छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में दिखा 56 इंच का सीना

0
164

-कुमार सुशांत-

narendra modiबीते लोक सभा चुनाव की बात है। अप्रैल 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने कहा था कि देश को चलाने के लिए 56 इंच का सीना चाहिए। आज छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नक्सलियों के गढ़ में जाकर जिस तरह बच्चों के सवाल का जवाब दिया, वह एक जिगर वाला ही कर सकता है। तीस बरस में यह पहला मौका है जब देश के किसी प्रधानमंत्री ने नक्सलवादियों के इस गढ़ की यात्रा की है। छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार हुआ कि किसी प्रधानमंत्री ने वहां के बच्चों के साथ मनोरंजन किया, उनसे घुले-मिले और उनकी सवालों का कोई राजनीतिक नहीं, बल्कि आदमियतता से जवाब दिया।

पीएम मोदी ने कहा, ‘कंधे पर बंदूक नहीं बल्कि हल होने से ही विकास होगा और इससे हर कोई विकास की मुख्य धारा से जुड़ सकेगा। हिंसा का कोई भविष्य नहीं है। भविष्य सिर्फ शांतिपूर्ण कार्यों में है। नक्सल आंदोलन के जन्मस्थल नक्सलबाड़ी ने पहले ही हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है। निराश न हों, मौत का तांडव खत्म होगा।‘ प्रधानमंत्री ने बागियों से कहा कि कुछ दिन के लिए अपनी बंदूकें रख दें और उनकी हिंसा से जो परिवार प्रभावित हुए हैं, उनसे मिलें। यह अनुभव आपको आपका मन बदलने पर मजबूर कर देगा और आपको हिंसा का रास्ता छोड़ने की प्रेरणा देगा। इस बीच, निकटवर्ती दंतेवाड़ा आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि लोकतंत्र में हिंसा का कोई भविष्य नहीं है। उन्होंने कहा कि कंधे पर हल से विकास हो सकता है, बंदूक से नहीं। मोदी ने कहा कि मौत का तांडव खत्म होगा। अपने दिनभर के छत्तीसगढ़ दौरे में प्रधानमंत्री नक्सलवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित दक्षिण बस्तर जिले में कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत करने वाले हैं।

सबसे मज़ेदार रहा जिस तरह प्रधानमंत्री ने बच्चों के सवालों का जवाब दिया। बच्चों से प्रधानमंत्री बोले, जीवन में सबसे बड़ा आनंद है बालक बने रहना। बच्चों ने भी प्रधानमंत्री से मज़ेदार सवाल पूछ डाले। पीएम ने पूछा गया कि आप राजनीति में नहीं होते तो क्या करते ? प्रधानमंत्री ने कहा, ‘लक्ष्य हासिल करने के लिए कभी जीवन को सफलता और असफलता के तराजू में नहीं तोलना चाहिए। विफलताओं से हमें सीखना चाहिए। सफलता का हिसाब लगाने से निराशा आती है। मैं सफलता के लक्ष्य से काम नहीं करता। विफलता और सफलता आती रहती है।‘ प्रधानमंत्री ने जीवन की सफलता और मेहनत से जुड़े ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जो साफ तौर पर लग रहा था कि ये दिल की आवाज़ है। उन्होंने कहा कि जो अपनों के लिए जीते हैं, उन्हें थकान नहीं होती। तनाव काम करने से नहीं होता, तनाव काम नहीं करने से होता है। मैं काम करने के घंटे नहीं गिनता। प्रधानमंत्री से पूछा गया कि आप तनाव का सामना कैसे करते हैं ? उन्होंने कहा कि कठिन हालातों में जीवन जीना आना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here