संस्कृति मंत्रालय का स्वच्छ भारत अभियान: 16-30 सितंबर 2016

स्वच्छ भारत अभियान
 स्वच्छ भारत अभियान
स्वच्छ भारत अभियान

डा. राधेश्याम द्विवेदी
महात्मा गांधी ने अपने आसपास के लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा प्रदान कर राष्ट्र को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था। उन्होंने “स्वच्छ भारत” का सपना देखा था जिसके लिए वह चाहते थे कि भारत के सभी नागरिक एक साथ मिलकर देश को स्वच्छ बनाने के लिए कार्य करें। महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के स्वप्न को पूरा करने के लिए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है शुरू किया और इसके सफल कार्यान्वयन हेतु भारत के सभी नागरिकों से इस अभियान से जुड़ने की अपील की।
इस अभियान का उद्देश्य अगले पांच वर्ष में स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है ताकि बापू की 150वीं जयंती को इस लक्ष्य की प्राप्ति के रूप में मनाया जा सके। स्वच्छ भारत अभियान– बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है, सफाई करने की दिशा में प्रतिवर्ष 100 घंटे के श्रमदान के लिए लोगों को प्रेरित करता है। माननीय प्रधानमंत्री द्वारा मृदला सिन्हा, सचिन तेंदुलकर, बाबा रामदेव, शशि थरूर, अनिल अम्बानी, कमल हसन, सलमान खान, प्रियंका चोपड़ा और तारक मेहता का उल्टा चश्मा की टीम जैसी नौ नामचीन हस्तियों को आमंत्रित किया गया कि वह भी स्वच्छ भारत अभियान में अपना सहयोग प्रदान करें, इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करें और अन्य नौ लोगों को भी अपने साथ जोड़ें, ताकि यह एक श्रृंखला बन जाएं। आम जनता को भी सोशल मीडिया पर हैश टैग #MyCleanIndia लिखकर अपने सहयोग को साझा करने के लिए कहा गया।.
मेरी सरकार- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है ने एक ऐसा रचनात्मक और सहयोगात्मक मंच प्रदान किया है जो राष्ट्रव्यापी आंदोलन की सफलता सुनिश्चित करता है। यह मंच प्रौद्योगिकी के माध्यम से नागरिकों और संगठनों के अभियान संबंधी प्रयासों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। कोई भी व्यक्ति, सरकारी संस्था या निजी संगठन अभियान में भाग ले सकते हैं। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को उनके दैनिक कार्यों में से कुछ घंटे निकालकर भारत में स्वच्छता संबंधी कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह राष्ट्रीय स्तर का अभियान है जिसका उद्देश्य गलियों, सड़कों तथा अधोसंरचना को साफ-सुथरा करना है। महात्मा गांधी ने अपने आसपास के लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा प्रदान कर राष्ट्र को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था। राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद एवं इसके सभी विज्ञान केन्द्रों/संग्रहालयों में 16-30 सितंबर 2016 के दौरान स्वच्छता पखवाड़ा का आयोजन किया गया है। आज से आंचलिक विज्ञानं नगरी में स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वच्छता पखवाड़े का आरंभ हुआ. अनेक गतिविधियाँ की गई. पाठाशालाओ के बच्चो के लिए चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसका विषय हमारे सपनो का स्वच्छ भारत था. आंचलिक विज्ञानं नगरी के सभी कर्मचारियों व अधिकारीयों ने इस अभियान में बढ़चढ़ कर भाग लिया ओर आँगन में सफाई भी की. साथ साथआज विज्ञानं नगरी की कार्यशाला में भी खूब साफ सफाई हुई. स्वच्छता पखवाड़े का आगाज शानदार रहा.
