कांग्रेस की हिंदू विरोधी मानसिकता-अरविंद जयतिलक

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Congress leaders Rahul Gandhi with Shashi Taroor and Jatin prasad at Parliament House on the first day of monsoon session in New Delhi *** Local Caption *** Rahul Gandhi with Shashi Taroor at Parliament House on the first day of monsoon session in New Delhi on Wednesday. express photo by prem nath pandey 080812

अरविंद जयतिलक

पानी को उबलने के लिए भी सौ डिग्री तापमान का इंतजार होता है। लेकिन कांग्रेस दिल्ली का सिंहासन हथियाने के लिए किस कदर बेकरार है इसी से समझा जा सकता है कि वह अपने सिपाहसालारों को तुष्टीकरण के घातक हथियार से देश को छलनी करने का जिम्मा सौंप दिया है। उसके सिपाहसालार तुष्टीकरण के घातक औंजारों से देश के नस-नस में जहर उतारना शुरु कर दिए है । बात चाहे स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा एक उर्दू अखबार को दिए गए साक्षात्कार में कांग्रेस को मुसलमानों की पार्टी बताने की हो अथवा कांग्रेस सांसद शशि थरुर के यह कहने की कि अगर 2019 के आम चुनाव में भाजपा जीतती है तो भारत हिंदू पाकिस्तान बन जाएगा, दोनों ही बयान हिंदुओं को नीचा दिखाने, अपमानित करने और देश को बेचैन करने वाले हैं। दोनों ही बयान रेखांकित करने के लिए पर्याप्त है कि कांग्रेस सत्ता को हथियाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।  कांग्रेस  को बताना चाहिए कि उसके पास ऐसा कौन-सा पैरामीटर है जिसके जरिए वह आंकलन कर बैठी है कि भाजपा के दोबारा सत्ता में आने पर देश हिंदू पाकिस्तान बन जाएगा? क्या कांग्रेस यह कहना चाहती है कि जो स्थिति पाकिस्तान में हिंदुओं की है वैसी ही स्थिति भारत में मुसलमानों की हो जाएगी? कांग्रेस को स्पष्ट करना चाहिए कि केंद्र की मोदी सरकार ने ऐसी कौन-सी योजना गढ़ी है या क्रियान्वित की है जिसमें बहुसंख्यकों और अल्पसंख्यकों के बीच भेदभाव किया गया हो? अगर ऐसा नहीं है तो फिर उसे हिंदुओं को नीचा दिखाने का अधिकार किसने दे रखा है? गौर करें तो यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस ने अपने सिपाहसालारों के जरिए हिंदुओं को नीचा दिखाने का प्रयास की हो। याद होगा जिस समय हिंदुओं को आतंकी बताने के लिए भगवा आतंकवाद की थ्योरी गढ़ी-बुनी गयी उस समय केंद्र में कांग्रेस नेतृत्ववाली मनमोहन सिंह की सरकार थी, जिसके गृहमंत्री शिवराज पाटिल थे।

