शादाब जफर ‘शादाब’
“बारिश’’
हाय कैसी बहार बारिश की
किश्तियां खूब हम चलाते थे
कापिया फाड कर बनाते थै
याद आती हैे मार बारिश की
ठडी ठडी फुहार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सोनू मोनू सभी नहाते थे
आम बगिया से ला के खाते थे
आम क्या शे बहार बारिश की
ठडी ठडी फुहार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
जैसे काली घटा नजर आये
मोर नाचे तो मोरनी गाये
जान इन पर निसार बारिश की
ठडी ठडी फुहार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कौन कैसे कहा पे भूला हैं
नन्ही बूंदो से जो भी खेला हेै
बुल बुलो से वो हार बारिश की
ठडी ठडी फुहार बारिश की
हाय कैसी बहार बारिश की