राष्ट्रीय मर्यादा भूल गई है कांग्रेस

 
  • सुरेश हिन्दुस्थानी
    वर्तमान में कांग्रेस द्वारा जिस प्रकार की राजनीतिक राह का निर्माण किया जा रहा है, उसे देश के लिए समुन्नत कारी नहीं कहा जा सकता। कांग्रेस ने हमेशा से ही भारत को धर्म निरपेक्षता के नाम पर हिन्दू विरोध की राजनीति को ही अंजाम दिया है। आज भी कांगे्रस के नेता वही खेल खेलने की राजनीति करते दिखाई दे रहे हैं। अभी हाल ही में कांग्रेस ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर अपना स्वयं का एकाधिकार दिखाते हुए केन्द्र सरकार को आमंत्रण तक नहीं दिया। इसे कांग्रेस की संकुचित मानसिकता ही कहा जाएगा। इससे यह साफ होता है कि कांगे्रस यही चाहती है कि ये महापुरुष पूरे राष्ट्र के न बनकर केवल कांग्रेस के ही बनकर रहें। इससे राष्ट्रीयता के तौर पर कांग्रेस को ही नुकसान होने वाला है। क्योंकि आज देश की जनता में कांगे्रस के विरोध में जिस प्रकार का वातावरण निर्मित हुआ है, उसके लिए कांग्रेस के नेता स्वयं ही जिम्मेदार हैं।
    भारत में अधिकतम कांग्रेस के हाथों में ही सत्ता का संचालन रहा है। कांगे्रस ने अपनी सत्ता के समय केवल ऐसे काम करने को अपना प्रथम कर्तव्य समझा, जो भारत के मूल सिद्धांतों के विपरीत थे। चाहे वह राम मंदिर का मामला हो या फिर राम सेतु का। इन दोनों मामलों में कांगे्रस की सरकारों ने भगवान राम के अस्तित्व को ही नकारने का प्रयास किया। कांग्रेस ने अपने शपथ पत्र में साफ कहा था कि भगवान श्रीराम काल्पनिक पुरुष हैं। इसके विपरीत कांग्रेस ने हमेशा ही मुसलमानों को वोट बैंक मानकर उनके साथ लुभावनी राजनीति की। कांग्रेस ने हमेशा ही अल्पसंख्यकों के प्रति तुष्टीकरण का भाव दिखाकर सत्ता का संचालन करके एक प्रकार से भारतीय संविधान का अपमान किया। उल्लेखनीय है कि भारत के संविधान में यह स्पष्ट से कहा गया है कि भेदभाव रहित राजनीति करना ही सरकार का प्रथम कर्तव्य है। लेकिन कांगे्रस ने ऐसा नहीं किया।
    वर्तमान में देश हित के मामलों को लेकर जिस प्रकार के राजनीतिक स्वरों का खेल खेला जा रहा है, उससे ऐसा लगता है कि वर्तमान केन्द्र सरकार के कार्यों का विरोध करना ही कांग्रेस का प्रथम कर्तव्य है। हम जानते हैं कि समस्त विश्व में कांग्रेस की सरकारों के समय जो भारत दुनिया के समीप खड़े होने में संकोच का अनुभव करता था, आज वही भारत विश्व के साथ खड़े होकर कदमताल करने की श्रेणी में आता जा रहा है। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सम्पूर्ण विश्व को यह अहसास कराया है कि भारत किसी भी रूप से कमजोर नहीं है, वह विश्व को दिशा देने का सामर्थ्य रखता है, इतना ही नहीं यह बात विश्व के अनेक देश भी महसूस करने लगे हैं। कांगे्रस को इस कदम की सराहना करना चाहिए लेकिन सराहना करना तो दूर वे चुप भी नहीं बैठ सके और सरकार के विरोध की राजनीति करने पर उतारू हो गए। वास्तव में देखा जाए तो कांगे्रस के कार्यों और वक्तव्यों से ऐसा दिखाई देता है जैसे नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस से जबरदस्ती सत्ता छीन ली हो। जबकि सत्य यह है कि लोकतंत्र की मान्यताओं के तहत भाजपा ने सत्ता प्राप्त की है। लोकतांत्रिक तरीके से चुना हुई सरकार के प्रति प्रत्येक राजनीतिक दल और आम जनता का प्रथम कर्तव्य होता है कि वे सरकार की हर उस बात का समर्थन करे जिससे देश हित जुड़ा हुआ होता है। वर्तमान में विश्व में नरेन्द्र मोदी ने भारत का खोया हुआ स्वाभिमान वापस प्राप्त किया है, यह पूरे देश के लिए गौरव का विषय है।
