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पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ जातिगत विभेदों से ऊपर है ‘छठ’ महापर्व - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मुरली मनोहर श्रीवास्तव कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकति जाय… बहंगी लचकति जाय…बात जे पुछेलें बटोहिया बहंगी केकरा के जाय ? बहंगी केकरा के जाय ?….. पर्यावरण संरक्षण की बात चल पड़ी है। प्रकृति के विभिन्न तत्वों के महत्ता को फिर से लोग समझने लगे हैं। हमारी सनातन परंपरा…