शहरी क्षेत्रों के लिए स्वच्छ भारत मिशन:- मिशन का उद्देश्य 1.04 करोड़ परिवारों को लक्षित करते हुए 2.5 लाख समुदायिक शौचालय, 2.6 लाख सार्वजनिक शौचालय, और प्रत्येक शहर में एक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की सुविधा प्रदान करना है। इस कार्यक्रम के तहत आवासीय क्षेत्रों में जहाँ व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण करना मुश्किल है वहाँ सामुदायिक शौचालयों का निर्माण करना। पर्यटन स्थलों, बाजारों, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशनों जैसे प्रमुख स्थानों पर भी सार्वजनिक शौचालय का निर्माण किया जाएगा। यह कार्यक्रम पाँच साल अवधि में 4401 शहरों में लागू किया जाएगा। कार्यक्रम पर खर्च किये जाने वाले 62,009 करोड़ रुपये में केंद्र सरकार की तरफ से 14623 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए जाएगें। केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त होने वाले 14623 करोड़ रुपयों में से 7366 करोड़ रुपये ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर,4,165 करोड़ रुपये व्यक्तिगत घरेलू शौचालय पर,1828 करोड़ रुपये जनजागरूकता पर और समुदाय शौचालय बनवाये जाने पर 655 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। इस कार्यक्रम खुले में शौच, अस्वच्छ शौचालयों को फ्लश शौचालय में परिवर्तित करने, मैला ढ़ोने की प्रथा का उन्मूलन करने, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और स्वस्थ एवं स्वच्छता से जुड़ीं प्रथाओं के संबंध में लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाना आदि शामिल हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए स्वच्छ भारत मिशन:- निर्मल भारत अभियान कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के लिए माँग आधारित एवं जन केन्द्रित अभियान है, जिसमें लोगों की स्वच्छता सम्बन्धी आदतों को बेहतर बनाना, स्व सुविधाओं की माँग उत्पन्न करना और स्वच्छता सुविधाओं को उपलब्ध करना, जिससे ग्रामीणों के जीवन स्तर को बेहतर बनाया जा सके। अभियान का उद्देश्य पांच वर्षों में भारत को खुला शौच से मुक्त देश बनाना है। अभियान के तहत देश में लगभग 11 करोड़ 11 लाख शौचालयों के निर्माण के लिए एक लाख चौंतीस हज़ार करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे। बड़े पैमाने पर प्रौद्योगिकी का उपयोग कर ग्रामीण भारत में कचरे का इस्तेमाल उसे पूंजी का रुप देते हुए जैव उर्वरक और ऊर्जा के विभिन्न रूपों में परिवर्तित करने के लिए किया जाएगा। अभियान को युद्ध स्तर पर प्रारंभ कर ग्रामीण आबादी और स्कूल शिक्षकों और छात्रों के बड़े वर्गों के अलावा प्रत्येक स्तर पर इस प्रयास में देश भर की ग्रामीण पंचायत,पंचायत समिति और जिला परिषद को भी इससे जोड़ना है। अभियान के एक भाग के रुप में प्रत्येक पारिवारिक इकाई के अंतर्गत व्यक्तिगत घरेलू शौचालय की इकाई लागत को 10,000 से बढ़ा कर 12,000 रुपये कर दिया गया है और इसमें हाथ धोने,शौचालय की सफाई एवं भंडारण को भी शामिल किया गया है। इस तरह के शौचालय के लिए सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता 9,000 रुपये और इसमें राज्य सरकार का योगदान 3000 रुपये होगा। जम्मू एवं कश्मीर एवं उत्तरपूर्व राज्यों एवं विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को मिलने वाली सहायता 10800 होगी जिसमें राज्य का योगदान 1200 रुपये होगा। अन्य स्रोतों से अतिरिक्त योगदान करने की स्वीकार्यता होगी।
