अमल में लाया जाए सेबी का प्रस्ताव

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-रमेश पाण्डेय-
SEBi

सेबी का प्रस्ताव अगर अमल में आता है तो सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की करीब 30 सूचीबद्ध कंपनियों में हिस्सेदारी बिक्री से 50,000 करोड़ रुपए से अधिक जुटा सकती है। सेबी ने सभी सूचीबद्ध कंपनियों में न्यूनतम 25 प्रतिशत सार्वजनिक हिस्सेदारी का प्रस्ताव किया है। इस बारे में निर्णय वित्त मंत्रालय को करना है। निजी क्षेत्र की सूचीबद्ध कंपनियों के लिए पहले ही न्यूनतम 25 प्रतिशत सार्वजनिक हिस्सेदारी का प्रावधान को लागू कर दिया गया है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के लिए अभी केवल 10 प्रतिशत शेयर ही बाजार में रखने की नियामकीय प्रतिबद्धता है। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने अब सभी सार्वजनिक उपक्रमों पर 25 प्रतिशत सार्वजनिक हिस्सेदारी का प्रस्ताव किया है और इस बारे में वित्त मंत्रालय को लिखा है। सूचीबद्ध कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी के विश्लेषण के अनुसार करीब 30 ऐसी कंपनियां हैं जहां सार्वजनिक हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से कम है और सेबी ने प्रस्ताव किया है कि इन कंपनियों में हिस्सेदारी घटाकर अगले तीन साल में 75 प्रतिशत या उससे कम किया जाए।

मौजूदा बाजार भाव पर इन कंपनियों में सरकार की अतिरिक्त हिस्सेदारी का मूल्य (प्रस्तावित नियमों के तहत जिसे बेचने की जरुरत होगी) करीब 53,000 करोड़ रुपए बनता है। चूंकि इस समय बाजार में तेजी है, सो इसके आधार पर आने वाले समय में उक्त हिस्सेदारी बेचने से सरकार को और अधिक राशि भी प्राप्त हो सकती है। सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा ने पिछले सप्ताह वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ मुलाकात के बाद कहा है कि सूचीबद्ध सार्वजनिक उपक्रमों में सार्वजनिक हिस्सेदारी बढ़ाए जाने से बाजार का विस्तार होगा और निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ बराबरी करने में मदद मिलेगी। हालांकि इस संदर्भ में अंतिम निर्णय सरकार को करना है। जिन प्रमुख सार्वजनिक उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत से अधिक है, उसमें कोल इंडिया, सेल, एनएचपीसी, एनएमडीसी तथा एसजेवीएन शामिल हैं। इतना ही नहीं कम से कम सात कंपनियां ऐसी हैं जहां सरकार की हिससेदारी 90 प्रतिशत है। ये एमएमटीसी, हिंदुस्तान कॉपर, एचएमटी, नेशनल फर्टिलाइजर्स, नेवेली लिग्नाइअ कारपोरेशन, स्टेट्र ट्रेडिंग कारपोरेशन तथा स्टेट बैंक आफ मैसूर हैं। मौजूदा बाजार भाव पर सरकार केवल कोल इंडिया में अपनी हिस्सेदारी 89.65 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत करती है तो उसे 34,000 करोड़ रुपए से अधिक मिल सकते हैं। प्रस्ताव से निवेशकों की भागीदारी को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी और विनिवेश के जरिए धन जुटाने की सरकार की योजना को मजबूती मिलेगी।

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