कांग्रेस के राजकुमार

– भानुप्रतापनारायण मिश्र

बिल गेट्स का अमेठी पहुंचना उतना चर्चा का विषय नहीं बना जितना वंशवाद के आतंकवाद को भारत के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने का जरिया बनाकर राजनीति कर रहे अमेठी सासंद राहुल गांधी का यह बयान कि अगली बार जब बिल गेट्स यहां आएगें तो अमेठी के अवधी बोलने लोग दुभाषिया की बजाए खुद ही उनसे अंग्रेजी में बतियाने लगेंगे। यानि अमेठीवालों को अब इस खरबपति दानी बिल गेट्स को किसी भी परेशानी से बचाने के लिए अंग्रेजी में पारंगत होना होगा तभी बकौल राहुल गांधी उन्हें खैरात दी जाएगी। इस एक बयान से यह साबित हो गया है कि राहुल गांधी इसी बहाने अंग्रेजों को ईस्ट इंडिया-2 के रूप में मौका देकर खुद को भारत का गवर्नर जनरल बनाने का संकल्प गुप्त ऐजेंडे के रूप में रख रहे हैं।

वंशवादी राजनीति और 2004 के लोकसभा चुनावों से नकटा पंथ को अपना राजनैतिक हथियार बना चुकी गांधी फेमिली से ओर उम्मीद भी क्या की जा सकती है। अंग्रेजी बोलो और जिस जनता को आजादी के बाद से आपने शौचालय और प्राथमिक शिक्षा तक नहीं दी उसे एहसास करवा दो कि हमें अंग्रेजी आती है इसलिए हम राजा यानि प्रधानमंत्री, सासंद और कांग्रेस के महासचिव बनने योग्य हैं। तुम्हें अंग्रेजी नहीं आती इसलिए तुम भारत के तीसरे दर्जे के नागरिक हो अर्थात् हमारी प्रजा हो, हमारा बैल हो। गाय इसलिए नहीं लिख रहा हूं कि गाय हमारी माता है और विदेशी मूल के लोग इसका बीफ के रूप में भोजन करते हैं और यह मानते हैं कि इससे वंशवादी राजनीति में हमेशा सफलता मिलती है। यहां यह बताना ठीक होगा कि दूसरे दर्जे के नागरिक गांधी फेमिली की नजर में वे लोग हैं जो दुम हिलाहिलाकर दलाली रूपी प्रसादी के रूप में उनकी दोस्ती और सत्ता पाते हैं। हालांकि यहां मुझे इस बात का अचरज हो रहा है कि उनकी माँ सोनिया गांधी इटली की हैं और इटेलियन भाषा सपने में भी बोल सकती हैं, को कैसे राहुल गांधी ने अमेठी वालों को सिखाने से मना कर दिया। कहीं ऐसा तो नहीं कि सोनिया गांधी ने अपने बच्चों को अपनी ही मातृभाषा नहीं सिखाई। इससे यह भी पता लगता कि सोनिया गांधी को इटेलियन भाषा से उतना लगाव नहीं है जितना हर मातृभाषा बोलने वालों को होता है। श्री अटलबिहारी बाजपेई ने इसे विदेश मंत्री के रूप में अमेरिका में साबित भी किया था। यहीं इनकी जगह कोई अपने बलबूते राजनीति कर रहा अनुभवी नेता होता तो कहता-श्रीमान बिल गेट्स अगर आप हिंदी सीख लें तो आपको पता चल जाएगा कि भारतीय नागरिक आपके कार्यकर्मों के बारे में क्या सोच रहें हैं और उनसे किस प्रकार लाभ प्राप्त कर रहे हैं? या फिर यह कि अगली बार आप जब भारत भ्रमण पर आए तो अपने साथ हिंदी जानने वाले किसी अमेरिकन नागरिक को साथ लाए जिससे आपको सच्चाई का पता चल सके। वंशवाद की राजनीति से निकले नेता जमीनी सच्चाई क्या जाने। उन्हें क्या पता कि गूलर किसे कहते हैं और सांवा किसे कहते हैं?

