देश में 90 प्रतिशत से ज्यादा लेन-देन कैश से होता हो उस देश को कैशलेश (नकदी हीन) व्यवस्था की और ले जाना भी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है। एकदम से देश को कैशलेश (नकदी हीन) अर्थव्यवस्था की तरफ ले जाना भी एक कठिन और साहसिक कदम है। ये सच है कि कोई भी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कैशलेस नहीं हो सकती है। और न ही  डिजिटल लेनदेन असल में नकदी लेनदेन का विकल्प है। बल्कि एक समानान्तर व्यवस्था है। लेकिन नरेंद्र मोदी जिस तरह से लोगों को कैशलेश के प्रति लोगों को जागरूक करने लगे हुए है, उससे लगता है कि इसके परिणाम सुखद होंगे। अगर किसी देश की 50 प्रतिशत अर्थव्यवस्था भी कैशलेस होती है, तो वहां भ्रष्टाचार होने के चांस बहुत कम होते हैं। अगर आने वाले साल में प्रधानमंत्री देश की 25 प्रतिशत अर्थव्यवस्था को भी कैशलेस करा पाए तो यह मोदी सरकार के साथ-साथ खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।

वर्ष 2017 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को देश में लागू करा पाना भी मोदी सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भारत की सबसे महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर सुधार योजना है। जिसका उद्देश्य राज्यों के बीच वित्तीय बाधाओं को दूर करके एक समान बाजार को बांध कर रखना है। इसके माध्यम से सम्पूर्ण देश में वस्तुओं और सेवाओं पर एकसमान कर लगाया जाएगा। यदि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को मोदी देश में 2017 में लागू करा पाए तो जीएसटी विसंगतियों को दूर करके कर प्रशासन को अत्यंत सरल बना देगा। केंद्र और राज्य सेवाओं और वस्तुओं पर समान दरों पर कर लगाएंगे। उदाहरण के लिए यदि किसी वस्तु पर 30 प्रतिशत कर लगाया जाता है तो केंद्र और राज्य दोनों 15-15 प्रतिशत कर संग्रहित करेंगे। अगर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) 2017 में देश में लागू होता है तो यह मोदी सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। कहा जाए तो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बड़ी सफलता होगी।

वर्ष 2016 में तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी के जरिये देश के आन्तरिक काले धन पर तो चोट कर दी है। लेकिन वर्ष 2017 में विदेशों में जमा काला धन को लाना नरेंद्र मोदी के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। क्योंकि नरेंद्र मोदी ने अपने प्रधानमंत्री बनने से पहले अपने चुनावी घोषणापत्र में विदेश में जमा काले धन को वापस लाने की बात कही थी। राजनीतिक दलों और एनजीओ के काला धन पर पर रोक लगाना भी प्रधानमंत्री के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। देश में सबसे ज्यादा काल धन राजनीतिक दलों और एनजीओ में चंदे के रूप में खपाया जाता है।  देश में हजारों राजनीतिक दल हैं। लेकिन उनमे से नाम मात्र के कुछ बड़े दल चुनाव लड़ते हैं।  कहा जाए तो अधिकतर पार्टियां तो काले धन का सफेद करने के काम तक ही सीमित हैं। कहा जाए तो अधिकतर पार्टियां चुनाव भी काले धन के बूते ही लड़ती हैं। आज के समय में राजनीतिक पार्टियों के खाते में ही अधिकतर कला धन है। यह काला धन पार्टियों को सांठगांठ से बड़े बड़े कॉर्पोरेट घरानों, प्रॉपर्टी डीलरों और बड़े-बड़े अधिकारियों से मिलता है। जो कि वो अनुचित रूप से कमाते हैं। यही हाल देश में लाखों की संख्या में कुकुरमुत्तों की तरह खुले पड़े गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) का है। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2017 में राजनीतिक दलों और एनजीओ को मिलने वाले चंदे की पारदर्शिता के लिए कोई बड़ा कदम उठाते है तो यह बहुत बड़ी बात होगी। इसके बारे में मोदी खुद बोल भी चुके हैं।

वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बेनामी संपत्तियां पर कार्यवाही सबसे बड़ी चुनौती है। नोटबंदी के बाद से लगातार नरेंद्र मोदी बेनामी संपत्तियां पर कार्यवाही की बात कर रहे हैं। अगर बेनामी सम्पतियों पर कार्यवाही होती है तो नरेंद्र मोदी का सबको छत देने का सपना पूरा हो सकता है। बेनामी सम्पतियों पर कार्यवाही का कदम बदनाम प्रॉपर्टी सेक्टर में पारदर्शिता लाने में और बेतहाशा बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने में कारगर साबित हो सकता है, बशर्ते नए कानून को ठीक ढंग से लागू किया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हुंकार देखकर तो लगता है वर्ष 2017 में मोदी बेनामी सम्पतियों को लेकर कोई बड़ा फैंसला कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो देश की अर्थव्यवस्था में से अधिकतर काल धन समाप्त हो जाएगा और प्रधानमंत्री मोदी के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।

2016 में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अनेक नई शुरूआतें की गईं हैं तथा कई महत्वपूर्ण योजनाएं आरंभ की गई हैं। अब मोदी सरकार को  इन योजनाओं को इनकी परिणति तक पहुंचाना होगा। और अच्छे परिणाम देने होंगे। जिससे देश के हर व्यक्ति तक विकास पहुँच सके। नरेंद्र मोदी सरकार को शासन को सभी स्तरों पर कुशल, पारदर्शी, भ्रष्टाचारमुक्त, जवाबदेह और नागरिक अनुकूल बनाना होगा। जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्यक्तिगत रूप से प्रयासरत हैं। वर्ष 2017 में मोदी सरकार को महिलाओं की सुरक्षा के साथ-साथ बेहतर लैंगिक संवेदनशीलता भी सुनिश्चित करनी होगी। कहा जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्र को उपलब्धियों की नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए तहेदिल से और एकाग्रचित होकर प्रयास करना होगा। जो कि उनके हर प्रयास में दिखता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिये वर्ष 2017 में अनेक उपलब्धियां गढ़ने का अवसर है। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सम्पूर्ण देश का नागरिक एक सशक्त, एकजुट एवं समृद्ध भारत के निर्माण की दिशा में मिलकर काम करने का संकल्प लें तो देश को आगे बढ़ने से कोई ताकत नहीं रोक सकती।

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