सहज शब्द सरल नही है ,सहने की मजबूरी है
जिस तरह प्रसव पीडा में ,पीडा सहना जरूरी है
साथ में जन्म लेने वाला भी ,सहज कहलाता है
जोकि ज का अर्थ जन्म ,लेने वाला हो जाता है
सहज में ह को निकाले ,दुनिया जो सज जाती है
वही ह फिर स को जोडे ,मधुरता मुस्काती है
आदि को तुम इससे निकालो ,मक्का शहर ले जाएगा
उल्टा कर जो मत को जोडो दुख को घर ले आयेगा
अंत और आदि को जोडो नाम खुशबू फैलती है
मध्यांत और आदि को जोडो रेत हो जैसी फिसलती है
-सुनील एक्सरे (साहित्यकार और स्वतंत्र लेखक)