कांग्रेस की नीति बदली न नीयत

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रामबिहारी सिंह

देश में अधिकांश समय तक सत्ता में काबिज रही सत्तारूढ़ कांग्रेस की देश को लेकर नीति तो बदल गई है पर उसकी नीयत नहीं बदली है। देश में आजादी के पहले से अस्तित्व में रही कांग्रेस ने समय के साथ सत्ता का सफर तय किया है। इस दौरान वह शुरुआत से ही वोट बैंक की राजनीति करती आई है। चाहे नेहरू के जमाने की कांग्रेस हो या फिर वर्तमान में सोनिया गांधी के। कांग्रेस ने वोट की राजनीति के लिए हमेशा ही देश को दांव पर रखा। कांग्रेस का यह दांव समय-समय पर देश की जनता के सामने भी आता रहा है। तुष्टिकरण की नीति तो पर्दे के पीछे बनती है पर इसका असर देशव्यापी है और कांग्रेस ने वोट बैंक के चलते हमेशा ही देश में की राष्ट्रीय एकता को दरकिनार कर रखा है। ऐसे में कांग्रेस की न तो नीति बदली और न ही नीयत, जो आज देश के लिए खतरनाक साबित हो रही है।

एक जमाना था जब जवाहरलाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर में वीर पुरुष डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की कश्मीर जेल में साजिश के तहत हत्या के बाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री शेख अब्दुला को जेल में डाल दिया था और एक आज की कांग्रेस है, जो इसी कश्मीर मसले पर शेख अब्दुला के पोते और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुला को न सिर्फ मुख्यमंत्री बनाने में मदद की है, बल्कि येन-केन-प्रकारेण समर्थन देना भी जारी रखा है। कांग्रेस की नीयत सबके सामने है। कांग्रेसनीत यूपीए सरकार ने गत 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर श्रीनगर के लाल चौक पर भाजपा कार्यकर्ताओं को तिरंगा फहराने से रोकने में जम्मू-कश्मीर सरकार के देशविरोधाी व तानाशाही फरमान पर न सिर्फ उमर फारूख सरकार का समर्थन किया, बल्कि पूरी कोशिश की कि भाजपा वहां पर तिरंगा फहराने में कामयाब न हो। सत्ताा के सहारे आखिरकार देशद्रोही ताकतें देशभक्तों पर भारी पड़ीं और तिरंगा फहराने में सफलता नहीं मिली। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुला की मंशा तो पूरी हो गई पर कांग्रेस की नीयत सामने आ गई। कांग्रेस ने न सिर्फ एक राजनीतिक दल के रूप में बल्कि बतौर सत्ता में रहते एक देशभक्त को अपनी ही मातृभूमि में तिरंगा फहराने से रोकने का खुला समर्थन किया। श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने का अरमान लिए देशभक्तों के लिए यह अरमान ही रह गया और सबसे बदनीयति यह रही कि देशभक्तों को न सिर्फ लालचौक पर झंडा फहराने से रोका गया, बल्कि इस दौरान एक देशभक्त जवान को जम्मू-कश्मीर पुलिस का कोपभाजन भी बनना पड़ा। जो आज अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है।

शेख अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए अमेरिकी राजनयिक के साथ मिलकर षडयंत्र किया था। और कश्मीर में परमिट सिस्टम, कस्टम, अलग प्रधान, अलग निशान और अलग संविधान तथा धारा 370 को लागू करवाया। इस दौरान भारत का एक और विभाजन होने का ख्याब पाकिस्तानियों को पूरा होता दिख रहा था। पर पाक के नापाक इरादों को देशभक्तों ने पूरा नहीं होने दिया और कश्मीर में आंदोलन शुरू हो गया। पांच हजार से अधिक देशभक्तों को अब्दुला सरकार ने जेलों में ठूंस दिया और भयंकर प्रताड़ित किया गया। इस दौरान करीब 22 लोग तिरंगे की रक्षा करते हुए भारत मां के लिए शहीद हो गए। परमिट कानून को तोडने का दृढ निश्चय श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने किया तो उन्हें कश्मीर की सीमा में प्रवेश करते ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। परमिट कानून को तोडने पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जेल में ही साजिश के तहत मार दिया गया। यह घटना देश में आग की तरह फैली और देशभक्तों को झकझोर कर रख दिया। इसके बाद नेहरू सरकार की आंखें खुलीं और 1953 में शेख अब्दुला को जेल में डाल दिया गया। नेहरू ने तानाशाही परमिट कानून को समाप्त किया और जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान लागू हुआ, जिसके बाद यहां तिरंगा लहराया।

