भष्ट्राचार की कहानी
लिख दो
इतिहास के पन्नों पर
कोड़ा के भष्ट्राचार की कहानी
भर दो उसमें
गरीबों के खून की स्याही
ताकि
सदियों तक
पढ़ा जा सके
आज के इतिहास में
मूल्यों से बेवफाई।
भष्ट्राचार की कहानी
लिख दो
इतिहास के पन्नों पर
कोड़ा के भष्ट्राचार की कहानी
भर दो उसमें
गरीबों के खून की स्याही
ताकि
सदियों तक
पढ़ा जा सके
आज के इतिहास में
मूल्यों से बेवफाई।
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रहा है। ऐसे में मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजिमी है। आज पूंजीवादी मीडिया के बरक्स वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्त हो। प्रवक्ता डॉट कॉम इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।
ताकि
सदियों तक
पढ़ा जा सके
आज के इतिहास में
मूल्यों से बेवफाई।
बिलकुल स्टीक अभिव्यक्ति है शुभकामनायें