क्या वोटिंग मशीनों के खुलासे से कांग्रेस सरकार परेशान है? (सन्दर्भ – श्री हरिप्रसाद की गिरफ़्तारी)

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-सुरेश चिपलूनकर

हैदराबाद के निवासी श्री हरिप्रसाद, जिन्होंने भारतीय इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों में हैकिंग कैसे की जा सकती है और वोटिंग मशीनें सुरक्षित नहीं हैं इस बारे में विस्तृत अध्ययन किया है और उसका प्रदर्शन भी किया है… को मुम्बई पुलिस ने उनके हैदराबाद स्थित निवास से गिरफ़्तार कर लिया है। पुलिस ने उन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने EVM की चोरी की है और चोरी की EVM से ही वे एक तेलुगू चैनल पर अपना प्रदर्शन कर रहे थे।

उल्लेखनीय है कि श्री हरिप्रसाद VETA (Citizens for Verifiability, Transparency and Accountability in Elections), के तकनीकी सलाहकार और शोधकर्ता हैं। हरिप्रसाद ने कई सार्वजनिक कार्यक्रमों और यू-ट्यूब पर बाकायदा इस बात का खुलासा किया है कि इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों को किसी एक खास पार्टी के पक्ष में “हैक” और “क्रैक” किया जा सकता है। हरिप्रसाद के साथ तकनीकी टीम में अमेरिकी विश्वविद्यालय के दो प्रोफ़ेसर और “एथिकल हैकर” शामिल हैं तथा इस बारे में चुनाव विशेषज्ञ (Safologist) श्री राव ने एक पूरी पुस्तक लिखी है (यहाँ देखें…)। इन खुलासों के बाद लगता है कि कांग्रेस सरकार जो कि युवराज की ताजपोशी की तैयारियों में लगी है, घबरा गई है… और उसने समस्या का सही और उचित निराकरण करने की बजाय एक निरीह तकनीकी व्यक्ति को डराने के लिये उसे चोरी के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया है।

मामले की शुरुआत तब हुई, जब तेलुगू चैनल पर एक कार्यक्रम के दौरान जब एक दर्शक ने उनके द्वारा प्रयोग करके दिखाई जा रही मशीन की वैधता पर सवाल किया तब उन्होंने उस मशीन का सीरियल नम्बर बता दिया। अब तक पिछले कुछ चुनावों में देश भर में लगभग 100 वोटिंग मशीनें चोरी हो चुकी हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने कभी इतनी फ़ुर्ती से काम नहीं किया जितना हरिप्रसाद के मामले में किया। चुनाव आयोग ने तत्काल मुम्बई सम्पर्क करके उस सीरियल नम्बर की मशीन के बारे में पूछताछ की और पाया कि यह मशीन चोरी गई मशीनों में से एक है, तत्काल आंध्रप्रदेश पुलिस के सहयोग से मुम्बई पुलिस ने हरिप्रसाद को EVM चोरी के आरोप में उनके घर से उठा लिया। चुनाव आयोग सन् 2008 से ही हरिप्रसाद से खुन्नस खाये बैठा है, जब उन्होंने EVM के फ़ुलप्रूफ़ न होने तथा उसमे छेड़छाड़ और धोखाधड़ी की बातें सार्वजनिक रुप से प्रयोग करके दिखाना शुरु किया।

1) चुनाव आयोग ने पहले तो लगातार इस बात से इंकार किया कि ऐसा कुछ हो भी सकता है

2) फ़िर जब हरिप्रसाद की मुहिम आगे बढ़ी तो आयोग ने कहा कि हरिप्रसाद जो हैकिंग के करतब दिखा रहे हैं वह मशीनें विदेशी हैं

3) हरिप्रसाद ने चुनाव आयोग को चैलेंज किया कि उन्हें भारत की वोटिंग मशीनें उपलब्ध करवाई जायें तो वे उसमें भी गड़बड़ी करके दिखा सकते हैं

4) चुनाव आयोग ने भारतीय ब्यूरोक्रेसी का अनुपम उदाहरण देते हुए उनसे कहा कि वोटिंग मशीनें उन्हें नहीं दी जा सकती, क्योंकि वह गोपनीयता का उल्लंघन है, और (बिना किसी विशेषज्ञ समिति के) घोषणा की, कि चुनाव आयोग को भरोसा है कि भारतीय वोटिंग मशीनें पूरी तरह सुरक्षित हैं

5) और आज जब हरिप्रसाद ने किसी बेनामी सूत्रों के हवाले से एक भारतीय वोटिंग मशीन प्राप्त करके उसका भी सफ़लतापूर्वक हैकिंग कर दिखाया है तो चुनाव आयोग ने उन्हें मशीन चोरी के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया है (ये तो वही बात हुई कि भ्रष्टाचार उजागर करने वाले किसी स्टिंग ऑपरेशन के लिये, उस पत्रकार को ही जेल में ठूंस दिया जाये, जिसने उसे उजागर किया)

