कुशल वैद्य होते हैं बच्चे

चित्त उदास और मन चंचल,

हो तो यह कर डालें|

चलकर किन्हीं सड़क गलियों में,

बच्चा गोद गोद उठा लें|

 

बच्चे को गुदगुदी लगाकर,

उसको खूब हँसा लें|

वह लग जाये ठिल ठिल करने,

तो खुद भी मुस्करा लें|

 

खुशियों के उन, मुक्त पलों को,

आंखों में बैठा लें|

कुशल वैद्य होते हैं बच्चे,

बस इलाज करवा लें|

 

Previous articleचुहिया रानी
Next articleअब तो शर्म करें कलमाड़ी
प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here