स्वच्छ भारत : स्वच्छ विद्यालय अभियान:-मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन स्वच्छ भारत-स्वच्छ विद्यालय अभियान केन्द्रीय 25 सितंबर, 2014 से 31 अक्टूबर 2014 के बीच केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालय संगठन में आयोजित किया जा रहा है। इस दौरान की जाने वाली गतिविधियों में शामिल हैं- 1.स्कूल कक्षाओं के दौरान प्रतिदिन बच्चों के साथ सफाई और स्वच्छता के विभिन्न पहलुओं पर SBAविशेष रूप से महात्मा गांधी की स्वच्छता और अच्छे स्वास्थ्य से जुड़ीं शिक्षाओं के संबंध में बात करें।2.कक्षा, प्रयोगशाला और पुस्तकालयों आदि की सफाई करना। 3.स्कूल में स्थापित किसी भी मूर्ति या स्कूल की स्थापना करने वाले व्यक्ति के योगदान के बारे में बात करना और इस मूर्तियों की सफाई करना। 4.शौचालयों और पीने के पानी वाले क्षेत्रों की सफाई करना। 5.रसोई और सामान ग्रह की सफाई करना। 6.खेल के मैदान की सफाई करना । 7.स्कूल बगीचों का रखरखाव और सफाई करना। 8.स्कूल भवनों का वार्षिक रखरखाव रंगाई एवं पुताई के साथ। 9.निबंध,वाद-विवाद, चित्रकला, सफाई और स्वच्छता पर प्रतियोगिताओं का आयोजन और 10.’बाल मंत्रिमंडलों का निगरानी दल बनाना और सफाई अभियान की निगरानी करना।
इसके अलावा, फिल्म शो, स्वच्छता पर निबंध / पेंटिंग और अन्य प्रतियोगिताएं, नाटकों आदि के आयोजन द्वारा स्वच्छता एवं अच्छे स्वास्थ्य का संदेश प्रसारित करना। मंत्रालय ने इसके अलावा स्कूल के छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों और समुदाय के सदस्यों को शामिल करते हुए सप्ताह में दो बार आधे घंटे सफाई अभियान शुरू करने का प्रस्ताव भी रखा है।
स्वच्छ भारत अभियान:-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 महात्मा गांधी की जयंती पर अपने ड्रीम प्रोजेक्ट ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की शुरुआत की। स्वच्छ भारत अभियान या ‘क्लीन इंडिया केंपेन’ देश का सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान है। प्रधानमंत्री ने हर भारतीय से इस मिशन में शामिल होकर इसे सफल बनाने की अपील की है। विश्व बैंक ने 1,500,000,000 डॉलर का ऋण भारत स्वच्छता अभियान के लिए मंजूर किया है, इसके लिए 30 मार्च 2016 को भारत सरकार और विश्व बैंक ने एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किये।
अभियान क्यों शुरु किया गया:-यह कहते हुए बड़ा दुख होता है कि देश में लोगों का खुले में शौच करना एक बड़ी समस्या है। भारत में 72 प्रतिशत से ज्यादा ग्रामीण लोग शौच के लिए झाडि़यों के पीछे, खेतों में या सड़क के किनारे जाते हैं। इससे अन्य कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जैसे बच्चों की असमय मौत, संक्रमण और बीमारियों का फैलना और सबसे अहम सुनसान स्थान पर शौच के लिए गई युवतियों का बलात्कार। भारत की आबादी 1.2 बिलियन है और उसमें से करीब 600 मिलियन लोग या 55 प्रतिशत के पास शौचालय नहीं है। उन ग्रामीण इलाकों में जहां शौचालय है वहां भी पानी की उपलब्धता नहीं है। शहरों में झुग्गी में रहने वालों के पास ना तो पानी की आपूर्ति है ना शौचालय की सुविधा। