“संघर्ष” का समय “ज़िन्दगी” के होने का असल “आभास” कराये!
“संघर्ष” के बिना इंसान “जीवन” की कोई भी “सफलता” न पाए!
“संघर्ष-समय” ही है जो व्यक्ति को “आत्म-चिंतन” से लेकर
“आत्म-ज्ञान” का त्वरित पाठ पढ़ाये!
“संघर्ष” शब्द ही पूर्ण करता है “मनुष्य” के जीवन की परिभाषा..
कभी-कभी इस दौर मई “मृत” हो जाती है हर “आशा”…….
मिलती है जीवन के कदम-कदम पर हार के साथ भारी निराशा….
बुजोर्गो का है कहना ….”संघर्ष” होता है…. “समय” का वो “चक्र”…..
जिसमे “आशा मरे और निराशा ले” जन्म….
“समय ..के …रुख…को ..मोड़…सकता..है……
“इंसान” का अपना…”कर्म”……
बड़े-बड़े “अहंकारी” हो जाते है “संघर्ष-काल” मे नर्म….
“संघर्ष” ही इंसान को ……
“जीने-की-कला” …सिखाता….
“संघर्ष का समय” ही वास्तव मे …इंसान को..उसके….
“धैर्य-एवं-बुद्धिमता” के बल का परिचय कराता…..
“संघर्ष” ही जीवन के दो अहम् पहलु …”सुख-और-दुःख” के ….
“निर्धारण” का ..”आधारभूत” …”आधार”…..
व्यक्ति-के-जीवन के विकास और प्रगति के लिए……
अति-महत्वपूर्ण …है….उसका….”स्वभाव…आचरण…..और व्यवहार”
हर छोटी से छोटी .और…बड़ी से बड़ी…
समस्या….का ..हल ..होता है………”संयम-और-प्यार”…..