उनके बाद गृहमंत्री बने सुशील कुमार शिंदे ने भगवा आतंकवाद को खूब हवा दी। उन्होंने एक कथित जांच रिपोर्ट को आधार बनाते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी पर आतंकवादी  ट्रेनिग  कैंप चलाने का आरोप है। तब सुशील कुमार शिंदे के इस वक्तव्य की देश भर में निंदा हुई। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह रहा कि सुशील कुमार शिंदे के वक्तव्य को सही ठहराने के लिए कांग्रेस सरकार ने मक्का मस्जिद विस्फोट में असली गुनाहगारों को छोड़कर हिंदू संगठनों के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया और कुतर्क गढ़ा कि विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे दल अपने सदस्यों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण देते हैं। भगवा आतंकवाद को सही ठहराने के लिए उस दौरान जितने भी विस्फोट हुए सभी में हिंदू संगठनों के सदस्यों को ही आरोपी बनाया गया। 2007 के समझौता एक्सप्रेस धमाके में भारतीय सेना के अफसर रहे श्रीकांत पुरोहित को गिरफ्तार किया गया। इसी तरह 2007 के अजमेर दरगाह धमाके में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को घेरने की कोशिश की गयी। 2008 मालेगांव धमाके में भी एक हिंदू संगठन को कथित रुप से जिम्मेदार ठहराया गया। हद तो तब हो गयी जब उनके बाद गृहमंत्री बने पी चिदंबरम यह कहते सुने गए कि भगवा आतंकवाद देश की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से बेहद खतरनाक है। गौर करें तो सत्ता से हाथ धोने के बाद भी कांग्रेस की हिंदू विरोधी मानसिकता गयी नहीं है। रही बात मोदी सरकार के दोबारा लौटने पर देश के हिंदू पाकिस्तान बनने की तो किसी से छिपा नहीं है कि पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति क्या है। यहां अल्पसंख्यक हिंदू-सिख समुदाय से जबरन जजिया वसूला जा रहा है। जजिया न चुकाने वाले हिंदू-सिखों की हत्या की जा रही है। उनकी संपत्तियां लूटी जा रही है। मंदिरों और गुरुद्वारों को जलाया रहा है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) की रिपोर्ट में कहा जा चुका है कि देश में हिंदू और सिख समुदाय के लोगों की स्थिति भयावह है। वे गरीबी-भूखमरी के दंश से जूझ रहे हैं। आर्थिक रुप से विपन्न व बदहाल हैं। वे आतंक, आशंका और डर के साए में जी रहे हैं। इसके अलावा कानूनी तौर पर भी धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव होता है। एक ही अपराध के लिए अलग-अलग दंड का प्रावधान है। अल्पसंख्यकों की उंगलियां काटना, अंग-भंग करना और हाथ-पैर तोड़ना आम बात है। जीवित अल्पसंख्यकों के साथ ही नहीं बल्कि उनके मृतकों के साथ भी अमानवीय व्यवहार होता है। कट्टरपंथी ताकतें हिंदुओं को अपमानित करने के लिए उनके शवों की जलती हैं। उनकी चिता पर पानी डाला जाता है। अधजले शवों को घसीटकर गंदे नाले में फेंका जाता है। शवों पर थूका जाता है। यही नहीं हिंदू बस्तियों से कई सौ किलोमीटर दूर श्मशान स्थल की व्यवस्था की जाती है। कांग्रेस को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या भारत में भी अल्पसंख्यकों की स्थिति ऐसी ही है? अगर नहीं तो फिर कांग्रेस पार्टी बार-बार हिंदुओं को बदनाम क्यों कर रही है? क्या कांग्रेस पार्टी यह बता सकने की स्थिति में है कि केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद देश में अल्पसंख्यकों की आबादी कम हुई है? क्या धर्म के लिहाज से अलग-अलग कानून बना है? अगर नहीं तो फिर कांग्रेसी सांसद शशि थरुर किस बिना पर भाजपा के दोबारा सत्ता में लौटने पर देश को हिंदू पाकिस्तान बनने की भविष्यवाणी कर रहे हैं? क्यों न माना जाए कि ऐसा कहने के पीछे उनका मकसद मुसलमानों पर डोरे डालना है। लेकिन कांगे्रस को समझना होगा कि उसका तुष्टिकरण का यह खेल देश व समाज के लिए घातक है। पता नहीं राहुल गांधी को विश्व इतिहास की समझ है या नहीं लेकिन उनके बयानबहादुर शशि थरुर के बारे में जरुर कहा जाता है कि उन्हें अंतर्राष्ट्रीय समझ और इतिहास का ज्ञान है। चूंकि उन्होंने भाजपा के जीतने पर हिंदू पाकिस्तान बन जाने की भविष्यवाणी की है, ऐसे में इतिहास का एक प्रसंग अनावश्यक याद आ जाता है। जर्मन तानाशाह हिटलर ने भी 1933 में जर्मनी का चांसलर बनने से पहले तुष्टीकरण का जबरदस्त दांव खेला था। वह अपनी नाजी पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने के लिए पूंजीपतियों को यह कहकर डराया कि अगर साम्यवादी सत्ता में आ गए तो उन्हें खा जाएंगे। वहीं दूसरी ओर साम्यवादियों को डराया कि पूंजीवादियों को सत्ता में आने से रोकने के लिए उन्हें उनका साथ चाहिए। बहरहाल हिटलर का दांव सफल रहा और वह सत्ता तक पहुंच गया। लेकिन नतीजा यह हुआ कि वह तानाशाह बन बैठा और जर्मनी को द्वितीय विश्वयुद्ध की आग में झोंक दिया। बहरहाल भारत की परिस्थितियां भले ही जर्मनी जैसी न हो लेकिन गौर करें तो कांग्रेस के नेता हिटलर के दांव को ही आजमाते दिख रहे हैं। वह भाजपा से डराकर 18 करोड़ मुसलमानों को अपने पाले में लाना चाहते हंै। यहीं नहीं वह मुसलमानों को हिंदुओं के खिलाफ उकसा-भड़का कर उनके मन में हिंसा, घृणा और नफरत का जहर भी घोल रहे हैं। चूंकि कांग्रेस अपने सिपाहसालार शथि थरुर के खिलाफ कार्रवाई से बच रही है, ऐसे में तनिक भी संदेह नहीं रह जाता है कि उन्होंने आलाकमान के इशारे पर ही हिंदुओं को नीचा दिखाने की कोशिश की है। हिंदुओं को नीचा दिखाने के लिए ही तत्कालीन प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के प्राकृतिक संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। ध्यान दें तो जब भी चुनाव नजदीक आजा दिखता है कांग्रेस तुष्टीकरण और सांप्रदायिककरण के रंग को गाढ़ा करना शुरु कर देती है। याद होगा 2014 के आम चुनाव से एक वर्ष पहले कांग्रेस ने सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारक अधिनियम के जरिए तुष्टीकरण का दांव खेला था। मनमोहन सिंह की नेतृत्ववाली सरकार ने इस विधेयक में सुनिश्चित किया था कि अगर भविष्य में कोई भी दंगा होगा तो इसके लिए सीधे तौर पर बहुसंख्यक समाज ही जिम्मेदार होगा। यानी यों कहें तो मनमोहन सरकार ने इस विधेयक में पहले ही मान लिया कि अल्पसंख्यक समुदाय का कोई भी सदस्य सांप्रदायिक हिंसा फैलाने का कार्य कर ही नहीं सकता है। यह अलग बात है कि भाजपा के विरोध के कारण संप्रग सरकार का यह विधेयक आकार नहीं ले सका। लेकिन कांग्रेस को अभी भी लगता है कि वह तुष्टीकरण के खेल से सत्ता शीर्ष तक पहुंच सकती है। लेकिन सच तो यह है कि वह हिंदू विरोधी मानसिकता प्रकट कर अपना मकबरा बनाने पर आमादा है।

 

 

 

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