लौट आए चैंपियन

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वेस्टइंडीज
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एक ऐसी टीम जिसका विश्व कप से पहले अपने ही बोर्ड के साथ भुगतान विवाद चल रहा था। वो ऐसी टीम जिसे विश्व क्रिकेट के पंडितों ने ज्यादा तवज्जों नहीं दी थी। ऐसी टीम जिसमे केरान पोलार्ड,सुनील नरेन और डेरेन ब्रावो जैसे खिलाड़ी विश्व कप शुरु होने से पहले ही टीम से बाहर हो गए थे.वो टीम विश्व कप जीत ऐसा सोचना भी शायद गलत है। लेकिन यही खूबसूरती है क्रिकेट की जिसे साकार किया 1970 और 80 के दशक की सबसे शक्तिशाली टीम रही वेस्टइंडीज ने। वेस्टइंडीज पहली ऐसी बनी जिसके नाम पर वनडे और और टी-20 विश्व कप के कुल मिलाकर चार खिताब दर्ज है।
केवल अफगानिस्तान के हाथों हार को छोड़ दिया जाए तो उसका पूरे विश्व कप में प्रदर्शन लाजवाब रहा है। इसमे कोई शक नहीं है कि वेस्टइंडीज ने खेल के हर विभाग में अन्य टीमों से ज्यादा प्रभावित किया है। जिस तरह का प्रदर्शन वेस्टइंडीज ने किया उसे देखते हुए 1970 और 1980 के दशक की यादें ताजा हो गई जब क्लाइव लाइड की टीम में एक से बढ़कर एक मैच विनर खिलाड़ी थे। टीम उस समय किसी एक खिलाड़ी पर निर्भर नहीं रहती थी. यहां भी हालात कुछ ऐसे ही थे. जब भी टीम को जरुरत हुई किसी ना किसी खिलाड़ी ने जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली और टीम को जीत दिला कर ही दम लिया। चाहे वह क्रिस गेल हो जिन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ अकेले दम पर खेल का पासा पलट दिया.या सेमीफाइनल में भारत के खिलाफ सिमंस और रसेल हो या फाइनल में सैमूअल्स और ब्रेथवेट रहे हो इन दोनों खिलाड़ियों ने तो ने गजब की जीवटता दिखाते हुए फाइनल मे इंग्लैंड के जबड़े से ही मैच छीन लिया था।
कार्लोस ब्रेथवेट की जितनी तारीफ की जाए वो कम है.. एक ओवर में 19 रन फाइनल मैच और सामने कोलकाता के क्रिकेट प्रेमी लेकिन ब्रेथवेट ने संयम नहीं खोया और अपने को इतिहास में दर्ज करा लिया। वो कोई बड़े हिटर नहीं है.. उनका करियर अभी शुरु ही हुआ है। लेकिन जिस तरह से ब्रेथवेट ने चार छक्के लगाकर लगभग हारा हुआ मैच अपनी झोली में डाला वो वाकई में अविश्वसनीय रहा.
इग्लैंड ने जिस तरह से पूरे विश्व कप में खेल दिखाया उसकी प्रशंसा की जाए उतनी ही कम। टीम फाइनल में जरुर हार गई लेकिन वे अपने खेल को ऊंचाईयों तक ले गए। इयान मोर्गान हालांकि बल्ले की चुनौती में असफल हो गए लेकिन उन्होंने जिस तरह से विश्व कप में अपनी टीम के खिलाड़ियों की हौसला अफजाई की वो आने वक्त में इयान मोर्गान को और मजबूत बनाएगी।
इंग्लैंड के तेज गेंदबाज बेन स्टोक्स शायद आखिरी ओवर को कभी भी याद नहीं रखना चाहेंगे। वे यकीकनन अपने प्रदर्शन से जरुर निराश होंगे। लेकिन आने वाले वक्त में ये परिस्थितियां उन्हें और भी मजूबत बनाएगी। इससे पहले भी युवराज सिंह ने इग्लैंड के गेंदबाज स्टुअर्ट ब्राड के अपने एक ओवर में लगातार 6 छक्के मारे थे. लोकिन आज ब्राड टेस्ट क्रिकेट में नंबर एक गेंदबाज है। स्टोक्स अपने साथी से प्रेरणा ले सकते है.. कुछ लोग उनमे एंड्य फिल्टांफ की तस्वीर देखते है..स्टोक्स में काबिलियत है वे आला दर्ज के हरफौनमौला है..लेकिन फिलहाल वे तनाव में होंगे।

खैर.बात की जाए वेस्टइंडीज की तो उन्होंने दिखा दिया कि कैसे अपना गुस्सा काबू में रखते हुए मैदान के लिए बचा रखना चाहिए। मैच के बाद कप्तान डैरेन सौमी ने भावुक कर देने वाला बयान दिया जिसमे उन्होंने कहा कि हमारे पास यूनीफार्म भी नहीं

थी। ऐसे में सहज ही अंदाजा हो जाता है कि विश्व कप जीतने के लिए इस टीम ने कितनी मेहनत की होगी
वेस्टइंडीज की पुरुषों की टीम की तरह ही महिलाओं की टीम ने भी विश्व अपना पहला विश्व कप जीता था। इसी साल वेस्टइंडीज की अंडर 19 टीम ने भी विश्व कप जीता था इस तरह से वेस्टइंडीज पहली टीम बनी गई जिसके पास एक समय में तीनों खिताब है।
अपने अद्भत और अकल्पनीय खेल से वेस्टइडींज ने अपने सभी क्रिकेट आलोचकों खेल से जवाब दिया। उम्मीद है वेस्टइंडीज की ये जीत वहां के घरेलू हालात और चल रहे वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड और खिलाड़ियों के बीच चल रहे तनाव को खत्म करेगी। फिलहाल वे फटाफट क्रिकेट के बादशाह है।
रवि कुमार छवि

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