    हम जानते हैं कि वर्तमान में राष्ट्रीय मर्यादा की राजनीति का केन्द्र बन चुके हिन्दुत्व को नकारना राजनीतिक दलों के लिए अभिशाप सिद्ध हो रहा है। इसे और साफ शब्दों में कहा जाए तो यह कहना समीचीन होगा कि हिन्दुत्व के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती। क्योंकि हिन्दुत्व भारत का प्राण है। इसके विपरीत जिस धर्मनिरपेक्षता की बात कांग्रेस करती है वह भारत का मूल हो ही नहीं सकता। धर्म निरपेक्षता एक आयातित शब्द है और हिन्दुत्व इस देश की राष्ट्रीयता है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस सत्य को प्रमाणित किया है कि हिन्दुत्व भारत की जीवन शैली है। इससे भारत को अलग नहीं किया जा सकता। कहा जा सकता है कि अगर भारत हिन्दुत्व से अलग हुआ तो भारत अपने मूल को नष्ट कर देगा। कांग्रेस के कार्यकलापों से यह सिद्ध होता है कि वह धर्म निरपेक्षता के राग को अलाप कर भारत को उसके स्वर्णिम अतीत से अलग करना चाहती है।
    हम यह भलीभांति जानते हैं कि किसी भी देश का इतिहास उसकी अमूल्य धरोहर होती है। अब जरा इस बात का गहन अध्ययन कीजिए कि जब भारत विश्व का ज्ञान देने कार्य कर रहा था, तब भारत की ऐसी कौन सी चीज थी जो विश्व के समक्ष भारत को सर्वोच्च स्थान प्रदान करता था। हमें इस बात का भी अध्ययन करना होगा कि इतिहास कोई सौ या दो सौ वर्षों का नहीं होता। दो चार सौ वर्षों के काल को अगर इतिहास माना जाए तो हमें पता होगा कि इस कालावधि में भारत गुलाम था, इसलिए यह इतिहास भी गुलामी का इतिहास ही कहा जाएगा। कांग्रेस इसी को भारत का इतिहास मानने की भूल करती आई है। जबकि सत्य तो यह है भारत का सच्चा इतिहास तो गुलामी के पूर्व का है। भारत की यह कालावधि अत्यन्त स्वर्णिम थी, जिसे मुगलों ने छिन्न भिन्न किया उसके बाद अंग्रेजों ने लूटा।
    वर्तमान में हमारे देश में जो प्रकार की विचारधारा दिखाई देतीं हैं, एक विचार धारा गुलामी के इतिहास को भारत का इतिहास बता कर प्रचारित करके भारत के समाज को गुमराह कर रहीं हैं तो दूसरी विचार धारा गुलामी से पूर्व के स्वर्णिम और विश्व गुरू वाले इतिहास को प्रचारित करके भारत के खोए हुए स्वाभिमान को जाग्रत कर रही है। आज समाज का हर वर्ग इस सत्य को जानता है कि भारत का मूल इतिहास क्या है। हम यह भी जानते हैं कि केवल धर्म और आध्यात्म के आधार पर विश्व का कोई भी देश भारत का मुकाबला नहीं कर सकता। बाकी सब बातों में हम आगे या पीछे हो सकते हैं लेकिन धर्म की शिक्षा लेने के लिए सारी दुनिया को भारत के पास ही आना होगा। मुगल शासकों और अंग्रेजों ने भारत के इस मूल को समाप्त करने का प्रयास किया और वे कुछ हद तक सफल भी रहे, लेकिन जैसे संस्कार कभी मिट नहीं सकते वैसे भी हमारे देश से वे हिन्दुत्व को नहीं मिटा सके। आज कांग्रेस कमोवेश अंग्रेज और मुगलों की विचार धारा को ही बागे बढ़ाने का कार्य कर रही है। कांग्रेस ने यहां के मूल समाज में फूट डालने का कार्य किया। जिसका दुष्परिणाम देश भोग रहा है। लेकिन कांग्रेस यह भूल गई कि इस देश का मूल हिन्दुत्व ही है, इसके अलावा कुछ और नहीं हो सकता।
    हम आज भी विश्व का मार्गदर्शन करने का सामथ्र्य रखते हैं, जरूरत है इसको पहचानने की। अब कांग्रेस और भाजपा की बात नहीं करना। अब बात करना है केवल राष्ट्रीय मर्यादाओं की। जिस देश में राष्ट्रीय मर्यादाओं को प्रमुखता दी जाती है, उस देश की प्रगति को कोई रोक नहीं सकता। हम इस मार्ग पर चलकर ही पुन: विश्व गुरू के सिंहासन पर विराजमान होंगे, यह दृढ़ विश्वास है।
