आएँगे आएँगे आएँगे, अच्छे दिन आ ही जाएँगे !

आएँगे आएँगे आएँगे, अच्छे दिन आ ही जाएँगे;
जीव जड़ ना ही रहेंगे, बोध वे पा भी सकेंगे !

माधुरी दे पाएँगे, मधुर स्वर गा पाएँगे;
मोह में ना वे रहेंगे, मुक्ति रस पीते चलेंगे !
सत्व गुण होगा प्रभावी, सूक्ष्म मन होंगे प्रभारी;
आएगी उनकी वारी, रहे अब तक जो पिछाड़ी!

चरित्र निर्मल होंगे, सही चित्रण वे करेंगे;
नीति राजा सीखेंगे, प्रीति जन जन को देंगे !
कला उत्कृष्टि चखेगी, ज्ञान विज्ञान रसेगी;
‘मधु’ मानुष मन होंगे, प्रभु के काम करेंगे !

गोपाल बघेल ‘मधु’

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