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता संबंधी और खुले में शौच की इस गंभीर समस्या को ध्यान में रखकर यूपीए सरकार ने सन् 1999 में निर्मल भारत अभियान शुरु किया था। इस अभियान में सन् 2012 तक सार्वभौमिक घरेलू स्वच्छता का लक्ष्य स्थापित किया गया। यह सन् 1991 में शुरु किए गए टोटल सेनिटेशन केंपेन का अभिन्न हिस्सा था। हालांकि निर्मल भारत अभियान अपने लक्ष्य को हासिल ना कर सका। निर्मल भारत अभियान को वर्तमान सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान में बदलकर पेश किया है। इसका लक्ष्य भारत में खुले में शौच की समस्या को रोकना, हर घर में शौचालयों का निर्माण करना, पानी की आपूर्ति करना और ठोस और तरल कचरे का उचित तरीके से खात्मा करना है। इस अभियान में सड़कों और फुटपाथों की सफाई, अनाधिकृत क्षेत्रों से अतिक्रमण हटाना शामिल हैं। इस सबके अलावा इस अभियान में लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरुक करना भी शामिल है।
परियोजना कब पूरा होगा:-भारत सरकार ने राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संगठनों, निगमों और सक्रिय लोगों की भागीदारी से स्वच्छ भारत अभियान को सन् 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। महात्मा गांधी ने हमेशा स्वच्छता पर बहुत जोर दिया। उनका कहना था कि स्वच्छता स्वतंत्रता से ज्यादा जरुरी है। वह भारत को स्वच्छ भारत के तौर पर देखना चाहते थे। वह ग्रामीण लोगों की दयनीय हालत से पूरी तरह वाकिफ थे। भारत की आजादी को 67 साल हो गए पर अब भी देश की आधी से ज्यादा आबादी के पास उचित शौचालय नहीं है। इस तथ्य को ध्यान में रखकर भारत सरकार महात्मा गांधी के इस सपने को पूरा करना चाहती है और देश को सन् 2019 तक साफ करना चाहती है। सन् 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है।
सरकार के प्रयास:-स्वच्छ भारत अभियान को सही तरीके से लागू करने के लिए 19 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति बनाई गई है। इस समिति के अध्यक्ष वैज्ञानिक रघुनाथ अनंत माशेलकर हैं। माशेलकर वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक हैं। समिति विभिन्न राज्यों में स्वच्छता और पानी की सुविधा देने के सबसे श्रेष्ठ और आधुनिक तरीकों पर सुझाव देगी। यह सुझाव सस्ते, टिकाउ और उपयोगी होंगे। 2 अक्टूबर 2014 को जब पीएम ने यह अभियान शुरु किया तब उनके साथ पार्टी अधिकारी, बाॅलीवुड कलाकार आमिर खान, हजारों सरकारी कर्मचारी, स्कूल और कालेज के छात्र थे। प्रधानमंत्री को उनके कैबिनेट मंत्रियों का भी भरपूर सहयोग मिला। इसे जनआंदोलन बनाने के लिए उन्होंने नौ लोगों को सफाई की चुनौती लेने के लिए नामांकित किया, जिनमें प्रियंका चोपड़ा, शशि थरुर, सचिन तेंदुलकर और अनिल अंबानी शामिल हैं। इन नौ लोगों को और नौ लोगों को यह चुनौती देनी होगी। इस प्रकार इससे लोग जुड़ते जाएंगे। इन लोगों ने इस चुनौती को स्वीकार किया है और अन्य लोगों से जुड़ने की अपील की है। इस मुहिम में कुछ राज्यों ने भी भाग लिया है और कई अन्य कार्यक्रम और योजनाएं इस अभियान को सफल बनाने के लिए तैयार की जा रही हैं।
