pravakta.com
सांगोपांग समाज जीवन की शर्त है अन्त्योदय - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
19वीं सदी के अदभुत विचारक थे जॉन रस्किन। इनकी पुस्तक अन टू दी लास्ट पढ़ने के बाद महात्मा गांधी ने कहा कि अब मैं वह नहीं रह गया हूँ, जो मैं इस पुस्तक को पढ़ने के पहले था। इसी पुस्तक के शीर्षक का अनुवाद महात्मा जी ने किया अन्‍त्योदय। अन्‍त्‍योदय…