हरिप्रसाद की गिरफ़्तारी चुनाव आयोग के उपायुक्त अशोक शुक्ला और EVM की गड़बड़ी जाँचने के लिये बनी समिति के चेयरमैन पीवी इन्द्रसेन के आश्वासन के बावजूद हुई। यह दोनों सज्जन वॉशिंगटन में आयोजित EVM टेक्नोलॉजी और इसकी विश्वसनीयता पर आधारित सेमिनार में 9 अगस्त को उपस्थित थे, जहाँ श्री हरिप्रसाद के साथ प्रोफ़ेसर एलेक्स हाल्डरमैन भी थे और उस सेमिनार में वोटिंग मशीनों की हैकिंग के प्रदर्शन के बाद इन्होंने कहा था कि वे इस बात की जाँच करवायेंगे कि इन मशीनों में क्या गड़बड़ी है, लेकिन इस आश्वासन के बावजूद हरिप्रसाद को गिरफ़्तार कर लिया गया। इस सेमिनार में हारवर्ड, प्रिंसटन, स्टेनफ़ोर्ड विश्वविद्यालयों के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ ही माइक्रोसॉफ़्ट के अधिकारी भी मौजूद थे, और लगभग सभी इस बात पर सहमत थे कि इन मशीनों में गड़बड़ी और धोखाधड़ी की जा सकती है। (यहाँ देखें…) और (यहाँ भी देखें…)
(चित्र में हरिप्रसाद, एलेक्स हाल्डरमैन और रॉप गोन्ग्रिप…) (चित्र सौजन्य – गूगल)
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा है कि – “मैं यह अपने मोबाइल से लिख रहा हूं, पुलिस ने मुझे गिरफ़्तार किया है और पुलिस पर भारी ऊपरी दबाव है। हालांकि नये मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस पूरे मामले को देखने का आश्वासन दिया है, लेकिन फ़िर भी मैं उस व्यक्ति का नाम ज़ाहिर नहीं कर सकता जिसने पूरे विश्वास से मुझे EVM मशीन सौंपी थी। मुझे अपने काम से पूरी सन्तुष्टि है और विश्वास है कि यह देशहित में है, मैं अपने देश से प्यार करता हूं और लोकतन्त्र को मजबूत करने के लिये जो भी किया जा सकता है, वह किया जाना चाहिये…”

डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी ने खुलेआम सोनिया गाँधी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने 2009 के आम चुनाव में विदेशी हैकर्स को भारी पैसा देकर अनुबन्धित किया, जो दिल्ली के पाँच सितारा होटलों में बड़े-बड़े तकनीकी उपकरणों के साथ ठहरे थे, और इसकी गहन जाँच होनी चाहिये…। उल्लेखनीय है कि जब पुलिस ने हरिप्रसाद को गिरफ़्तार किया उस समय न तो उन्हें आरोप बताये गये और न ही कोई केस दर्ज किया गया। श्री हरिप्रसाद की गिरफ़्तारी 21 अगस्त को हुई थी और मैंने किसी बड़े मीडिया समूह या चैनलों पर इस खबर को प्रमुखता से नहीं देखा, आपने देखा हो तो बतायें। आखिर मीडिया सरकार से इतना क्यों डरता है? यह डर है या कुछ और? तथा ऐसे में एक आम आदमी जो कुशासन, भ्रष्टाचार और अव्यवस्था से लड़ने की कोशिश कर रहा हो, क्या उसकी हिम्मत नहीं टूटेगी? यह बात जरूर है कि हरिप्रसाद ने जिस अज्ञात व्यक्ति से सरकारी वोटिंग मशीन प्राप्त की है, वह एक अपराध की श्रेणी में आता है, क्योंकि वह निश्चित रुप से गोपनीयता कानून का उल्लंघन है, लेकिन चूंकि हरिप्रसाद की मंशा सच्ची है और वह लोकतन्त्र की मजबूती के पक्ष में है तो इसे माफ़ किया जा सकता है। एक बड़ा घोटाला उजागर करने के लिये यदि हरिप्रसाद ने छोटा-मोटा गुनाह किया भी है तो उसे नज़रअंदाज़ करके असली समस्या की तरफ़ देखना चाहिये, लेकिन सरकार “बाल की खाल” और खुन्नस निकालने की तर्ज़ पर काम कर रही है, और इससे शक और मजबूत हो जाता हैनीचे जो चित्र है, उसमें देखिये EVM एक सरकारी जीप में कैसे बिना किसी सुरक्षाकर्मी के रखी हुई हैं और इसे आसानी से कोई भी चुरा सकता है… लेकिन सरकार हरिप्रसाद जी के पीछे पड़ गई है…