सुरेश हिन्दुस्थानी
वर्तमान में कांग्रेस द्वारा जिस प्रकार की राजनीतिक राह का निर्माण किया जा रहा है, उसे देश के लिए समुन्नत कारी नहीं कहा जा सकता। कांग्रेस ने हमेशा से ही भारत को धर्म निरपेक्षता के नाम पर हिन्दू विरोध की राजनीति को ही अंजाम दिया है। आज भी कांगे्रस के नेता वही खेल खेलने की राजनीति करते दिखाई दे रहे हैं। अभी हाल ही में कांग्रेस ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर अपना स्वयं का एकाधिकार दिखाते हुए केन्द्र सरकार को आमंत्रण तक नहीं दिया। इसे कांग्रेस की संकुचित मानसिकता ही कहा जाएगा। इससे यह साफ होता है कि कांगे्रस यही चाहती है कि ये महापुरुष पूरे राष्ट्र के न बनकर केवल कांग्रेस के ही बनकर रहें। इससे राष्ट्रीयता के तौर पर कांग्रेस को ही नुकसान होने वाला है। क्योंकि आज देश की जनता में कांगे्रस के विरोध में जिस प्रकार का वातावरण निर्मित हुआ है, उसके लिए कांग्रेस के नेता स्वयं ही जिम्मेदार हैं।
भारत में अधिकतम कांग्रेस के हाथों में ही सत्ता का संचालन रहा है। कांगे्रस ने अपनी सत्ता के समय केवल ऐसे काम करने को अपना प्रथम कर्तव्य समझा, जो भारत के मूल सिद्धांतों के विपरीत थे। चाहे वह राम मंदिर का मामला हो या फिर राम सेतु का। इन दोनों मामलों में कांगे्रस की सरकारों ने भगवान राम के अस्तित्व को ही नकारने का प्रयास किया। कांग्रेस ने अपने शपथ पत्र में साफ कहा था कि भगवान श्रीराम काल्पनिक पुरुष हैं। इसके विपरीत कांग्रेस ने हमेशा ही मुसलमानों को वोट बैंक मानकर उनके साथ लुभावनी राजनीति की। कांग्रेस ने हमेशा ही अल्पसंख्यकों के प्रति तुष्टीकरण का भाव दिखाकर सत्ता का संचालन करके एक प्रकार से भारतीय संविधान का अपमान किया। उल्लेखनीय है कि भारत के संविधान में यह स्पष्ट से कहा गया है कि भेदभाव रहित राजनीति करना ही सरकार का प्रथम कर्तव्य है। लेकिन कांगे्रस ने ऐसा नहीं किया।
वर्तमान में देश हित के मामलों को लेकर जिस प्रकार के राजनीतिक स्वरों का खेल खेला जा रहा है, उससे ऐसा लगता है कि वर्तमान केन्द्र सरकार के कार्यों का विरोध करना ही कांग्रेस का प्रथम कर्तव्य है। हम जानते हैं कि समस्त विश्व में कांग्रेस की सरकारों के समय जो भारत दुनिया के समीप खड़े होने में संकोच का अनुभव करता था, आज वही भारत विश्व के साथ खड़े होकर कदमताल करने की श्रेणी में आता जा रहा है। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सम्पूर्ण विश्व को यह अहसास कराया है कि भारत किसी भी रूप से कमजोर नहीं है, वह विश्व को दिशा देने का सामर्थ्य रखता है, इतना ही नहीं यह बात विश्व के अनेक देश भी महसूस करने लगे हैं। कांगे्रस को इस कदम की सराहना करना चाहिए लेकिन सराहना करना तो दूर वे चुप भी नहीं बैठ सके और सरकार के विरोध की राजनीति करने पर उतारू हो गए। वास्तव में देखा जाए तो कांगे्रस के कार्यों और वक्तव्यों से ऐसा दिखाई देता है जैसे नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस से जबरदस्ती सत्ता छीन ली हो। जबकि सत्य यह है कि लोकतंत्र की मान्यताओं के तहत भाजपा ने सत्ता प्राप्त की है। लोकतांत्रिक तरीके से चुना हुई सरकार के प्रति प्रत्येक राजनीतिक दल और आम जनता का प्रथम कर्तव्य होता है कि वे सरकार की हर उस बात का समर्थन करे जिससे देश हित जुड़ा हुआ होता है। वर्तमान में विश्व में नरेन्द्र मोदी ने भारत का खोया हुआ स्वाभिमान वापस प्राप्त किया है, यह पूरे देश के लिए गौरव का विषय है।