नेहरू सरकार ने यहां पर दो संविधान और दो विधान, दो निशान के साथ ही धारा 370 को यथावत रहने दिया, जो उनकी अक्षम्य गलतियों में शुमार हैं, जिसके लिए हो सकता है देश उन्हें कभी माफ नहीं करे। वर्तमान की कांग्रेस भी इन गलतियों से कोई सीख न लेते हुए उसी रास्ते पर है, जो देश के लिए आज नासूर बना हुआ है। नेहरू की गलतियां जो देश के लिए सबसे बड़ी भूल साबित हुईं और आज इसका खामियाजा देश की जनता के साथ ही जम्मू-कश्मीर की निर्दोष आवाम को भुगतना पड़ रहा है। केंद्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस एक बार फिर उसी रास्ते पर है, जिससे जम्मू-कश्मीर मसले पर कोई समाधान नहीं दिखता। देश का दुर्भाज्य है कि आज देश की बागडोर उस पार्टी के हाथ में है, जो आज भी भारत विरोधी व अलगाववादियों की भाषा बोलने वाली जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ हर मोड़ पर बतौर रक्षक खड़ी है। इसी का नतीजा है कि आज आतंकियों ने देश के खिलाफ फिर साजिश शुरू कर दी है और फिर घाटी में पाक समर्थित अलगाववादी नेताओं और चरमपंथियों ने इस्लाम के नाम पर कश्मीरी भारतीयों पर कहर बरपाना शुरू कर दिया है।

कांग्रेस वोट की राजनीति और मुस्लिम तुष्टिकरण का घिनौना खेल खेलकर जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद समर्थक उमर फारूख सरकार को भारतीयों के खिलाफ ही समर्थन दे रही है तो देश का दुश्मन और कश्मीर पर निगाह गड़ाए बैठे पाक को अरब देशों से भी बड़े रूप में आर्थिक सहायता मिल रही है। ऐसे में यह अलगाववादी ताकतें देश के लिए बड़ा खतरा बन सकती हैं, जो भविष्य में ऐसे जख्म देंगे जो कभी भुलाए नहीं जा सकेंगे। हालांकि अभी भी यह ऐसे घाव दे चुके हैं, जो हमारे लिए किसी सबक से कम नहीं है, पर अफसोस इस बात का है कि इन घटनाओं से हमारी सरकारों ने कभी कोई सबक नहीं लिया। और आज भी कश्मीर समस्या और सीमापार से आतंकी घुसपैठ अनवरत जारी है। कांग्रेस के साथ पाकिस्तान की मंशा भी कश्मीर और भारत को लेकर नहीं बदली। यूपीए नीति कांग्रेस सरकार की नीति और कांग्रेस के तथाकथित हिन्दू नेता, जो हमेशा ही देशभक्त हिन्दुओं के खिलाफ आग उगलते रहते हैं तो भगवा आतंकवाद के नाम पर मुस्लिमों को खुश करने की गंदी राजनीति करने वाले यह तथाकथित देशभक्त भगवा रंग को देश के लिए खतरा बताकर मुस्लिम वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की मंशा के चलते देश के दुश्मन पाकिस्तान के हौंसले बुलंद कर रहे हैं। इससे न सिर्फ भारतीय सेना का मनोबल टूट रहा है, बल्कि हर देशभक्त के मन में ऐसे देशद्रोहियों के प्रति विद्रोह की भावना बलवति हो रही है, जो कभी भी मिस्र की तरह विकराल रूप धारण कर सड़कों पर आ सकती है।

2 COMMENTS

  1. हिमवंत जी सही कहा आपने लेकिन गिरावट हर जगह आई है हर जगह से अच्छे लोगो को तरासना पड़ेगा

  2. विपक्ष की भुमिका मे भाजपा के थिंक टैंको की अभिव्यक्तियो को मिडिया द्वारा मिसकोट करना एक बहुत बडा कारण है की कांग्रेस जैसी देशद्रोही शक्ति भारत की सत्ता पर कुंडली मार कर बैठी है. इनको मार भगाना होगा. कांग्रेस से बेहतर तो वामपंथी है.

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