देश के हालात खराब है,क्या करोगे तुम देखकर |

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देश के हालात खराब है,क्या करोगे तुम देखकर |
कुछ लोग देश बेच रहे है,रो पड़ोगे तुम देखकर ||

नाम नहीं लेता हूँ मै उसका,खुद ही समझ जाओगे |
दुश्मन देश में शूटिंग होगी,अपने देश को छोड़कर ||

देश प्रेम है केवल दिखावा,मन में उसके कुछ और है|
लोगो को वह लुभाता है,”सत्यमेय विजयते”वह कहकर ||

चारो तरफ हाहाकार मचा है,सारे कारोबार है बंद पड़े|
छोटे बच्चे सामन बेचते है,फुटपाथ पर अकेले बैठ कर ||

कोई गुब्बारे बेच रहा है,कोई झंडे पेपर है बेच रहा |
बच्चे ही बच्चो को देखकर,रो पड़ते है वे सब देखकर ||

मजहबी तूफान मचा है,कोई किसी की सुनता नहीं |
धर्म ईमान बिक रहा है,मंदिर मस्जिदों में बैठ कर ||

गरीबी हटाने के चक्कर में,और लोग भी गरीब हो रहे |
गरीब बिकता है हर कोने में,आँखे देखो तुम खोल कर ||

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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