परियोजना का क्रियान्वयन:-स्वच्छ भारत अभियान के दो उप अभियान हैं-स्वच्छ भारत अभियान ग्रामीण, स्वच्छ भारत अभियान शहरी. इन दो उप अभियानों के लिए पेयजल और स्वच्छता और ग्रामीण विकास के मंत्रालय ग्रामीण इलाकों में इसकी जिम्मेदारी लेंगे और शहरी विकास मंत्रालय शहरों में इस मिशन की देखभाल करेगा। स्वच्छ भारत अभियान के तहत ग्रामीण इलाकों में ग्रामीण विकास मंत्रालय हर गांव को अगले पांच सालों तक हर साल 20 लाख रुपये देगा। इस अभियान के तहत सरकार ने हर परिवार में व्यक्तिगत शौचालय की लागत 12,000 रुपये तय की है ताकि सफाई, नहाने और कपड़े धोने के लिए पर्याप्त पानी की आपूर्ति की जा सके। अनुमान के मुताबिक पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा इस अभियान पर 1,34,000 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। स्वच्छ भारत अभियान के लिए शहरी क्षेत्र में हर घर में शौचालय बनाने, सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय बनाने, ठोस कचरे का उचित प्रबंधन करने और 4,041 वैधानिक कस्बों के 1.04 करोड़ घरों को इसमें शामिल करने का लक्ष्य है। इसमें सार्वजनिक शौचालय की दो लाख से ज्यादा सीट, सामुदायिक शौचालय की दो लाख से ज्यादा सीट मुहैया कराने और हर कस्बे में ठोस कचरे का उचित प्रबंधन करना शामिल है। वह कुछ क्षेत्र जिनमें घरेलू शौचालय बनाने में समस्या है वहां सामुदायिक शौचालय बनाए जाएंगे। आम स्थानों जैसे बाजार, बस अड्डे, रेलवे स्टेशन के पास, पर्यटक स्थलों पर और सार्वजनिक मनोरंजन स्थलों पर सार्वजनिक शौचालय की सुविधा दी जाएगी। शहरी विकास मंत्रालय ने इस मिशन के लिए 62,000 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं। पूरी परियोजना की अनुमानित लागत 1,96,009 करोड़ रुपये है। इस राशि से देश में 12 करोड़ शौचालय बनाए जाएंगे। ग्रामीण और शहरी विकास मंत्रालयों ने धार्मिक गुरुओं और समूहों जैसे श्री श्री रविशंकर और गायत्री परिवार से स्वच्छ भारत अभियान में शामिल होने का अनुरोध किया है।
अभियान के प्रमुख मुद्दे:-केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार शहरी भारत में हर साल 47 मिलियन टन ठोस कचरा उत्पन्न होता है। इसके अलावा यह भी बताया गया है कि 75 प्रतिशत से ज्यादा सीवेज का निपटारा नहीं होता है। ठोस कचरे की रिसाइकलिंग भी एक बड़ी समस्या है। भविष्य में बड़ी समस्या से बचने के लिए इन मुद्दों का निपटारा आज किया जाना जरुरी है। ग्रामीण भारत में साफ सफाई की कमी एक बड़ी चुनौती है। एक अन्य बड़ी चुनौती लोगों की सोच बदलना है। हमारे देश के लोग सड़क पर कचरा ना फेंकना सीखेंगे। या लोग खुद को और अपने इलाके को साफ रखना सीखेंगे। स्वच्छता की कमी की समस्या विकराल है सन् 2019 तक का प्रधानमंत्री का लक्ष्य अवश्य पूरा हो जाएगा।
निष्कर्ष:-सिर्फ अभियान शुरु करना ही काफी नहीं है, परिणाम मायने रखता है। सिर्फ सरकार इसे सफल नहीं बना सकती, लोगों की भागीदारी सबसे जरुरी है। इस कार्यक्रम के लिए विस्तृत ब्लू प्रिंट बनाना जरुरी है। समग्र तरीके से स्वच्छ भारत अभियान को लागू करने, सरकार और लोगों के प्रयासों से आने वाले सालों में भारत अवश्य एक स्वच्छ देश बन सकता है।

1 COMMENT

  1. युगपुरुष नरेन्द्र मोदी जी का “स्वच्छ भारत” अभियान देश की अधिकांश “बीमारियों” के एकमात्र उपचार में महत्वपूर्ण प्रस्तावना है!

