कालेधन की कालिख और कांग्रेस की कसक

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डॉ.मनोज जैन

 

स्वामी रामदेव के कालाधन और भ्रष्टाचार बिरोधी अभियान से घबरा कर भ्रष्टाचार के दलदल में गहरे तक धंसी हुयी कांग्रेस पार्टी का बौखला कर अमर्यादित आचरण करना कोई नई बात नहीं है यह तो कांग्रेस की कार्यसंस्कृति का हिस्सा है। कांग्रेस पार्टी में भ्रष्टाचार का स्तर यह हो गया है कि भ्रष्टाचार और कांग्रेस एक ही सिक्के के दो पहलू हो गये हैं। यही कारण है कि जब भी कोई भ्रष्टाचार के सफाये की बात करता है तो काग्रेंस पार्टी को यह लगता है कि उसके सफाये की बात की जा रही है।

दिग्विजय सिंह की हालत आजकल इतनी पतली हो गयी है कि वह 10 जनपथ में अपने नंबर बढवाने की खातिर हर बार इतनी उटपंटाग हरकत करते हैं कि उनको राजनीतिक गलियारों में काग्रेसी विदूषक कहा जाने लगा है। कभी आर.एस.एस. के विरुद्ध विषवमन तो कभी दिवंगत हेमन्त करकरे के बारे में अर्नगल बयानबाजी, तो कभी आजमगढ की तीर्थयात्रा तो अब स्वामी रामदेव के बारे में बेमतलब की बयानबाजी करके काग्रेंस पार्टी के महासचिव दिग्विजय सिंह अपने आपको राजमाता सोनिया गांधी का राजाबेटा साबित करना चाहते हैं।

यद्यपि स्वामी रामदेव ने पहले ही यह स्वीकार किया है कि उनके ट्रस्ट के सभी खाते विधिवत तरीके से आडिट किये जाते हैं और उनका आना-पाई से व्यवस्थित हिसाब-किताब भी रखा जाता है तथा उनके ट्रस्ट के पास 1,115 करोड़ की संपत्ति है। परन्तु स्वामी रामदेव से हिसाब मांगने से पूर्व दिग्विजय सिंह को स्वयं अपना हिसाब प्रस्तुत करना चाहिये था। यही नहीं गांधी परिवार और उनके ट्रस्टों की अकूत संपत्ति का ब्यौरा मांगना चाहिये। देश में हर व्यक्ति की संपत्ति के स्रोतों के बारे में जानने का देश को हक हैं परन्तु ऐसी क्या बात है कि जब भी भ्रष्ट्राचार पर हमला बोलने की बात होती है तो केवल कांग्रेस पार्टी को क्यों लगता है कि उस पर ही हमला बोला जा रहा होता है और जबाब में कांग्रेस पार्टी के वफादार उत्तेजित होकर हमला कर देतें हैं चाहे वह निनोंग इरिंग हो या दिग्विजय सिंह सबका मतलब एक ही है कि अपने आपको सोनिया गांधी का वफादार सेवक साबित करना।

स्वामी रामदेव आज न केवल भारत में अपितु सारी दुनिया में योग और स्वदेशी के हीरो के रूप में खडे हुये है। एक ऐसे समय में जब हमारे देश में रोल माडॅल की कमी को बहुत गहराई से अनुभव किया जा रहा है ऐसे में स्वामी रामदेव आशा की एक किरण के रुप में सामने आये हैं उन्होनें केवल योग ही नहीं अपितु स्वदेशी के माध्यम से आयुर्वेद, भारतीय भोजन, सहित रोजमर्रा के उपयोग में आने वाली वस्तुओं के उत्पादन के द्वारा लाखों लोगों को रोजगार प्रदान किया है। उनके विजन में देश का उत्थान स्पष्ट दिखाई दे रहा हैं। भारत में एक अहिंसक क्रान्ति महात्मा गांधी के नेतृत्व में की थी और दूसरी अंहिसक क्रान्ति की पदचाप स्वामी रामदेव के नेतृत्व में होने की पदचाप सुनाई दे रही है। अभी 2 जनवरी से 5 जनवरी को सम्पन्न हुये प्रथम अन्‍तरराष्ट्रीय योग सम्मेलन में दुनियाभर के महान विश्वविद्यालयों और मेडीकल कालेजों के प्रोफेसरों ने स्वामी रामदेव के द्वारा किये जा रहे कार्यो को मानवता के लिये महान योगदान के रुप में स्वीकार किया था। लेखक उस घटनाक्रम का साक्षी रहा है। महात्मा गांधी के बाद स्वामी रामदेव ऐसे व्यक्तित्व हुये हैं कि उनकी एक झलक पाने के लिये जनसैलाब उमड़ पड़ता है। महात्मा गांधी की हत्या भले ही नाथूराम गोडसे की गोली से हुयी हो पर गाधीं के विचारों की, उनकी नीतियों की, उनके सिध्दान्तों की हत्या का आरोपी यदि कोई है तो बह निश्चित ही काग्रेंस पार्टी ही है। गांधी जी की हत्या को तो देश ने बर्दास्त कर लिया पर यदि स्वामी रामदेव के साथ कुछ हो जाता है तो देश उसे नहीं झेल पायेगा। इसलिये देश को स्वामी रामदेव और उनके क्रान्तिकारी विचारों का संरक्षण पोषण करना ही चाहिये।

 

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