चर्च ऑफ़ इंग्लैंड और दुनिया में बहुत दिनों से चल रही लैंगिग समानता पर बहस के बीच बिट्रेन के संसद हाउस ऑफ़ लार्डस में बैठने वाली पहली महिला पादरी रेशाल ट्रवीक ने कहा है कि “चर्च ऑफ़ इग्लैंड” को भगवान के लिए पुर्लिंग शब्द (HE) का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए! उन्हौने अपने संम्बोधन में कहा की भगवान का कोई लिंग नहीं होता। अतः उसे स्त्रीलिंग, पूर्लिंग जैसे सर्वनामों से संबोधित नहीं किया जा सकता आपको बताते चले कि रेशाल ट्रवीक चर्च ऑफ़ इंग्लैंड की शीर्ष महिला पादरी है। वैसे देखा जाये तो दुनिया में पहले महिला पादरी नहीं होती थी अब पिछले कुछ सालो में जरुर बनने लगी है। वह बेहद विन्रम भाव से कहती है कि सब कहते है कि भगवान ने हमें अपने जैसा बनाया है। यदि उसने हमें अपने जैसा बनाया है तो उसको पुरुष जैसा ही क्यों देखें? भगवान केवल भगवान है उसको नर या नारी की तरह नहीं देखा जा सकता। कई अन्य महिला पादरियों ने भी उसकी बात का सर्मथन करते हुए कहा कि भगवान लिंग से परे है अर्थात उनको स्त्रीलिंग या पुर्लिग का प्रतीक मानकर नहीं पुकारा जा सकता है।
वैसे देखा जाये तो परमात्मा को लेकर दुनिया बहुत भ्रम में जी रही है। और अधिकांश संसार में नकली भगवान बनाकर उनको पूजनीय बना दिया जाता है या यह कहो कि वो पूजनीय हो चुके है! अब इसाई समाज में ही कभी यीशु को ईश्वर का बेटा तो कभी ईश्वर भी कह दिया जाता है और कभी यीशु को सारे संसार के लोगों का दुख हरने वाला भी कह दिया जाता है। बहरहाल जो भी हो पर रेशाल ट्रवीक के इस संबोधन के बाद ईसाइयों की पवित्र बाईबिल जरुर संदेह की नजरों से देखी जा सकती है क्योकि ईसा ईश्वर है और यीशु उसका बेटा तब ईश्वर स्त्री या पुर्लिंग जरुर होगा?बाइबल के अनुसार हव्वा ने सारे ब्रहमाण्ड को 6 दिन में बनाया और सातवें दिन उसने विश्राम किया और वह दिन रविवार था। अब प्रश्न यह है कि विश्राम वो करेगा जिसके शरीर होगा और जिसके पास शरीर है वो 6 दिन में इस दुनिया का निर्माण नहीं कर सकता यदि 6 दिन में इतना विशाल ब्रहमाण्ड बना सकता है तो बच्चे के निर्माण में 9 माह क्यों लग जाते है, वह तो कुछ सैंकडो में बन जाना चाहिए! इस बात से बाइबल असत्य या मनोरंजक कहानी से भरपूर पुस्तक साबित होती है।
ठीक कुछ-कुछ ऐसा ही हाल कुरान-ए शरीफ का है कुरान में बतलाया गया कि अल्लाह ने दोनों हाथों से आदम को बनाया यदि उसने दोनों हाथो से इंसान को बनाया तो जरुर वो भी स्त्रीलिंग-पुर्लिंग जरूर रहा होगा! क्योकि शरीर के बिना हाथ संभव नहीं है। इससे साबित होता है कि यह भी पुराणों की तरह कल्पित कहानियों का संग्रह मात्र हो सकता है?
अब परमात्मा क्या है? जो कण-कण में विद्यमान है, जो निराकार है, जो सर्वव्यापक है, जो आदि है, जो अनंत, अजन्मा है वही परमात्मा है। यजुर्वेद के चालीसवें अध्याय के अन्त में मंत्र का सार है “वेद सब मनुष्यों के प्रति ईश्वर का उपदेश है, कि हे मनुष्यों! जो में यहां हूँ, वहीं सूर्य आदि लोकों में हूँ, सर्वत्र परिपूर्ण आकाश के तुल्य व्यापक मुझ से भिन्न कोई बडा नहीं है’ में ही सबसे बडा हूँ, में ही छोटा मेरा निज नाम ओ3म है अतः अविद्या का विनाश कर आत्मा का प्रकाश करके शुभ गुणकर्म स्वभाव वाला बन।,, अब जो लोग ईश्वर को नर या नारी समझकर इस बारे में संशय में है उन्हें एक बात और पता होना चाहिए कि जीवात्मा, परमात्मा और प्रकृति इन सबका कोई लिंग नहीं होता। वेदों ने तो मनुष्य को भी कहा है की न तू कुमार है, न तू कुमारी है न तू स्त्री है न तू पुरुष है, यह बाहर का ढांचा ही स्त्री पुरुष है अन्यथा आत्मा कोई नर या नारी नही है| जो सर्वव्यापक है, उसे शरीर से नहीं जोडा जा सकता अतः रेशाल ट्रवीक जी आपने जो कुछ अब कहा वो हमारे ऋषि मुनि करोडों साल पहले कह गये कि ईश्वर एक व्यवस्था का नाम है जो अनादि है सूक्षम इतना कि कण-कण में समा जाये और विशाल इतना कि हर पल एहसास करा जाये फिर भी आपको अपना और अपने लोगो का संशय पूर्णरुप से मिटाने के लिए वेंदो की और लौटकर सच्चे ईश्वर को जाना जा सकता है।
राजीव चौधरी