    न्यू यार्क में आज प्रातः से ही चल रहीं बर्फानी हवाएं तापमान को नीचा गिराते मुझे घर पर रहने को विवश कर रही हैं| वैसे भी एक दशक पहले जैव-आयुर्विज्ञान अनुसंधान-पुस्तकालय से अपनी सेवानिवृति के बीच प्रौद्योगिकी के माध्यम से कभी कभी घर के सुख-साधन में पर्यटक बना गूगल मैप्स के “स्ट्रीट व्यू” अथवा “यू ट्यूब” पर देश विदेश के बाजारों व अन्य पर्यटक-संबंधी दृश्यों का आनंद लेता रहता हूँ| विशेषकर भारत में “स्वच्छ-भारत” अभियान के ध्यान से दक्षिण अमरीका में गरीब देशों के शहरों में गूगल मैप्स पर “भ्रमण करते” मैं पंजाब में अपने गाँव की प्राथमिक पाठशाला में अपने अध्यापक द्वारा “फटा पहनो पर उजला पहनो” कहते उन्हें आज भी “सुन” सकता हूँ| प्रकृतिक सुन्दरता के बीच दक्षिण अमरीका के शहरों के स्वच्छ गली-कूचों में वहां साधारण मकान भी उजले दिखाई देते हैं| अतेव, अंतरजाल पर यू ट्यूब के माध्यम से कश्मीर में लेह (लद्दाख) से कन्याकुमारी तक फैले प्रख्यात गाँव व शहरों में “Walking through the street” करते भारत मैं अथाह गरीबी और गंदगी देखता हूँ| भारत में भूदृश्य-निर्माण केवल संपन्न घरों व संस्थान-स्वामित्व भवनों के आंगनों में किया जाता है और नगर-प्रयोजन तो जैसे विद्यालयों की पाठ्य पुस्तकों में ही सीमित रह गया है जिसके ज्ञान से स्नातक विदेश में आजीविका हेतु जाने को लालायित रहते हैं!

    उन्नतिशील पाश्चात्य सभ्यता का मूलमंत्र यदि वहां जन समुदाय के बीच संगठन उसकी आत्मा है तो अवश्य ही उसके शरीर स्वरूप सशक्त एवं सुदृढ़ सामाजिक व व्यवसायी संस्थाएं पाश्चात्य सभ्यता को चिरस्थाई बनाए रखती हैं| भारतीय व्यावसायिक संगठनों को आज तक देश-निर्माण अथवा समाज कल्याण हेतु संस्थात्मक उत्तरदायित्व की बात करते मैंने कम ही देखा है| एसोसिएटेड बिल्डर्स एंड कॉन्ट्रैक्टर्स (ऐबीसी) और उससे अधिक अवधि से उपस्थित भारतीय संस्था, बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (बीऐआई) की वेबसाइट्स का उनके समाज की ओर संस्थात्मक उत्तरदायित्व हेतु विश्लेषणात्मक ढंग से अध्ययन करें तो आप मेरे अभिप्राय को भली भांति समझ जाएंगे|

    जब से स्वच्छ भारत अभियान के बारे में सुना है मन में भूदृश्य-निर्माण एवं नगर-प्रयोजन द्वारा पढ़े लिखे भारतीय युवा नागरिकों और भारत-पुनर्निर्माण में योगदान देते संस्थात्मक उत्तरदायित्व में समन्वय देखता हूँ| मैंने संयुक्त राष्ट्र अमरीका के पश्चिम व पूर्वीय तटों में भूदृश्य-निर्माण की प्रदर्शनियां देखी हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि “स्वच्छ भारत” अभियान में चिरस्थाई योगदान देते भारतीय युवा, विशेषकर परिदृश्य वास्तुकला में नए स्नातक, सामाजिक उद्यमिता द्वारा इस व्यवसाय को लोकप्रिय व भारतीय समाज में आवश्यक अंग बना सकते हैं|

    डॉ. राधेश्याम द्विवेदी जी को उनके सुन्दर निबंध के लिए मेरा साधुवाद|

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here