हम जानते हैं कि वर्तमान में राष्ट्रीय मर्यादा की राजनीति का केन्द्र बन चुके हिन्दुत्व को नकारना राजनीतिक दलों के लिए अभिशाप सिद्ध हो रहा है। इसे और साफ शब्दों में कहा जाए तो यह कहना समीचीन होगा कि हिन्दुत्व के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती। क्योंकि हिन्दुत्व भारत का प्राण है। इसके विपरीत जिस धर्मनिरपेक्षता की बात कांग्रेस करती है वह भारत का मूल हो ही नहीं सकता। धर्म निरपेक्षता एक आयातित शब्द है और हिन्दुत्व इस देश की राष्ट्रीयता है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस सत्य को प्रमाणित किया है कि हिन्दुत्व भारत की जीवन शैली है। इससे भारत को अलग नहीं किया जा सकता। कहा जा सकता है कि अगर भारत हिन्दुत्व से अलग हुआ तो भारत अपने मूल को नष्ट कर देगा। कांग्रेस के कार्यकलापों से यह सिद्ध होता है कि वह धर्म निरपेक्षता के राग को अलाप कर भारत को उसके स्वर्णिम अतीत से अलग करना चाहती है।
हम यह भलीभांति जानते हैं कि किसी भी देश का इतिहास उसकी अमूल्य धरोहर होती है। अब जरा इस बात का गहन अध्ययन कीजिए कि जब भारत विश्व का ज्ञान देने कार्य कर रहा था, तब भारत की ऐसी कौन सी चीज थी जो विश्व के समक्ष भारत को सर्वोच्च स्थान प्रदान करता था। हमें इस बात का भी अध्ययन करना होगा कि इतिहास कोई सौ या दो सौ वर्षों का नहीं होता। दो चार सौ वर्षों के काल को अगर इतिहास माना जाए तो हमें पता होगा कि इस कालावधि में भारत गुलाम था, इसलिए यह इतिहास भी गुलामी का इतिहास ही कहा जाएगा। कांग्रेस इसी को भारत का इतिहास मानने की भूल करती आई है। जबकि सत्य तो यह है भारत का सच्चा इतिहास तो गुलामी के पूर्व का है। भारत की यह कालावधि अत्यन्त स्वर्णिम थी, जिसे मुगलों ने छिन्न भिन्न किया उसके बाद अंग्रेजों ने लूटा।
वर्तमान में हमारे देश में जो प्रकार की विचारधारा दिखाई देतीं हैं, एक विचार धारा गुलामी के इतिहास को भारत का इतिहास बता कर प्रचारित करके भारत के समाज को गुमराह कर रहीं हैं तो दूसरी विचार धारा गुलामी से पूर्व के स्वर्णिम और विश्व गुरू वाले इतिहास को प्रचारित करके भारत के खोए हुए स्वाभिमान को जाग्रत कर रही है। आज समाज का हर वर्ग इस सत्य को जानता है कि भारत का मूल इतिहास क्या है। हम यह भी जानते हैं कि केवल धर्म और आध्यात्म के आधार पर विश्व का कोई भी देश भारत का मुकाबला नहीं कर सकता। बाकी सब बातों में हम आगे या पीछे हो सकते हैं लेकिन धर्म की शिक्षा लेने के लिए सारी दुनिया को भारत के पास ही आना होगा। मुगल शासकों और अंग्रेजों ने भारत के इस मूल को समाप्त करने का प्रयास किया और वे कुछ हद तक सफल भी रहे, लेकिन जैसे संस्कार कभी मिट नहीं सकते वैसे भी हमारे देश से वे हिन्दुत्व को नहीं मिटा सके। आज कांग्रेस कमोवेश अंग्रेज और मुगलों की विचार धारा को ही बागे बढ़ाने का कार्य कर रही है। कांग्रेस ने यहां के मूल समाज में फूट डालने का कार्य किया। जिसका दुष्परिणाम देश भोग रहा है। लेकिन कांग्रेस यह भूल गई कि इस देश का मूल हिन्दुत्व ही है, इसके अलावा कुछ और नहीं हो सकता।
हम आज भी विश्व का मार्गदर्शन करने का सामथ्र्य रखते हैं, जरूरत है इसको पहचानने की। अब कांग्रेस और भाजपा की बात नहीं करना। अब बात करना है केवल राष्ट्रीय मर्यादाओं की। जिस देश में राष्ट्रीय मर्यादाओं को प्रमुखता दी जाती है, उस देश की प्रगति को कोई रोक नहीं सकता। हम इस मार्ग पर चलकर ही पुन: विश्व गुरू के सिंहासन पर विराजमान होंगे, यह दृढ़ विश्वास है।

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