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21वीं सदी में ‘बचपन’ - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डा. प्रदीप श्याम रंजन 21वीं सदी अपनी पूरी शक्ति से गतिमान है और इस वेग के बहाव में कई चीजें चाहे-अनचाहे अपना स्वरुप परिवर्तित कर रही हैं. संकुचित परिवार, ब्यस्त माता-पिता, ब्यस्तता से उपजा समयाभाव और समयाभाव की आभासी प्रतिपूर्ति करते तकनीकी साधनों पर अतिनिर्भरता के फलस्वरुप बचपन की एक…