जब चुनाव आयोग कह रहा है कि वह कुछ भी छिपाना नहीं चाहता, तब सरकार को हरिप्रसाद, हैकर्स और अन्य सॉफ़्टवेयर तकनीकी लोगों को एक साथ बैठाकर संशय के बादल दूर करना चाहिये, या किसी बेगुनाह शोधकर्ता को इस प्रकार परेशान करना चाहिये? आखिर चुनाव आयोग ऐसा बर्ताव क्यों कर रहा है? इन मशीनों को हरिप्रसाद ने सफ़लतापूर्वक चन्द्रबाबू नायडू, लालकृष्ण आडवाणी, ममता बनर्जी आदि नेताओं के सामने भी हैक करके दिखाया है, फ़िर भी विपक्ष की चुप्पी संदेह पैदा करने वाली है, कहीं विपक्षी नेता “कभी तो अपनी भी जुगाड़ लगेगी…” के चक्कर में चुप्पी साधे हुए हैं, यह भी हो सकता है कि उनकी भी ऐसी “जुगाड़” कुछ राज्यों के चुनाव में पहले से लग चुकी है? लेकिन लोकतन्त्र पर मंडराते खतरे का क्या? आम जनता जो वोटिंग के माध्यम से अपनी भावना व्यक्त करती है उसका क्या? पिछले 1 साल से जो तटस्थ गैर-राजनैतिक लोग वोटिंग मशीनों में हेराफ़ेरी और धोखाधड़ी की बात को सिरे से खारिज करते आ रहे थे, अब वे भी सोच में पड़ गये हैं।

सन्दर्भ –
https://www.thestatesman.net/index.php?id=338823&option=com_content&catid=35

7 COMMENTS

  1. अब बहुत जरुरी और प्रक्टिकल प्रशन ये है के आम नागरिक क्या करेऔर क्या क्या कर सकता है इस लेख को पढने के बाद . इसका उत्तर देना बहुत आवश्यक होजाता है नहीं तो लेख लिखने और पढने दोनों का कोई फायदा नहीं होगा . क्रप्या उत्तर अवश्य दे

  2. श्रीमान सुरेश जी! आप की इस बात पर कुछ साहित्यक ठेकेदारों को ऐतराज है कि आप ने कांग्रेस के प्रती रोष प्रकट किया है. ये तो सचमुच बड़ी नाजायज़ बात है. ई.वी. एम् के संभावित धोखे के लिए तो उनकी स्तुती में प्रशंसा के गीत गाने चाहिए थे. कितना महान काम किया है. शायद संसार का सबसे बड़ा धोखा है जो लोकतंत्र के साथ किया गया. इतना बड़ा काम करने वालों के प्रति क्रोध, रोष नहीं, प्रेम और श्रद्धा उमड्नी चाहिए न ? पर आप इतने समझदार नहीं की कांग्रेस की इस महानता को पहचान सकें.
    * याद रखने की एक बात और है कई कठोर आलोचना, कटु कथनों, झूठे-सच्चे आरोपों का पुरस्कार पाने की अधिकारे केवल एक पार्टी है और वह है ‘भाजपा’
    अतः आगे से ध्यान रहे की जब भी प्रशंसा करनी हो तो केवल कांग्रेस की हो, चाहे उनपर कितने भी गंभीर आरोप हों, कितना भी वे देश हित के सौदे इटली, अमेरिका, ब्रिटेन से करें. पता है न की कितना पवित्र व्यक्तित्व काग्रेस के शीर्स पर विराजमान है ? तभी आपको उपदेश देनेवाले भाजपा के विरुद्ध कुछ भी कहते हैं पर मजाल है कभी कांग्रेस के विरुद्ध कुछ कहें.
    * ये भी आप जानते हैं न की उसी महान विभूती के संरक्षण में १० रु. का सिक्का ईसाई प्रतीक ‘क्रास’ छाप वाला जारी होने वाला है. पवित्र पोप की प्रतिज्ञा है न की हर घर और हर भारतीय के हाथ में क्रास पहुंचाना है. अब सौभाग्य से एक ही तो महान शक्सियत भारत में है जो यह पवित्र कार्य पूरा करे, तो वह हो रहा है.
    तो सुरेश जी आगे से ध्यान रहे की ऐसे महान दल और उनके महान नेतृत्व पर आपकी उंगली न उठे. हाँ भाजपा के विरुद्ध आप को छूट है की आप कुछ भी लिखें. फिर आप भी प्रशंसा के पात्र बन जायेगे.

