—विनय कुमार विनायक
आज भारतीय मुसलमान मुल्लाओं में,
ये होड़ मची है कि अधिक से अधिक
हिन्दुओं को स्वधर्म से धर्मांतरित करके
हिन्दू विरोधी कट्टर मुसलमान बनाना!
एक भले चंगे इंसान को शैतान बनाना!
पूर्व हिन्दू को हिन्दू के विरुद्ध भड़काना!
इस दुर्भावना के लिए एक खास पैगाम है
किसी को मुसलमान बनाने से बेहतर है
खुद एक भला इंसान बनना और बनाना!
सदा से ईश्वर अल्लाह खुदा की चाहत रही
हिन्दू मुस्लिम ईसाई नहीं, नेक इंसान बनो
और भले लोगों को बुरा इंसान मत बनाओ!
ये तो ज्यादती है कि
मूक-बधिर लोगों को धर्मांतरित करके
मानव बम बनाने हेतु मुसलमान बना देना!
अगर सच में आस्तिक कहलाना है
तो हर मानव को सच्चा भाई मानकर
सबको मानवता का पाठ पढ़ाना!
किसी ईश्वर,खुदा ने कभी नहीं कहा है
कि एक क्रूर नरपशु बनना है अच्छा!
खुद की इच्छा से कुत्सित कर्म करके,
कुत्सा को खुदा से जोड़ना नहीं अच्छा!
ये धर्म नहीं कुकर्म है भोले-भाले इंसानों में
पूर्व के स्वधर्म के प्रति घृणा उत्पन्न करना,
ये तो एक साजिश है मानवता के खिलाफ!
पता नहीं किस लोभ,लाभ,लालच,अमर्ष के खातिर
लोग हिन्दू से विधर्मी मुसलमान ईसाई बन जाते,
धर्म बदलते ही पूर्व भाईयों के प्रति जहर उगलते!
अगर चाहिए अभिव्यक्ति की आजादी
तो वह हिन्दू धर्म के सिवा कहां मिलेगी?
अगर चाहिए नर नारी में समानता
तो वह हिन्दू धर्म के सिवा कहां मिलेगी?
अगर चाहिए पूजा पाठ नमाज अंधविश्वास,
कठिन कर्मकांड और ढकोसलाबाजी से मुक्ति,
तो हिन्दू धर्म के सिवा कहां मिलेगी निवृत्ति!
अगर चाहिए धार्मिक सहिष्णुता और शांति,
तो हिन्दू धर्म के सिवा कौन दे सकता गारंटी!
धर्मांतरण आज मारक हथियार हो गया
जैसे ही कोई हिन्दू इस्लाम कबूलता
तो वह अपने पूर्वजों को तत्क्षण भूलता,
विदेशी आक्रांताओं को आदर्श मानता,
धर्म विरुद्ध एक से अधिक शादी रचाता!
जब कोई हिन्दू से ईसाई बनता है
तो उनकी दुनियादारी चर्च तक सिमट जाती!
जब कोई हिन्दू विदेशी धर्म को अपनाता
उनके रहन-सहन में विदेशीपन आ जाता है!
धर्मांतरितों में देशभक्ति दोयम दर्जे की बात है,
सच पूछिए तो एक अच्छा इंसान बनने के लिए
धर्म नहीं नैतिकता की सबसे अधिक जरूरत है,
और नैतिकता सहज स्वाभाविक मानव प्रवृत्ति है!
जिसके लिए धर्मांतरण नहीं जरुरी,
बल्कि अपने स्वदेशी धर्म में बने रहकर
बुराई को तार्किक ढंग से मिटाना है जरुरी!
—विनय कुमार विनायक