सवाल यहां यह उठता है कि राहुल पॉल गांधी ने यहां बिल गेट्स की सुविधा का ध्यान रखा या अपना अंग्रेजी ज्ञान बधारने का मौका ताड़ लिया। आप पूछेंगें कैसे?’नकछेदी लाल और परबतिया तो अंग्रेजी का एक ही लाइन फिल्मों से सीखें हैं आई लव यू।’ वह भी तब जब बीस साल से अमिताभ बच्चन की फिल्म देख रहे हैं । अन्यथा, उन्हें तो अपने अमेठी के गांवों में भतारगाढी, चिरकुट, खिलावन की माई ही सुनने का मौका मिलता हैं। इस तरह राहुल गांधी उनके सामने अंग्रेजी का भाषण देकर यह साबित करेंगे कि वह कितना बड़ा समाज सुधार का काम कर रहे हैं। अब अमेठी वाले उनके समर्थक उनके अंग्रेजी ज्ञान के आधार पर वह सब कुछ अपनी जनता को बता देंगे जो उन्हें अखबारों के माध्यम से अगले दिन पता लगेगा। यहां यह भी बताना जरूरी है हिंदी में उनके समर्थ तालियां जरूर बजवाने में सफल रहेंगे। हिंदी में बोलते वक्त अगर उनका लिखा भाषण उड़ जाता है तो वह बोलने में सकपटा जाते हैं, अमेठी के बारे में बोलते-बोलते वह गुटनिरपेक्ष आंदोलन या फिर आईपीएल मैचों के बारे में बोलने लगते हैं। और कभी-कभी यह भी बताते हैं कि यहां बहुत गर्मी पड़ती है। मुझे यह रिसर्च करवानी होगी कि यहां लोग बिना बिजली के कैसे रह लेते हैं। अच्छा….नमस्ते। हां…मायावती कुछ काम नहीं कर रही है। पता है ना आपको। फिर यही सारी बातें उनके आसपास रहने वाले उनके खासमखास लोग, उनकी सिक्यूरिटी वालों के दोस्त बड़े चटकारे ले लेकर उन सभी को बताते फिरते हैं जिससे वह अपने उस अपमान का बदला ले सके जो अंग्रेजी ना जानने पर अमेठी के उनके गरीब गुरबा कारिन्दे बिना दलाली खाए झेलते रहते हैं।

सावधान! वंशवाद का आतंकवाद फैलाने वाले यह वंशवाद के आतंकवादी आज अंग्रेजी में अपने पूरे संसदीय क्षेत्र को बदलना चाहते हैं। महात्मा गांधी ने खुद हिंदी को राष्ट्रभाषा माना और स्वयं बोलकर लिखकर लोगों को प्रेरित किया यही एक ऐसी भाषा है जो पूरे देश को एकजुट रख सकती हैं। आज गांधी सरनेम उधार में पाई हुई इस पारसी फेमिली का वारिस एक दिन पूरे देश को अंग्रेजी ना बोलने पर सजा देने संबंधी कानून भी बना सकता हैं।

* लेखक वंशवाद विरोधी मोर्चा (एंटी डायनेस्टी फ्रन्ट) के राष्ट्रीय संयोजक हैं।

3 COMMENTS

  1. fir se ek bar is bhondu yuvraj ko zelne ke liye tayyar rahiye ji…..ye congress ki taraf se PM in waiting hai….In nalayako ka bas chale to desh ko hi angrezo ko bech khaye….Amethi ke hi kai log palayan kar gaye hai berozgari ke karan…jo apane chunav kshetra ka bhala nahi kar saka….vo desh ka bhala kya karega…mai bhi vansh vad virodhi morcha ka sadasya banna chahta hu krupaya prakriya ki jankari de….sarthak lekh hetu sadhuvad

  2. बहुत खूब – वंशवाद के आतंकवाद –
    आज पहली बार पता चला की हमारे देश में वंशवाद विरोधी मोर्चा भी है.

  3. वाह! अंतिम लाइन पढ़कर तो मजा ही आ गयाl बहुत अच्छा लेख हैl

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