  3. suresh ji jabardast lekh hai. mujhe pahle hi doubt tha ki congress party 200 se unpar seat kaise le aya. mera anuman tha yah party sabse jyada seat jeetega lekin hargij yah aankada 200 ke pas nahi pahunchega aur soch raha tha phir jod tod se sarkar banegi jisme mayavati jase netaon ki lotry nikal sakti hai. sirf hacking se congress pichla chunav jeet paya.

  4. भाई सुरेश चिपलूनकर जी
    आपने गंभीर मसले पर जनता का ध्यान आकर्षित किया है . आप साधुवाद के पात्र है .

  5. (१) समाचार पत्र या टीवी यदि ई वी एम (मतदान मशीनों) की गड़बड़ी के मामले और अभी की हैदराबाद निवासी श्री हरिप्रसाद जी की गिरफ्तारी दबा कर रख रहा है, तो दबा कर रखने दीजिये. That is not the end of the world. सर्व विदित है कि फोर्थ एसटेट बिका पढ़ा है.
    (२) डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी उच्चतम न्यायालय जाएँ.
    (३) प्रवक्ता.कॉम इस लेख को माननीय उच्चतम न्यायालय को प्रस्तुत कर दे और प्रार्थना करें कि इस लेख को जनहित याचिका समझ कर न्याय करे.
    (४) Shri Kamal Nath Jaswal, Director, COMMON CAUSE, 5, Institutional Area, Nelson Mandela Road, Vasant Kunj, New Delhi-110070 Tel:011-26131313, http://www.commoncauseindia.org, e-mail:commoncauseindia@gmail.com may be made available the present article, to pursue the in their wisdom.

  6. हमेशा की तरह बहुत बढिया लेख । लेखक बधाई के पात्र हैं ।
    लेखक ने सत्तारुढ कांग्रेस पर इस मामले में जो टिप्पणी प्रदान की है उससे काफी कुछ स्पष्ट होती है । अपने निजी स्वार्थ यानी चुनाव में जीत के लिए किस तरह से लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास किया जा सकता है, इससे स्पष्ट हो रहा है । हां एक बात और यह है कि लेखक एक लेख में सबकुछ प्रमाणित कर दें, यह कहना शायद गलत होगा । प्रमाणित करना जांच एजेंसियों का काम है और दुर्भ्गाय से सोनिया गांधी की कांग्रेस सरकार की जांच एजेंसियां भले इसकी जांच क्यों करेंगीं और यह क्यों यह बात प्रमाणित होगी ।
    बेहतरीन लेख के लिए लेखक को पुनः धन्यवाद ।

  7. यह आलेख केवल कयासों और सन्देह पैदा करने वाले अनुमानों पर आधारित है। लेख से कुछ भी प्रमाणित नहीं होता है। हाँ यह इवीएम पर सन्देह का कोहरा जरूर बढाने में सहायक रहा है।

    श्री चिपनलूनकर जी के एक अन्य लेख पर मैं पूर्व में भी लिख चुका हूँ कि इवीएम का हैक होना, नहीं होना तो अभी सिद्ध होना बाकी है, लेकिन देश के लोगों को यह जानने का हक होना चाहिये कि उन्होंने जिस उम्मीदवार के पख में वोट किया है, वह वोट उसी के ही पक्ष में गया है या नहीं इसका प्रमाणीकारण होना चाहिये। केवल वीप की आवाज को सही वोट पडने का प्रमाण मानना, जो अभी तक हो रहा है, समुचित और सर्व-स्वीकार्य नहीं है।

    मैं स्वयं प्रसाईडिंग ऑफीसर रहा हूँ और यह सवाल मेरे मन में भी कई बार आया है कि मतदाताओं की ओर से वीप की आवाज की सन्देह से परे विश्वसनीयता के वैधानिक/दस्तावेजी प्रमाण के सम्बन्ध में आवाज उठायी जानी चाहिये।

    अच्छा है कि इस बारे में आवाज उठायी जा रही है। इससे लोकतन्त्र मजबूत होगा।

    लेकिन इतने गम्भीर मुद्दे पर भी लेखक का कांग्रेस के विरुद्ध जो विक्षोभ या गुस्सा है, वह छुप नहीं सका। इससे लेख की विषयवस्तु के उद्देश्य पर सन्देह पैदा होता है और लेखक की निष्पक्षता सन्देहास्पद हो जाती है! बेशक लेख के अन्त में अन्य दलों की चुप्पी पर भी टिप्पणी की गयी है, लेकिन इस टिप्पणी में लेखक अपनी निष्पक्षता की असफल सफाई देते हुए से प्रतीत हो रहे हैं।

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