चोर चोर मौसेरे भाई
मिले चुनावी वक़्त
मोलभाव सीटों का करें
इधर उधर भटकें।
लोग जो आज इधर हैं
कल मिल जायें उधर,
आज जिन्हे अच्छा कहें,
कल खोजेंगे नुक्स,
जो कुर्सी की आस दे,
उसके होंगे भक्त।
ना कोई आदर्श है
ना कोई सिद्धान्त
झूठे दस्तावेज़ हैं,
इनके घोषणापत्र,
राजनीति बस हो रही,
सत्ता पर कुर्बान।
इसको दो आरक्षण,
मिल जावेंगे वोट
उसको बिजली में छूट दो
थोडे बटोरो वोट,
कहीं दंगे फसाद कराके
काटो औरों के वोट।
इंसान तो वहीं है
चाहें पार्टी और।
ऐसे ही चलता रहेगा
प्रजातंत्र का दौर।